Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद साहब पर टिप्पणी को लेकर Wasim Rizvi उर्फ नारायण त्यागी को नोटिस जारी किया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए Allahabad High Court ने यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी से पैगम्बर मोहम्मद साहब पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर जवाब मांगा है। बता दें कि मोहम्मद यूसुफ ने अपनी याचिका में राष्ट्र विरोधी व सामाजिक वैमनस्यता फैलाने वाले बयान पर कोर्ट से सुनवाई की मांग की थी।

Allahabad High Court: चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने की याचिका पर सुनवाई
Allahabad High Court के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से आवश्यक जानकारी देने के लिए भी कहा है। बताते चलें कि हाईकोर्ट अब इस मामले में अगले साल 13 अप्रैल को सुनवाई करेगा। इस जनहित याचिका को मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने दाखिल किया है। वह मुंबई स्थित संस्था ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव हैं। अंसारी ने कहा कि वसीम रिजवी के खिलाफ 27 मुकदमे दर्ज हैं। इनसे बचने के लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन किया है।

‘वसीम रिजवी का बयान समाज में वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाला’

Allahabad High Court: मोहम्मद ने याचिका में कहा है कि वसीम रिजवी का बयान समाज में वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने कहा इस्लाम 1,400 वर्ष पुराना है। इसे मानने वाले पूरी दुनिया में हैं। याचिका में कहा गया है कि वसीम रिजवी का आपराधिक रिकार्ड रहा है। इनके खिलाफ 27 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनके खिलाफ धारा 153-ए व 295-ए के तहत भी कई केस दर्ज हैं। इनके गंदे आचरण पर कोर्ट को रोक लगानी चाहिए।
सरकार की ओर से याचिका का विरोध Manish Goyal ने किया
याचिका का विरोध सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने किया। सरकार की तरफ से कहा गया कि किताब का लेखक प्राइवेट व्यक्ति है और किताब प्राइवेट कैपेसिटी से लिखी गई है। किसी प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ याचिका दाखिल कर परमादेश जारी करने की मांग नहीं की जा सकती। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि किसी व्यक्ति को टीवी चैनलों पर बैठ कर बोलने से नहीं रोका जा सकता है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विपक्षी रिजवी को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से भी इस मामले में जरूरी जानकारी लेकर कोर्ट को केस की अगली सुनवाई के दिन बताने के लिए कहा है। याचिका पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल 2022 को होगी।
ये भी पढ़ें:
- Allahabad High Court ने District Court के आदेश को बदला, बच्ची के साथ रेप का आरोपी बरी
- Allahabad High Court में साल 2022 से होगी मुकदमों की E-Filing