Deficiency of Vitamin D: बढ़ते तनाव और खानपान असंतुलित होने का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक हेल्थ रिपोर्ट में आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं, कि वर्तमान में देश के अधिकतर लोग तनाव और कमजोर हड्डियों की समस्या से परेशान हैं। ध्यान योग्य है, कि इसमें 15 वर्ष की आयु से लेकर 45 वर्ष तक के युवा तनाव और कमजोर हड्डियां की बीमारी से ग्रसित हैं। ये डाटा एक गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रहा है, ऐसे में बेहद जरूरी है, कि समय रहते इस रोग को खत्म किया जाए, मगर कैसे? क्या हो हमारी संतुलित डाइट,उपचार और जीवनशैली। इन्हीं सभी पहलुओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, ताकि समय रहते आप भी सतर्क हो जाएं और कुछ स्वस्थ्य आदतों को अपने जीवन में अपनाना शुरू कर दें।

Deficiency of Vitamin D: तनाव का सीधा असर जुड़ा है विटामिन-D से
एक हेल्थ स्टडी के अनुसार भारत में करीब 49 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनमें विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) है।इस कमी की वजह से लोगों में तनाव (Stress) बढ़ रहा है। मेडिकल जर्नल नेचर (Nature) में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, भारत, अफगानिस्तान और ट्यूनीशिया जैसे देशों की करीब 20 फीसदी आबादी विटामिन डी की कमी से जूझ रही है। बात अगर भारत की बात करें, तो यहां करीब 49 करोड़ लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं।
वहीं अमेरिका, कनाडा और यूरोप के देशों में यह आंकड़ा क्रमश: 5.9 फीसदी, 7.4 फीसदी और 13 फीसदी है। विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) का तनाव (Stress) के साथ सीधा संबंध पाया है। दिल्ली के मशहूर अस्पताल के चिकित्सक डा निशांत कापड़ी का कहना है, कि विटामिन डी की कमी से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने की संभावना अधिक होती है। विटामिन डी की कमी और मेंटल डिस्ऑर्डर के अधिकतर मामले 2 वर्ष पूर्व कोरोना काल के दौरान सामने आए, जब संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगा दिया गया। लोग अपने घरों के अंदर कैद हो गए। ऐसे में विटामिन डी उन्हें आवश्यकता के मुताबिक मिला ही नहीं।

इन लक्षणों से पहचानें, शरीर में है विटामिन-D की कमी
शरीर में विटामिन डी की कमी का सबसे बड़ा लक्षण है हर वक्त थकान रहना। हेल्दी डाइट और भरपूर नींद के बाद भी थकान का बनी रहती है, तो समझ जाइए आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है। इसका पता आप ब्लड टेस्ट कराके भी लगा सकते हैं।ऐसे व्यक्ति जिनकी कमर और हड्डियों में दर्द रहता हो। ये भी विटामिन-डी का प्रमुख लक्षण है।
ऐसे लोग जोकि हर वक्त तनाव और एंग्जाइटी का फील करते हैं, मसलन छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आना, दांत कमजोर होना ये भी दर्शाता है, कि आपके में विटामिन डी की कमी है।हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम जरूरी है, लेकिन कैल्शियम बॉडी में तब तक अब्जॉर्ब नहीं होगा जब तक शरीर में विटमिन डी ना हो।

