Bihar की राजनीति में कन्हैया कुमार की इंट्री से कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से कई सालों के अपमान का बदला ले लिया है। इसके कोई शक नहीं कि मौजूदा समय में कन्हैया कुमार के अलावा बिहार कांग्रेस में ऐसा कोई चेहरा है, जो राजद या फिर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टक्कर में कहीं खड़ा हो सके।
कांग्रेस ने तेजस्वी यादव की बिहार के गद्दी पर बढ़ती दावेदारी पर लगाम लगाने के लिए कन्हैया कुमार को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता दिलवाई और उसके बाद पटना के हवाई जहाज का टिकट पकड़ा दिया। कन्हैया जिस दिन से पटना में उतरे हैं, उस दिन से सबसे ज्यादा खलबली राजद में ही मची हुई है।
राजद का अपना कुनबा भी दरक रहा है
इसलिए राजद प्रमुख लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव कन्हैया कुमार के खिलाफ मैदान में उतर गये हैं। वैसे तो राजद का अपना कुनबा ही इस समय दरक रहा है लेकिन उसके बावजूद तेज प्रताप ने ट्विटर पर कन्हैया कुमार को निशाना बनाते हुए एक ट्वीट किया है।
इस ट्वीट में तेज प्रताप लिखते हैं कि (भारत तेरे टुकड़े होंगे )…. कहने वाले लोग आज लोगों को देशभक्ति समझा रहे हैं। जिनकी फोटो बीजेपी के पोस्टर के साथ वायरल होती है उन्हें भी कांग्रेस ज्वाइन कराती हैं। गांधी के नाम पर छल करने वाले लोग गांधीवाद का पाठ पढ़ाते हैं! या तो सुधर जाइए नहीं तो जनता अपने वोट के जरिए सुधार देगी।
कांग्रेस के अलग होने के बाद से राजद को आगामी भविष्य में जेडीयू के साथ-साथ कांग्रेस से भी लड़ना पड़ेगा। यही कारण है कि राजद नेता जेडीयू के साथ कांग्रेस पर भी हमला कर रहे हैं। वैसे अगर देखा जाए तो कांग्रेस में कन्हैया कुमार के शामिल होने से नीतीश कुमार को जरूर राहत मिली है क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस जो भी वोट लेगी वो राजद कोटे से होगा। लेकिन उसके बावजूद नीतीश कुमार की एक और खूबी है कि वो अपने बड़े से बड़े प्रतिद्वदी को पता नहीं चलने देते कि व उनका विरोध भी कर रहे हैं।क्या
नीतीश कुमार की खामोशी राजद और कांग्रेस पर पड़ेगी भारी
मसलन उप चुनाव में प्रचार के दौरान जब पत्रकारों ने उनसे लालू यादव के द्वारा कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास पर की गई विवादित टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने उसे टाल दिया और कहा कि वो लालू यादव को कभी गंभीरता से नहीं लेते हैं।
इस तरह नीतीश कुमार अपने विरोधियों को गच्चा भी दे देते हैं और उन्हें राजनीतिक संदेश भी दे देते हैं। अब अगर बात राजद परिवार की करें तो जो तेज प्रताप कन्हैया को लेकर निशाना साध रहे हैं वो ही तेज प्रताप अपने छोटे भाई को भी ठिकाने लगाने में लगे हैं। राजद में इस समय बिहार की राजनीति को जितना मंथन नहीं हो रहा है, उससे ज्यादा चर्चा तेज प्रताप को समझाने की हो रही है और शायद यही कारण है कि उप चुनाव के बीच लालू यादव को दिल्ली से पटना आना पड़ा।
तेज प्रताप बड़े होने के नाते पार्टी में सम्मान और अपना पहला हक मांग रहे हैं, जो राजद सुप्रीमो द्वारा छोटे बेटे तेजस्वी यादव को दे दिया गया है। राजद परिवार में इस समय सबसे बड़े संकट के तौर पर तेज प्रताप की जिद को देखा जा रहा है। अब देखना यही है कि लालू यादव पार्टी में छोटे बेटे तेजस्वी यादव और बड़े बेटे तेज प्रताप के बीच जारी यह युद्ध कैसे शांत करवा पाते हैं।
तेज प्रताप ने तलाक की अर्जी पर किया ट्वीट लिखा- ‘टूटे से फिर ना जुटे, जुटे गांठ परि जाए’