केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने पिछले दिनों दूरसंचार नेटवर्क में “कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (Calling Name Presentation- CNAP) का परिचय” को लेकर पर एक परामर्श पत्र जारी किया है.
ट्राई के इस पेपर के अनुसार सेवा को लागू करने के लिए, सेवा प्रदाताओं को डेटाबेस तक पहुंच की आवश्यकता होगी जिसमें प्रत्येक टेलीफोन ग्राहक की सही नाम, पहचान की जानकारी हो. पेपर के अनुसार, 30 सितंबर तक 114.55 करोड़ वायरलेस सब्सक्राइबर और 2.65 करोड़ वायरलाइन सब्सक्राइबर के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बन गया है.
क्या है कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन को लेकर TRAI की राय?
TRAI के अनुसार यह सुविधा कॉल किये गए व्यक्ति को कॉल करने वाले व्यक्ति (‘ट्रूकॉलर’/Truecaller और ‘भारत कॉलर आईडी और एंटी-स्पैम’ के समान) के बारे में जानकारी प्रदान करेगी. TRAI का इसके पीछे विचार यह सुनिश्चित करना है कि टेलीफोन ग्राहक को आने वाली कॉलों के बारे सही में जानकारी उपलब्ध हो ताकि वे अज्ञात या स्पैम कॉलर्स द्वारा आजकल आम हो चूके उत्पीड़न को रोकने में सक्षम हो सके.
ट्राई के अनुसार, उपभोक्ताओं ने इस बारे में चिंता जताई है कि कैसे, कॉलर आईडी सुविधा के अभाव में, ‘वे अज्ञात टेलीफोन नंबरों से कॉल रिसीव नहीं करना पसंद करते हैं. इसके अलावा रोबोकॉल्स (रिकॉर्डेड कॉल्स), स्पैम और फर्जी कॉल्स को लेकर भी चिंताएं हैं, जिसमें उपभोक्ताओं को टेलीफोन नंबरों के जरिए आर्थिक तौर से ठगा जाता है. पेपर का कहना है कि इनमें से ज्यादातर ने अब डू-नॉट-डिस्टर्ब (डीएनडी) फीचर को दरकिनार करना शुरू कर दिया है.
इसमें कहा गया है, ‘धोखाधड़ी कॉल के जरिए, कुछ लोग उपभोक्ताओं को धोखा देने के मकसद से बैंक खाते/वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का डिटेल्स पाने की कोशिश करते हैं. टेलीफोन उपभोक्ताओं ने भी सीएलआई स्पूफिंग के संबंध में अपनी चिंता जाहिर की है. स्पूफिंग तब होता है जब कोई यूजर कॉल के जवाब में ग्राहक को बरगलाने के लिए जानबूझकर अपनी पहचान छिपाने के लिए कॉलर आईडी को ‘गलत’ बनाता है. अधिकांश स्पैमर्स धोखा देने के लिए यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें किसी कंपनी या सरकारी एजेंसी से स्पूफ नंबर मिले.
क्या है इसका उद्देश्य?
अभी उपल्बध तकनीक (Truecaller एवं अन्य तकनीक) में कॉल रिसीव करने वाले हैंडसेट पर कॉल करने वाले का नंबर के साथ-साथ उसकी जानकारी भी दी जाती है. लेकिन इसके लिए पहले से ग्राहक को पंजीकरण कराना पड़ता है. वहीं, जो ग्राहक इन सेवाओं का प्रयोग नहीं करते है उन्हें कॉल करने वाले का नाम और पहचान नहीं स्पष्ट हो पाती है, कभी-कभार ये मानते हुए कि यह टेलीमार्केटर्स द्वारा या व्यावसाय संबंधी कॉल हो सकता है, बहुच सारे लोग उनका जवाब नहीं देने का विकल्प चुनते हैं. इससे वास्तविक या फिर जरुरी कॉल को भी रिसीव नहीं कर पाते हैं.
ट्रूकॉलर/Truecaller की ‘ग्लोबल स्पैम और स्कैम रिपोर्ट, 2021’ के अनुसार भारत में हर महीने प्रति उपयोगकर्ता स्पैम कॉल की औसत संख्या 16.8 थी, जबकि अकेले अक्तूबर 2022 में इसके उपयोगकर्ताओं (Users) द्वारा प्राप्त कुल स्पैम कॉल्स की संख्या 3.8 बिलियन से अधिक थी.
इस सेवा को शुरू करने में चुनौतियां भी?
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन को अगर TRAI द्वारा लागू किया जाता है तो इससे कॉल करने में लगने वाले समय में वृद्धि होने की संभावना रहेगी, क्योंकि देश के कई हिस्सों में आज भी लोग 2G और 3G नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं. इस फैसले के चलते तेज वायरलेस नेटवर्क (4G या 5G) से तुलनात्मक रूप से धीमे (2G या 3G) नेटवर्क पर स्विच करने पर कॉल आने या जाने संबधी लगने वाला समय प्रभावित हो सकता है.
गोपनीयता को लेकर भी चिंताएं
इस पेपर में यह विशेष रूप से स्पष्ट नहीं है कि CNAP सिस्टम कॉलर के गोपनीयता के अधिकार को कैसे संभालेगा, जो निजता के अधिकार का एक अनिवार्य बड़ा महत्वपूर्ण घटक है. इसके अलावा देश मे बहुता सारे लोग कई कारणों से गुमनाम रहना पंसद करते हैं जैसे की व्हिसल-ब्लोअर आदी. इसके अलावा इसके माध्यम से लोगों को परेशान भी किया जा सकता है.