Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग के नए फैसले के अनुसार, लोकसभा चुनावों में जिन राज्यों में अभी तक उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा 70 लाख थी उसे बढ़ाकर 95 लाख कर दिया गया है। वहीं जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में यह सीमा 54 लाख थी उसे बढ़ाकर 75 लाख कर दिया गया है।
बता दें कि इसके अलावा जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का खर्च 28 लाख तय थी उसे भी 40 लाख कर दिया गया है। बता दें कि उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा में आखिरी बार 2014 में संशोधन किया गया था। जिसे 2020 में 10 प्रतिशत बढ़ाया गया था।
Assembly Election 2022: समिति की सिफारिश पर चुनाव आयोग का फैसला
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 2020 में एक समिति का गठन किया था। इस समिति का मकसद उम्मीदवारों के खर्च से संबधित मुद्दों का अध्ययन करने और उपयुक्त सिफारिशें लागू करने के लिए था। बता दें कि इस समिति में आईआरएस अधिकारी, उमेश सिन्हा, महासचिव और चंद्र भूषण कुमार, भारत के चुनाव आयोग में वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त हैं। समिति के मुताबिक 2014 के बाद से सभी राज्यों में मतदाताओं की संख्या बढ़ने के कारण उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने की आवश्यक्ता थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है।
बता दें कि चुनाव समिति ने कोरोना वायरस के प्रसार के बाद से चुनाव में धीरे-धीरे ऑनलाइन अभियान (Virtual Campaign) को ध्यान में रखकर फैसला लिया है। वहीं उम्मीदवारो के लिए मौजूदा चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग सभी राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव आयोग से होती रही थी। दरअसल, 2014 से 2021 तक मतदाताओं की संख्या में 12.23 प्रतिशत इजाफा हुआ है। इसी के मद्देनजर राजनीतिक दलों की मांग को देखकर समिति ने अधिकतम सीमा बढ़ाने के लिए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की है।
अब उम्मीदवार कितना खर्च कर सकते है?
चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया है और उम्मीदवारों के लिए मौजूदा चुनाव खर्च सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है। लोकसभा चुनावों में जिन राज्यों में अभी तक उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की सीमा अधिकतम 70 लाख थी उसको बढ़ाकर 95 लाख किया गया है। जिन राज्य केंद्र शासित प्रदेश में यह 54 लाख थी उसको बढ़ाकर 75 लाख की गई।
वहीं विधानसभा चुनाव में जिस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह सीमा 28 लाख थी उसको बढ़ाकर 40 लाख किया गया। वहीं जिस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह 20 लाख थी उस को बढ़ाकर 28 लाख कर दिया गया है। ऐसे में अगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में नए उम्मीदवारों को फायदा होगा।
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