Environment News: ग्लोबल वार्मिंग का असर सीधे पर्यावरण पर पड़ रहा है। मौसम में लगातार होते बदलावों ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है। धरती के सबसे ठंडे इलाकों में से एक आर्कटिक महासागर और ग्रीनलैंड के कुछ हिस्सों में तापमान में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है। वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के अनुसार आर्कटिक के जलस्तर में बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले कुछ सालों से यहां बने ग्लेशियर अब पिघलने लगे हैं।
यही वजह है कि समुद्र तल में बढ़ोतरी हो रही है। अमेरिका की यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) नामक संस्था ने इस बाबत एक नक्शा भी जारी किया है। जिसमें पूरे आर्कटिक क्षेत्र के तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस का इजाफा दर्शाया गया है। नक्शे के मुताबिक आर्कटिक क्षेत्र में तापमान बढ़ने का असर रूस के साइबेरिया इलाके में दिख रहा है। नक्शे के मुताबिक साल के शुरुआती चार महीनों में, जितनी गर्मी पड़ी है, उतनी 1981 से लेकर वर्ष 2010 तक एकदम नहीं पड़ी थी। आर्कटिक हीटवेव की वजह से इस बार नक्शे में साइबेरिया का रंग गाढ़ा लाल दिख रहा है।कुछ ऐसा ही एक नक्शा रूस के मौसम वैज्ञानिकों ने भी जारी किया है।

Environment News: आर्कटिक के तटों के आसपास का तापमान बढ़ा
रूस के मौसम विभाग रोशहाइड्रोमेट के अनुसार उत्तरी समुद्री मार्ग पर स्थित आर्कटिक के तटों के आसपास के क्षेत्र के तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। साइबेरिया के साथ-साथ गिडान, यमाल और तेमिर जैसे इलाकों में तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इन इलाकों में सामान्य से 16 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान हो गया है। ऐसे में बढ़ते तापमान का असर है कि बर्फीली नदियों की बर्फ पिघल रही है।
Environment News: बड़े महानगरों में बढ़ रहा तापमान

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बड़े महानगरों में तापमान बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि इस साल पूरी दुनिया में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है। एशिया, अफ्रीका और यूरोप जैसे महाद्वीपों में बेतहाशा तापमान में बढ़ोतरी हुई है।इसके साथ ही यहां के जंगलों में लगती आगजनी ने दिक्कत और भी बढ़ा डाली है। इस पर समय रहते अंकुश लगाना अब बेहद जरूरी हो गया है।
संबंधित खबरें
- Environment News: Delhi में Air Quality Index सुधारने पर जोर, 1 अक्टूबर से लागू होगा ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम
- Environment News: स्वदेशी धरती पर दौड़ेंगे अफ्रीकी चीते, South Africa और Namibia से लाई जाएंगीं विशेष प्रजातियां