Bihar By-Polls: कुशेश्वरस्थान और तारापुर में होने वाले उपचुनाव का मुकाबला गुजरते हर दिन के साथ दिलचस्प होता जा रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस के निशाने पर सीधे-सीधे आरजेडी और तेजस्वी यादव हैं। महागठबंधन से अलग होने के बाद अब कांग्रेस आरजेडी से पूरे हिसाब-किताब के मूड में दिखाई दे रही है।
यही कारण है कि कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को घेरने के लिए कन्हैया कुमार के साथ-साथ हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी को भी पटना भेज दिया है। कांग्रेस ने जैसे ही राजद से किनारा किया, उसे अन्य लोगों का सपोर्ट भी मिलने लगा है। इसी क्रम में जन अधिकार पार्टी (जाप) के प्रमुख पप्पू यादव ने दोनों उपचुनाव में कांग्रेस का खुलकर साथ देने की घोषणा कर दी है।
उपचुनाव में कांग्रेस को मिला पप्पू यादव का साथ
इस मामले में पप्पू यादव ने खुद कहा कि वो कुशेश्वरस्थान सीट पर होने वाले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए कैम्पेन करेंगे और जाप के सभी कार्यकर्ता बिहार उपचुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। पप्पू यादव के मुताबिक कुशेश्वरस्थान में वह स्वयं अपने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस की सहायता के लिए खड़े रहेंगे। पप्पू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर तीखा हमला किया और कहा कि विपक्ष को तो बिहार में मछली मारने से ही फुर्सत नहीं है।
वहीं, सीपीआई से कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया कुमार ने भी पटना के सदाकत आश्रम में तेजस्वी यादव पर कड़ा हमला किया। कन्हैया कुमार ने कहा कि हमारे परिवार में कोई भी राजनीति से नहीं है। हम आंदोलन से संघर्ष करके यहां तक पहुंचे हैं औऱ जिनके पिता ने अपनी राजनीति की थाती उन्हें सौंप दी, वो उसे खुद के इर्दगिर्द ही समेटे हुए हैं।
कन्हैया कुमार हुए तेजस्वी यादव पर हमलावर
इसके अलावा कन्हैया कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा पर भी नाम न लेते हुए हमला किया कि एक पढ़े-लिखे प्रवक्ता हैं जो आजकल लठैत की भाषा बोल रहे हैं। वह कुर्सी के लिए कोना-कोना खेल रहे हैं। कन्हैया कुमार ने कहा कि जो भी भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहते हैं, वो कांग्रेस के साथ होंगे। जो ऐसा नहीं चाहते हैं, वो केवल गुणा-गणित करते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि 30 साल में उन लोगों (राजद) ने कांग्रेसी वोटर के लिए क्या किया, इसका उन्हें जवाब देना होगा।
बिहार में समाप्त हो चुके महागठबंधन (राजद+कांग्रेस+लेफ्ट) का वोट बैंक मुस्लिम-यादव को माना जाता था। इसमें कांग्रेस और लेफ्ट की तुलना में राजद की हिस्सेदारी कुछ ज्यादा है। मगर दो सीटों (कुशेश्वरस्थान और तारापुर) पर हो रहे उपचुनाव ने महागठबंधन को खत्म कर दिया।
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