किन लोगों को मिलती है VIP सुरक्षा और कैसे तय होती है इसकी कैटेगरी… यहां जानें सबकुछ

    भारत में दी जाने वाली सुरक्षा को आमतौर पर औपचारिक रुप से ‘वीआईपी सुरक्षा’ (VIP Security) भी कहा जाता है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा सुरक्षा ऐसे लोगों को दी जाती है जो नागरिक समाज या फिर सरकार में किसी बड़े पद पर होते हैं।

    0
    352
    किन लोगों को मिलती है VIP सुरक्षा और कैसे तय होती है इसकी कैटेगरी... यहां जानें सबकुछ - APN News
    VIP SPG Security

    पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी लिखकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सुरक्षा में चूक को लेकर मामला उठाया Le। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है की सुरक्षा में किसी तरह की कोई चूक नहीं हुई थी, बल्कि राहुल गांधी ही सुरक्षा (Security) के घेरे से बाहर चले गए थे। इसके अलावा कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) और बॉलीवुड अदकारा कंगना रनौत (Kangna Ranaut) को भी दी गई सुरक्षा (VIP Security) को लेकर काफी बहस होती रहती है।

    भारत में किसे मिलती है VIP सुरक्षा?

    भारत में दी जाने वाली सुरक्षा को आमतौर पर औपचारिक रुप से ‘वीआईपी सुरक्षा’ (VIP Security) भी कहा जाता है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा सुरक्षा ऐसे लोगों को दी जाती है जो नागरिक समाज या फिर सरकार में किसी बड़े पद पर होते हैं।

    NSG Security
    NSG Security

    ये भी पढ़ें – सीट बेल्ट और हेलमेट न पहनना पड़ सकता है भारी, जानिए सड़क हादसों के बारे में क्या बताती है ROAD ACCIDENTS IN INDIA रिपोर्ट…

    कैसे मिलती है VIP सुरक्षा?

    केंद्र सरकार द्वारा किसी भी व्यक्ति विशेष को दी जाने वाली सुरक्षा और किसको किस श्रेणी (Category) की सुरक्षा देनी है इसका निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा खुफिया ब्यूरो (Intelligence Bureau – IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing – R&AW) जैसी खुफिया एजंसी द्वारा दिये गए इनपुट के आधार पर लिया जाता है। ये दोनों खुफिया विभाग अपने विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट देकर बताते हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य असामाजिक तत्वों से किस प्रकार का खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय इस संबंध में अंतिम निर्णय लेता है।

    इसके अलावा कुछ लोग सरकार में उच्च ओहदों पर होने का कारण अपने आप ही इस प्रकार की सुरक्षा की श्रेणी में आ जाते हैं, इनमें राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उसके परिवार के सदस्य के अलावा रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) भी अपने पद के कारण इस सुरक्षा के दायरे में आ जाते हैं।

    आखिर कितनी होती है VIP सुरक्षा की श्रेणियां?

    भारत में दी जाने वाली वीआईपी (VIP) सुरक्षा की मोटे तौर पर छह श्रेणियां होती हैं, जिनमें एक्स (X), वाई (Y), वाई-प्लस (Y-Plus) , जेड (Z), जेड-प्लस (Z-Plus) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group – SPG)।

    VIP Security

    इसमें से SPG को केवल प्रधान मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करनी होती है। 2019 से पहले SPG का सुरक्षा कवच पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ गांधी परिवार को भी दिया जाता था। SPG के अलावा अन्य सुरक्षा श्रेणियों की सुरक्षा, खुफिया एजंसी द्वारा दिए गए इनपुट के आधार पर किसी भी व्यक्ति को दी जा सकती है। इसके अलावा प्रत्येक श्रेणी में सुरक्षाकर्मियों की संख्या अलग-अलग होती है।

    X श्रेणी की सुरक्षा

    देश में आमतौर पर दी जाने वाली सबसे छोटी सुरक्षा एक्स (X) श्रेणी की की है। इस सुरक्षा श्रेणी में किसी व्यक्ति (Protectee) की सुरक्षा के लिये 2 सुरक्षाकर्मी मौजूद होते हैं, लेकिन कोई भी कमांडो शामिल नहीं होता।

