शिवसेना की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही हैं एक के बाद एक पार्टी पर दाग लगते जा रहे हैं। पीएमसी बैंक घोटाले में शिवसेना नेता संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत का नाम आने के बाद हर तरफ पार्टी की आलोचना हो रही है। मामला अभी ठंडा नहीं हुआ की शिवसेना के पूर्व सांसद का नाम इस घोटाले में शामिल हो गया है। सांसद के नाम को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

शिवसेना के पूर्व सांसद का नाम शामिल

ईडी ने शुरूवाती जांच में पाया की सांसद के खाते में करोड़ों रुपए आदान-प्रदान किए गए हैं। इस मसले पर प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही उन्हे समन जारी करने वाली हैं।

ये फंड उसी अमाउंट का हिस्सा बताया जा रहा है, जो एचडीआईएल के प्रमोटर्स वधावन बंधुओं ने पीएमसी बैंक से लिया था। आपको बता दें कि ईडी ने अब तक वधावन बंधुओं से जुड़ी 1100 एकड़ जमीन को जब्त किया है। इसमें जमीन, बंगला, फ्लैट और अन्य कई प्रॉपर्टी शामिल हैं। एचडीआईएल एक रियल एस्टेट कंपनी है। आरोप है कि कंपनी के प्रमोटर्स ने डिफाल्टर होने के बावजूद डीएचएफएल व पीएमसी बैंक से 6,500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसके बाद आरबीआई ने पीएमसी बैंक के खिलाफ मोरेटोरियम लगा दिया था।

वर्षा राऊत पर 55 सवालों की बौछार

वहीं वर्षा राउत को चार बार समन जारी करने के बाद वे ईडी कार्यालय पहुंची हैं। पीएमसी बैंक घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी की टीम ने 5 जनवरी को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। हालांकि, वर्षा राउत एक दिन पहले ही ईडी ऑफिस पहुंच गई। इस दौरान उनसे तीन घंटे तक लगातार पूछताछ हुई और 55 सवाल दागे गए।

वर्षा बार-बार निजी कारणों का हवाला देकर वे इससे छूट ले चुकी हैं। ईडीको शक है कि वर्षा राउत को दिए गए लोन का कनेक्शन कहीं न कहीं पीएमसी घोटाले से है। ईडी के दावे पर राउत के परिवार ने जवाब देते हुए कहा है कि ये पैसा 10 साल पहले लिया गया था। इसके संबंध में बाकायदा आयकर रिटर्न भी दिखाया गया है।

घोटाले में अंडरवर्ल्ड की भूमिका

ईडी सूत्रों की मानें तो राजनीतिक परिवार द्वारा कंट्रोल किए जा रहे एक ट्रस्ट को प्रवीण राउत की फार्म ने करोड़ों रूपए ट्रांसफर किए हैं। ईडी को जांच में इस घोटाले में अंडरवर्ल्ड की भूमिका का भी पता चला है।

गौरतलब है कि, पिछले साल आरबीआई को पता चला था कि पीएमसी बैंक ने एक रियल इस्टेट डेवलपर को क़रीब 6500 करोड़ रुपये लोन देने के लिए नकली बैंक खातों का उपयोग किया। जिसके बाद आरबीआई ने इस बैंक से पैसे निकालने पर लिमिट लगा दी। फिर ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी की जांच शुरू कर दी।

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