भगवान ब्रदीनाथ धाम के कपाट अब 8 मई को सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अनुसार हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य बने मंदिर को मौसमी दशाओं को ध्यान में रखकर खोला जाता है। मंदिर वर्ष के छह माह अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है।प्रशासन की ओर से मंदिर के कपाट खोले जाने की घोषणा के बाद पूरी श्रद्धा और मंत्रोच्चारण के बाद ही भक्त यहां दर्शन करते हैं।

अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है भगवान बद्रीनाथ का मंदिर
भगवान बद्रीनाथ (Badrinath)का धाम उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित है। हिंदू देवता भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित ये मंदिर पवित्र चार धामों में से एक है। इसका वर्णन देश के पवित्र चार धामों में आता है। मंदिर का निर्माण छठी और सातवीं सदी के मध्य होने के प्रमाण मिलते हैं। इस पवित्र धाम के आसपास बसे नगर को बद्रीनाथ कहा जाता है। समुद्र तल से 10,269 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
आदि शंकराचार्य ने स्थापित की थी विष्णु जी की प्रतिमा
बद्रीनाथ मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मंदिर के गर्भ गृह में उनकी 1 मीटर लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है। ऐसी मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने छठी शताब्दी में नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है।
श्रद्धालुओं को कोविड नियमों का करना होगा पाल
कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन की ओर से यहां निशुल्क मैनुअल टोकन की व्यवस्था की गई है बद्रीनाथ की यात्रा से लेकर दर्शन करने तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल से पूर्व यहां प्रतिवर्ष करीब 10 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे। कोरोना काल में सख्ती एवं नियमों को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं की संख्या में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई।
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