भारत की आबादी एक सौ तीस करोड़ से भी ज्यादा है, लेकिन जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार की तरफ से चीन की तरह कोई ठोस कदम नहीँ उठाए जा रहे हैं। जनसंख्या रोकने के लिए जिस तरह से सामाजिक जागरुकता होनी चाहिए वो नहीं हो पा रहा है। आरोप लगते रहे हैं कि एक खास समुदाय के लोग जनसंख्या रोकने के उपायों पर अमल ही नहीं करते। जनसंख्या बढ़ाने और रोकने में धर्म आड़े आ रहा है।

याचिका में क्या क्या दलील
विस्फोटक हो रही जनसंख्या को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जिसमें जनसंख्या रोकने के लिए कुछ उपायों को लागू करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि जनसंख्या रोकने के लिए विवाह की उम्र बढ़ायी जाए। याचिका में कहा गया है कि लड़के के लिए 25 वर्ष और लड़की के लिए 22 वर्ष उम्र की जाए। साथ ही ये भी मांग की गई है कि संसद, विधानसभा और स्थानीय चुनाव लड़ने और सरकारी नौकरी के लिए भी दो बच्चों का नियम अनिवार्य किया जाए। याचिकाकर्ता ने जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताते हुए कहा है कि एक फीसदी की बढोत्तरी का मतलब 1.25 करोड़ लोगों का बढना है जो वाकई चिंताजनक है। वहीं याचिका में हवाला दिया गया है कि कुछ राज्यों में स्थानीय चुनाव में दो से ज्यादा बच्चे होने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द कर दी गई।

याचिका में ये भी हवाला दिया गया है कि देश में प्राकृतिक संसाधनों की काफी कमी है और उसका लगातार दोहन हो रहा है। देश में कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ,कृषि भूमि सीमित है। उसके बावजूद भी जनसंख्या पर कंट्रोल नहीं किया जा रहा है। याचिका में मांग की गई है कि जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए सख्त कानून जरूरी है।

याचिका में ये भी कहा गया है कि धर्म का हवाला देकर गर्भनिरोधक दवाइंयों के इस्तेमालो को भी गलत बताया जाता है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की अगुआई में एक कमेटी बनाने की मांग की है जो जनसंख्या रोकने के लिए रास्ता सुझाए। सरकार सामाजिक आंदोलन चलाकर जागरुकता फैलाए। और जहां जरुरी हो वहां सख्त कानून का इस्तेमाल करे।

आपको बता दें कि विश्व में चीन की जनसंख्या सबसे ज्यादा है लेकिन चीन ने जनसंख्या पर काफी कंट्रोल किया है। यही कारण है कि चीन विकासशील देश में सबसे आगे है। चीन का क्षेत्रफल भारत से तीन गुना है। चीन में हर मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं जबकि भारत में हर मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं।

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