Explainer: अक्टूबर का महीना चल रहा है, फिर भी लगभग पूरे दिन बारिश हो रही है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है और इसके कुछ और दिनों तक जारी रहने की संभावना है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह सामान्य है या यह जलवायु परिवर्तन का संकेत देता है? वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून में देरी कई जगहों पर लगातार बारिश के लिए जिम्मेदार हैं। इन बारिश का एक कारण जलवायु परिवर्तन भी हो सकता है।

Explainer: बारिश के पैटर्न में बदलाव
बता दें कि इस साल जुलाई और अगस्त के महीने में जितनी उम्मीद थी उतनी बारिश नहीं हो पाई। बिहार और उत्तर प्रदेश के कई इलाके सूखाग्रस्त रहे। वहीं, भारत समेत दुनिया भर में बारिश होने का पैटर्न बदल रहा है। इस साल आपने देखा होगा कि यूरोप में भीषण गर्मी हुई। उन इलाकों में जहां पर अधिक बारिश होती है वहां पर बारिश की नामोनिशान नहीं दिखी ऐसे कई इलाके देखे गए जहां पर बारिश नहीं होती है वहां बारिश हुई। पाकिस्तान में भी आपने देखा होगा कि भारी बारिश के कारण कई हिस्से पूरी तरह से जलमग्न हो गए। भयंकर बाढ़ आ गई। पिछले साल सितंबर के महीने में भी भारी बारिश हुई थी।
अक्टूबर की बारिश इतनी असामान्य नहीं
हालांकि, अक्टूबर के महीने में बारिश पूरी तरह से असामान्य नहीं है, लेकिन साल भर मौसम में हो रहे अप्रत्याशित बदलाव चिंता का विषय है। अक्टूबर के महीने में, दक्षिण-पश्चिम मानसून लगभग लौट जाता है, जिससे उत्तर-पूर्वी मानसून का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। मुख्य रूप से पूर्वी भाग में इस महीने के दौरान वर्षा होती है। भारत के उत्तरी भागों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण वर्षा या हिमपात होता है।
देरी से मानसून की वापसी एक संभावित कारण
इस बारिश का एक अन्य कारण मानसून की देरी से वापसी भी हो सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर अक्टूबर की शुरुआत में पूरी तरह से लौट जाता है, जिससे वापसी के दौरान स्थानीय क्षेत्रों में गरज और भारी वर्षा होती है। आम तौर पर, मानसून की विदाई सितंबर तक हो जाती है। लेकिन इस बार बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात के बनने के कारण मानसून का लौटना अभी बाकी है और संभावना है कि इस क्षेत्र में 12-13 अक्टूबर तक बारिश होती रहेगी।

कैसे होती है बारिश, क्या है इसका गणित?
जाते-जाते समझते हैं कि आखिर बारिश होती कैसे है। इसके पीछे का गणित क्या है? इसमें मुख्य भूमिका तापमान और दबाव का होता है। गर्मी जैसे-जैसे बढ़ती है तो हवा का दबाव कम होता है और यह हवाएं ऊपर की ओर उठती हैं इसके बाद ज्यादा दबाव वाले क्षेत्र के बादल कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर आते हैं और जिसके कारण बारिश होने लगती हैं। आसान भाषा में समझते हैं.. जब कभी नमी वाली गर्म हवा किसी ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आ जाती है तब बारिश होती है।
गर्म हवा के मुकाबले ठंडी हवा में ज्यादा पानी इकट्ठा रहती है और जब यह हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु में मिल जाती हैं और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती हैं। जिसे हम बारिश या वर्षा होना कहते हैं।
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