Nainital: आजकल जोशीमठ के धंसने की की खबरें हलकों में तेज हैं।दरकते पहाड़ और टूटते घर इसी बीच अपना सामान लेकर सिर छुपाने की जगह ढूंढ़ते परेशान लोग।पर्यावरणविदों के अनुसार अब नैनीताल भी धीरे-धीरे जोशीमठ की स्थिति की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।पर्यटक, निर्माण कार्यों का दबाव झेल रही सरोवर नगरी की कैरिंग कैपेसिटी का आकलन अब तक नहीं किया जा सका है। जबकि वर्ष 1867 से अब तक यह शहर कई भूस्खलन का दंश भी झेल चुका है।
कई वरिष्ठ भूवैज्ञानिक नैनीताल के मुद्दे को बार-बार उठा चुके हैं।गौरतलब है कि वर्ष 2000 के बाद जिस तेजी से नैनीताल में निर्माण कार्य हुए हैं, वो भविष्य में भयानक रूप ले सकता है। सात पहाड़ियों वाले इस खूबसूरत शहर में अक्टूबर 2021 की आई आपदा में हम इसका उदाहरण देख चुके हैं। नैनीताल शहर में शेर का डांडा क्षेत्र भूस्खलन के लिहाज से बहुत ज्यादा संवेदनशील है।
इस अस्थिर पहाड़ी की ढलान पर 15 हजार से अधिक लोगों की बसावट है।इस वक्त यहां के लिए खतरा बन चुका बलियनाला खिसक रहा है।नैनीताल की सबसे ऊंची पर्वत चोटी नैनी पीक भी खिसक रही है। भूकंप के लिहाज से सेस्मिक जोन 4 में आने वाले नैनीताल की नैनी झील के नीचे से फॉल्ट गुजरता है।
Nainital: भू धंसाव बैंड स्टैंड तक पहुंचा
Nainital: ध्यान योग्य है कि पिछले साल सितंबर में मल्लीताल स्थित पंत पार्क के पास बने चिल्ड्रन पार्क और इसके आसपास के क्षेत्र में भू धंसाव होना शुरू हो गया था।जो बढ़ते हुए यहां के बैंड स्टैंड तक आ पहुंचा।3 सितंबर को चिल्ड्रन पार्क के पास की दीवार नैनीझील में समा गई।
इस दौरान वहां फुटपाथ में भी दरारें पड़ गई थीं।जानकारी के अनुसार बैंड स्टैंड को जाने वाली सीढ़ी और बैंड स्टैंड के बीच एक बड़ी दरार देखी गई। प्रशासन की ओर से संबंधित विभाग को बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाए गए चैंबरों की सफाई कराने को कहा था। तत्कालीन डीएम ने भी अधिकारियों को बैंड स्टैंड को धंसाव से बचाने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए थे।बावजूद इसके अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
Nainital: प्रशासन इन बातों पर दे ध्यान
- तेजी से वनों के कटाव को रोका जाए
- मृदा अपरदन को रोकने का प्रयास तेज किया जाए
- पहाड़ों में खुदाई और दोहन पर तत्काल प्रभाव से रोक
- प्राकृतिक जलस्तोत्र से छेड़छाड़ रोकें
- प्राकृतिक जलस्तोत्र का रास्ता न बंद करें
- सीमेंट और कंक्रीट के निर्माण को रोकें
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