    Y श्रेणी की सुरक्षा

    वाई श्रेणी के तहत किसी व्यक्ति (Protectee) की सुरक्षा के लिये एक बंदूकधारी कमांडो और स्थायी सुरक्षा के लिये 1 (रोटेशन के आधार पर अलग से चार) सुरक्षाकर्मी दिए जाते हैं। कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री को भी Y श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

    Y+ सुरक्षा श्रेणी

    वाई (Y+) सुरक्षा श्रेणी के तहत जिस भी व्यक्ति (Protectee) को सुरक्षा दी गई को दो बंदूकधारी कमांडो (रोटेशन के आधार पर अलग से चार), और निवास की सुरक्षा के लिये एक (रोटेशन के आधार पर अलग से चार) सुरक्षाकर्मी दिए जाते हैं। बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत को भी Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

    Z श्रेणी की सुरक्षा

    जेड (Z) सुरक्षा श्रेणी के तहत जिस भी व्यक्ति (Protectee) को सुरक्षा दी गई को कुल छह बंदूकधारी कमांडो और निवास की सुरक्षा के लिये दो (अतिरिक्त 8) सुरक्षाकर्मी दिए जाते हैं।

    Z+ सुरक्षा श्रेणी

    जेड प्लस (Z+) सुरक्षा श्रेणी के तहत जिस भी व्यक्ति (Protectee) को सुरक्षा दी गई को 10 से अधिक NSG या फिर अन्य अर्धसैनिक बलों के कमांडो होते हैं। इनके अलावा आवास की सुरक्षा के लिये 2 (अतिरिक्त 8) CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।

    Kangana Security
    Kangana Security

    इन सुरक्षा श्रेणियों के अंदर और भी कई प्रकार के सुरक्षा कवर होते हैं जैसे निवास की सुरक्षा, कार्यालय की सुरक्षा और अंतर-राज्य (Inter State) सुरक्षा आदि शामिल होते हैं।

    ये भी पढ़ें – Pele को यूं हीं नहीं माना जाता दुनिया का महान फुटबॉलर, यहां पढ़ें उनके करियर की कहानी…

    कौन देता है VIP सुरक्षा?

    इस समय देश में प्रधानमंत्री और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी SPG की है। इसके अलावा अन्य सभी लोगों को सुरक्षा कवर प्रदान करने का जिम्मा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के पास है। इन सब केंद्रीय सुरक्षा बलों के अलावा स्थानीय पुलिस के लोगों का भी सहारा लिया जाता है। हालाकि केंद्र सरकार बीते कुछ सालों से राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) से VIP सुरक्षा के बोझ कम करने को लेकर प्रयास कर रही है, लेकिन NSG की ही मांग सबसे ज्यादा है।

    rahul gandhi VIP Security
    Rahul-Gandhi-VIP Security

    VIP सुरक्षा का खर्च कौन उठाता है?

    अगर किसी को सुरक्षा खुफिया विभागों से प्राप्त जानकारी के आधार के बाद किये गए मूल्यांकन के बाद दी जाती है तो उसे यह सुरक्षा पूरी तरह फ्री पदी जाती है। हालांकि, जिन लोगों को Z और Z+ श्रेणियों की सुरक्षा दी जाती है, उन्हें सुरक्षाकर्मियों के आवास की व्यवस्था स्वयं करनी होती है, क्योंकि इस प्रकार की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है।

    सरकार कई बार खतरे का आकलन करने के बाद भी किसी व्यक्ति को दिए गए सुरक्षा कवर के लिये पैसे चुकाने को कह सकती है। वर्ष 2013 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी को दी गई Z श्रेणी की CRPF की सुरक्षा के लिए CRPF को सुरक्षा के लिये प्रतिमाह 15 लाख रुपए शुल्क लेने का आदेश दिया था।

    क्यों होती है आलोचना?

    भारत समेत दुनियाभर की खुफिया एजंसी ​​किसी भी वैधानिक निकाय (Statutory Body) के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं, और वे केवल कैबिनेट सचिवालय और गृह मंत्रालय (MHA) के अधीन कार्य करते हैं। इसके अलावा इन विभागों द्वारा जुटाई गई कोई भी खुफिया जानकारी न तो कभी सार्वजनिक की जाती है और न ही किसी अन्य विभाग द्वारा इनकी जांच की जाती है। ऐसी ही कार्य प्रणाली की अस्पष्टता के चलते कई बार यह माना जाता है VIP सुरक्षा में राजनीतिक कारणों के चलते फेरबदल किया जा सकता है।

    ये भी देखें –

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here