Transgenders: समाज का एक ऐसा तबका जहां लोग कई चुनौतियों का रोज सामना करते हैं। कई परेशानियों और तानों को झेलते हैं, बावजूद इसके जीवन की लड़ाई बखूबी लड़ते हैं। जी हां, ऐसे की चुनौतियों का सामना करते हुए पहली बार दो ट्रांसजेंडर ने इतिहास रच दिया है।
पहली बार सरकारी सेवा में शामिल होकर न केवल समाज के सामने मिसाल कायम की है, बल्कि ये भी साबित कर दिखाया है कि मन में लगन और विश्वास हो, तो कुछ भी असंभव नहीं।समाचार एजेंसी ANI के अनुसार डॉ. प्राची राठौड़ और डॉ. रूथ जॉन पॉल उस्मानिया जनरल सरकारी अस्पताल (OGS) में बतौर मेडिकल अफसर के रूप में शामिल होने वाले पहले ट्रांसजेंडर डॉक्टर बने हैं।
Transgenders : मैं अपने समुदाय के साथ खड़ी रहूंगी-डॉ.प्राची राठौड़
Transgenders: डॉ.प्राची राठौड़ ने कहा कि यहां तक की मेरी यात्रा, जीवन में उतार-चढ़ाव वाले हर ट्रांसजेंडर के समान है। मैंने बचपन से ही अपने कॉलेज में, एमबीबीएस के दौरान और इमरजेंसी डॉक्टर के रूप में काम करते हुए बहुत भेदभाव का सामना किया। ये यात्रा नरक की तरह थी, लेकिन अब मैं सभी के सामने हूं।
डॉ.प्राची ने कहा कि आज अपने आत्मविश्वास के कारण मैं अपने समुदाय और आप सभी की सेवा कर रही हूं। प्राची ने कहा कि मैं किसी प्रेरित नहीं थी, लेकिन मैं चाहती था कि कोई मुझसे प्रेरित हो।
मैं निश्चित रूप से समुदाय के लिए वहां खड़ी रहूंगी, जहां उन्हें मेरी जरूरत महसूस होगी। डॉ.राठौड़ ने कहा कि पीजी मेडिकल की पढ़ाई के लिए दिल्ली गई, लेकिन खराब परिस्थितियों के कारण उन्हें वापस हैदराबाद लौटना पड़ा।
कहा कि सारी उपलब्धियों के बावजूद दाग और भेदभाव कभी नहीं खत्म होता।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर के सामने आने वाली परेशानियों को देखते हुए नौकरियों और शिक्षा में कुछ आरक्षण मिलना चाहिए।जिससे उन्हें आगे बढ़ने में बहुत मदद मिलेगी।
Transgenders : बहुत संघर्ष और मेहनत से पाया मुकाम
Transgenders : डॉ रूथजॉन पॉल ने कहा कि मैंने बचपन से ही अपने लिंग के कारण बहुत संघर्ष किया। डॉक्टर बनने के सपने ने मुझे और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। मुझे समाज, दोस्तों और रिश्तेदारों से कई कलंक का सामना करना पड़ा। हालांकि, मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और मैं सुपरिटेंडेंट को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिनकी वजह से मैं यहां हूं।
डॉ .पॉल ने कहा कि मैंने अपने पीछे सभी अफवाहों को छोड़ दिया और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया। मेरे समुदाय के कई लोगों ने मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे पिता का बचपन में निधन हो गया था। मैंने पहले अंशकालिक डॉक्टर के रूप में ट्रांसजेंडरों के लिए एक एनजीओ क्लिनिक में काम किया था। बाद में, मुझे उस्मानिया में चुना गया।
Transgenders : सुपरीटेंडेंट ने राज्य सरकार के कदम को सराहा
Transgenders : उस्मानिया जनरल अस्पताल ओजीएस के अधीक्षक डॉ. नागेंद्र ने इस पहल के लिए राज्य सरकार के कदम को सराहा। उन्होंने बताया कि उस्मानिया अस्पताल में एक ट्रांसजेंडर क्लिनिक स्थापित करने का प्रस्ताव था। 3 चिकित्सा अधिकारियों के लिए रिक्तियां थीं, 36 डॉक्टरों ने इन पदों के लिए आवेदन किया था। हमने 3 ट्रांसजेंडर डॉक्टरों की भर्ती की है। इनमें 2 ट्रांसवुमेन हैं और 1 एचआईवी प्रभावित चिकित्सा अधिकारी भी है।
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