Environment News: खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा

हाल ही में आई राइस यूनिवर्सिटी के जॉर्ज आर ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन का उपयोग प्रदूषण के बढ़ने का अहम कारण है।

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Environment News: खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा

Environment News: ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि दुनिया भर में प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर की ओर हर रोज बढ़ता ही जा रहा है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण की स्थिति पूरे विश्व में गंभीर बनी हुई है। बावजूद इसके रोजाना आप और हम जाने- अनजाने प्रदूषण फैलाने वाली चीजों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व में दिन- प्रतिदिन जैसे- जैसे नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। उससे पर्यावरण पर एक बड़ा खतरा मंडरा है।

Environment News: खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा
Environment News खेतों में खतरनाक उर्वरक का इस्तेमाल

हाल ही में आई राइस यूनिवर्सिटी के जॉर्ज आर ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन का उपयोग प्रदूषण के बढ़ने का अहम कारण है। खेती के लिए किया गया इसका प्रयोग लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। राइस यूनिवर्सिटी के जॉर्ज आर ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के पर्यावरण वैज्ञानिकों ने ये अध्ययन अमेरिकी फसल भूमि पर किया है। जहां उन्होंने ने नाइट्रोजन की मात्रा की अधिकता पाई है।

Environment News: खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा
Environment News खेतों में खतरनाक उर्वरक का इस्तेमाल

Environment News: तीन सालों की मेहनत के बाद मिले नतीजे

सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के सहयोगी प्रोफेसर डैनियल कोहन और ग्रेजुएशन कर रही लीना लुओ के नेतृत्व में ये स्टडी की जा रही थी। साल 2011, 2012 और 2017 से ही इस शोध पर काम किया जा रहा था। इस स्टडी में जमीन में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा का मापन किया गया है। साथ ही हवा पर उनके प्रभावों की तुलना की गई है।

Environment News: खेतों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से बढ़ रहा पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा
Environment News खेतों में खतरनाक उर्वरक का इस्तेमाल

स्टडी में पाया गया कि वातावरण में लगातार नाइट्रोजन उत्सर्जन की मात्रा बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि मौसमी और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण इनका उत्सर्जन अलग- अलग होता है।

स्टडी में पाया गया कि अमोनिया से कुल वार्षिक नुकसान बहुत अधिक $ 72 बिलियन था, वहीं नाइट्रोजन ऑक्साइड ($ 12 बिलियन) और नाइट्रस ऑक्साइड का ($ 13 बिलियन) रहा।

बता दें कि वायु प्रदूषण के नुकसान को मृत्यु दर और बीमारियों की बढ़ोतरी के आधार पर मापा जाता है, जबकि जलवायु परिवर्तन के नुकसान में फसलों, संपत्ति, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरे शामिल हैं।

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