Environment: Van Mahotsav 2022 का आगाज, पर्यावरण संरक्षण के लिए रोपें अधिक से अधिक पौधे

Environment: वन महोत्सव देश में प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाता है।महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किया जाता है।

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Environment: Van Mahotsava 2022

पेड़ हैं तो हम हैं, हरियाली से हमें शुद्ध ऑक्‍सीजन मिलती है। लोगों को पेड़ों का महत्‍व बताने और पर्यावरण संरक्षण को ध्‍यान में रखते हुए प्रतिवर्ष वन महोत्‍सव मनाया जाता है।वन महोत्सव देश में प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाता है।महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किया जाता है।वर्ष 1960 के दशक में यह पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था।आप भी कुदरत के योगदान को ध्‍यान में रखते हुए इस वर्ष अधिक से अधिक पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे सकते हैं।

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Environment: जुलाई के पहले सप्‍ताह में ही क्‍यों मनाया जाता है वन महोत्‍सव?

भारत में जुलाई और अगस्त का महीना वर्षा ऋतु का होता है।यही सीजन बेहतर नमी के कारण पेड़-पौधों के उगने के लिए अच्छा माना जाता है। इस मौसम में पेड़-पौधे जल्दी उगते हैं।यही वजह है कि भारत सरकार की ओर से हर वर्ष वन महोत्सव 1 जुलाई से 7 जुलाई तक मनाया जाता है। पूरे 1 सप्ताह तक चलने वाले इस महोत्सव का उद्देश्य मनुष्यों को वृक्षों के प्रति जागरूक करना है, उनका महत्‍व बताना है।

वर्ष 1950 में खाद्य और कृषि मंत्री कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी ने इस महोत्सव का आगाज किया था। उनसे पहले 1947 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के प्रयासों से वन महोत्सव की शुरुआत की गई थी। हालांकि ये सफल नहीं हुआ। जिसके बाद कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी ने इसका फिर से आगाज किया।

Environment: वन क्षेत्र हासिल करने में भारत तीसरे स्‍थान पर

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Environment: Van Mahotsava 2022.

संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्‍था जीएफआरए यानी ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्सेस असमेंट हर 5 वर्ष बाद अपनी रिपोर्ट जारी करता है।रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 से 2015 के बीच कुल वन क्षेत्र में तीन फीसदी की कमी आई है। दूसरी तरफ वैश्विक वन संसाधन आकल 2020 की रिपोर्ट 27 जुलाई 2020 को प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2019-2020 के दौरान वन क्षेत्र हासिल करने के मामले में भारत ने 10 देशों में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।रिपोर्ट में आंकड़े बताते हैं कि भारत में वनों में 0.38 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।

सूची में चीन सबसे ऊपर है, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया और चिली का स्थान आता है। एफआरए ने भारत सरकार के संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम को स्वीकार किया है।लगातार बढ़ती आबादी,ग्‍लोबल वार्मिंग का असर पर्यावरण पर पड़ा है।यही वजह है कि लगातार पेड़ों की संख्‍या कम हो रही है। ऐसे में समय रहते सजग होना जरूरी है।

Environment: आदिकाल से ही रहा है पेड़ों का महत्‍व

पेड़ों का महत्‍व आदिकाल से रहा है।इन्‍हें हमारे देश में धार्मिक एवं आयुवेर्दिक रूप से भी काफी महत्‍व दिया जाता है। यानी पूजा से लेकर दवा और लकड़ी से लेकर हवा तक।इनकी भूमिका बेहद महत्‍वपूर्ण होती है।पेड़ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं, वायु गुणवत्ता में सुधार करते हैं। जलवायु में सुधार करते हैं।यहां तक की पानी का संरक्षण भी करते हैं। इससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण है कि ये मिट्टी का संरक्षण करते हैं। राष्ट्रीय वन नीति के मुताबिक हमारे देश में 33 फीसदी वनों की उपलब्धता पर्यावरण के लिए अनुकूल होती है, जबकि हमारे केवल 24.5 फीसदी वन शेष बचे हैं।

Environment: हर आयु वर्ग के लोगों को ऐसे मनाना चाहिए ‘वन महोत्‍सव

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Environment: Van Mahotsava 2022.

देश में वनों एवं वृक्षों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 8,07,276 वर्ग किलोमीटर है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.56 फीसदी है।यानी कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किलोमीटर। ऐसे में हर आयु वर्ग के लोगों को वन महोत्‍सव मनाना चाहिए। इसे पर्व के रूप में मनाते हुए अधिक से अधिक स्‍थानों पर पौधरोपण करना चाहिए।इसके साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी होने चाहिए। हम इन प्रयासों के जरिये पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

  • अधिक से अधिक पौधे रोपें।
  • स्‍कूलों एवं कॉलेजों में इको क्‍लब बनाएं।
  • इको क्‍लब की गतिविधियों में पौधे रोपें।
  • लोगों को पेड़ों का महत्‍व बताएं।
  • अपनी गली, पार्क, सड़क किनारे बरगद, कनेर, गुलमोहर के पौधे लगाएं।
  • पौधों की सिंचाई एवं समय-समय पर निराई करें।
  • खाद एवं अन्‍य चीजें डालें।
  • घने छायादार और हर्बल पौधे लगाएं।

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