Environment Conservation के लिए बलिदान करने वालों को श्रद्धांजलि देने का दिन है, ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’

Environment Conservation : पूरे देश में जंगलो का संरक्षण वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। जो इस महत्वपूर्ण संपदा के संरक्षण और इसकी देखरेख में अथक प्रयास कर रहे हैं। इसमें बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो जंगल में दूरदराज के इलाकों में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पहचानता।

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Environment Conservation: Update News
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Environment Conservation: कुदरत अनमोल है, ऐसे में इससे मिली चीजों नदी, पर्वत और जंगल हमें बहुत कुछ देते हैं।ऐसे में हमारा भी ये दायित्‍व बनता है कि हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी भूमिका निभाएं।जंगल और वन्य जीवों की सुरक्षा में बलिदान देने वाले जिन वनकर्मियों को वन विभाग शहीद मानता आ रहा है, उन्‍हें याद रखने और श्रद्धांजलि देने के लिए सरकार राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाती है।इस वर्ष 17 वां राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जा रहा।

वर्ष 2013 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय वन शहीद दिवस को आधिकारिक बनाया गया। इसके बाद साल 2020 में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के उत्‍सव को राष्ट्रीय स्‍तर पर कर दिया गया।

Environment Conservation: Rashtriya Van Diwas ki news
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Environment Conservation: आखिर 11 सितंबर को ही क्‍यों मनाया जाता है राष्ट्रीय वन शहीद?

जानकारी के अनुसार 11 सितंबर 1730 को राजस्‍थान के खेजड़ली में एक दर्दनाक घटना घटी थी। उसी घटना के शहीदों की याद में प्रतिवर्ष 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाने का फैसला सरकार ने लिया।
दरअसल राजस्‍थान के महाराज अभय सिंह द्वारा खेजड़ली के पेड़ों को काटने के विरोध में अमृता देवी बिश्‍नोई के नेतृत्‍व में राजस्‍थान के बिश्‍नोई समुदाय के 360 से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। खेजड़ली के पेड़ राजस्‍थान के खेजड़ली गांव में बिश्‍नोई समुदाय के लोगों द्वारा बेहद पवित्र माना जाता है।

Environment Conservation: क्या है SOP ?

Environment Conservation: safety for jungles
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Environment Conservation: पूरे देश में जंगलो का संरक्षण वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। जो इस महत्वपूर्ण संपदा के संरक्षण और इसकी देखरेख में अथक प्रयास कर रहे हैं। इसमें बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो जंगल में दूरदराज के इलाकों में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पहचानता।पर्यावरण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे में वे अपराध, बीमारी और अकेलेपन से जूझते हैं।

औसतन प्रतिदिन एक आदमी और जानवर के टकराव के कारण एक शख्स को जान गंवानी पड़ती है।
चाहे सुंदरवन हो या राजस्‍थान का जैसलमेर, कोनिफर्स के जंगल से लेकर हिमालय तक ये लोग ही गश्‍ती करते हैं। बीते कई वर्षों में वन विभाग ने जंगल और जंगली जानवरों की देखरेख में अपने कई वन कर्मियों को खोया है। लगभग 1400 लोग वनों की रक्षा की खातिर प्राण गवाएं हैं।

वनों की सुरक्षा और विकास कार्यों के लिए सरकार के द्वारा वन कर्मियों के प्रशिक्षण और वन प्रबंधन के लिए क्षमता विकास का कार्य किया जा रहा है। अग्रिम पंक्ति के वन कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों की मदद के लिए मंत्रालय एसओपी ( Standard Opportunity Program) पर भी काम कर रहा है।
एसओपी एक लिखित दस्तावेज होता है, जिसमें चरणबद्ध तरीके से ये निर्देश दिए जाते हैं, कि किसी कार्य को किस तरह से, कब और कैसे करना है यही एसओपी कहलाता है। यानी स्‍टैंडर्ड अपॉचुर्निटी प्रोग्राम वर्तमान समय में सभी सरकारें किसी भी कानून को बनाने के लिए एसओपी का ही इस्‍तेमाल करतीं हैं।

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