क्या हैं कारण
हमारा शरीर सीधे तौर पर विटामिन-डी की पूर्ति सूर्य की रोशनी और भोजन से करता है। लेकिन जब हम सामान्य मात्रा से भी कम धूप नहीं लेते, हमारे लिवर और किडनी विटामिन-डी को सक्रिय रूप में परिवर्तित नहीं कर पाते, तो हमें इसकी कमी होती है। इसकी कमी से ऑस्टियोपोराइसिस यानी हड्डियों का रोग होता है। इसके अलावा थॉयराइड के मरीज एवं टीबी के मरीजों में भी इसकी कमी होती है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे जो स्तनपान करते हैं, क्योंकि मां के दूध में भी विटामिन-डी की कमी होती है। 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों में इसकी कमी पाई जाती है।
कैसे हो विटामिन-डी की पूर्ति
मछली विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्तोत्र मानी गई है। इसके अलावा कॉड लिवर ऑयल का सेवन भी कर सकते हैं।इसके अलावा मशरूम, अंडा, दूध, पनीर, दालें, डेरी उत्पाद, संतरे का जूस, सोया मिल्क और संतुलित भोजन इसके सबसे अच्छे स्तोत्र हैं। इसकी पूर्ति का सबसे अच्छा स्तोत्र सुबह-सुबह सूर्य की रोशनी में बैठना अथवा योगाभ्यास करना भी है। क्योंकि हमारी त्वचा सूर्य की रोशनी सीधे अवशोषित कर लेती है।जिनके शरीर में इसकी कमी बहुत अधिक पाइ जाती है, डॉक्टर्स अकसर उन्हें विटामिन-डी के इंजेक्शन लगवाने की सलाह भी देते हैं।
क्या है विटामिन-बी12 और कैसे होती इसकी कमी
आजकल लोगों में विटामिन-बी12 की कमी भी आम हो गई है। ये हमारे शरीर के लिए एक अनिवार्य विटामिन है। जिसे शरीर खुद नहीं बना सकता। इसे कोबानलामिन के नाम से भी जाना जाता है। ये मुख्यत हमारे लिवर में जमा रहता है। इसकी पूर्ति पूरी तरह से हमारे आहार पर निर्भर होती है। ये शरीर से आसानी से बाहर भी आ जाता है। ऐसे में इसे शरीर के अंदर स्टोर करना बेहद जरूरी हो जाता है। इसकी अधिक कमी होने पर हमें न्यूरो, शरीर में जकड़न, थकान आदि शिकायतें होने लगतीं हैं।

विटामिन-बी-12 की कमी के कारण
गौर किया जाए, तो विटामिन-बी12 का हमारे शरीर में बहुत जरूरी भूमिका है, यही डीएनए में लाल रक्त कोशिकाएं बनाता है। शरीर को इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिलने से इसकी कमी हो जाती है। इसके महत्पूर्ण लक्षणों में जीभ का लाल होना, उसमें दाने दिखना, शरीर का पीला पड़ना, मुंह में छाले, स्पर्श की अनुभूति नहीं होना, सुन्नपन, शरीर के किसी भाग में सुन्नपन महसूस होना, सिर में दर्द, यादादाश्त कमजोर होना, बार-बार चीजों को भूल जाना, नजर कमजोर होना, चाल-ढाल में बदलाव, मूड तेजी से बदलना, थकान, सुस्ती, सांस फूलना, बेहोशी और कान बजना, भूख कम लगना और शरीर में खून की कमी होना आदि हैं।ये लक्षण दिखते ही ब्लड टेस्ट करवाएं और जल्द से जल्द किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें।

कैसे करें विटामिन-बी-12 की पूर्ति
विटामिन-बी-12 एक ऐसा पोषक तत्व है, जो केवल मांस, दूध और दूध से बने पदार्थ, अंडे आदि में बहुतायत में पाया जाता है। इसका अवशोषण शरीर में छोटी आंत के जरिये होता है। ऐसे में पेट से आंत तक पहुंचने के बीच अगर कहीं बाधा आ जाए, तो इसकी कमी हो जाती है।
ऐसे में चिकन, मछली, अंडा और मांस का सेवन कर सकते हैं। जो व्यक्ति शाकाहारी हैं, वे इसकी पूर्ति अंकुरित दाल, प्रोटीन वाले भोजन, दूध, पनीर, दही, खमीर एवं सोया उत्पाद के जरिये कर सकते हैं। इसकी बहुत अधिक कमी यानी शरीर में इसका स्तर 45 माइक्रोग्राम से नीचे पहुंचने पर डॉक्टर अक्सर इंजेक्शन लगवाने की सलाह देते हैं। ऐसे में आज के दौर में फिट रहिये और अपना ध्यान रखिये।
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