गुलजार…बस नाम ही काफी है। भारत में शायद ही कोई ऐसा सिने प्रेमी, संगीत प्रेमी या साहित्य प्रेमी हो, जिसने कभी ना कभी गुलजार की रचना को देखा ना हो, सुना ना हो या पढ़ा ना हो। जानेमाने गीतकार और फिल्म निर्देशक गुलजार ने कुछ ही दिन पहले अपना 83वां जन्मदिन मनाया था। जन्मदिन पर उन्हें कई उपहार मिले। पर इस जन्मदिन पर उन्हें एक ऐसा उपहार मिला कि उनका जन्मदिन तो सार्थक हुआ ही, बरसों पुरानी उनकी मिहनत भी साकार हो गई। वह उपहार यह है कि साल 1988 से ही बॉक्स ऑफिस पर रिलीज का इंतजार कर रही उनकी फिल्म ‘लिबास’ इस साल बडे पर्दे पर रिलीज होगी।
‘लिबास’ पिछले 29 साल से यह फिल्म फिल्म महोत्सव निदेशालय के अभिलेखागार में पडी हुई थी। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी जैसे दिग्गज कलाकार थे। ऐसे दिग्गज कलाकारों सजी यह फिल्म महज इसलिए डब्बे में बंद कर दी गई थी कि फिल्म में एडल्ट मुद्दों को उठाया गया था। शायद यह फिल्म उस दौर में से आगे की फिल्म थी जिसकी वजह से रिलीज नहीं की गई थी। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इसकी रिलीज टलने की वजह कुछ और थी। और वह वजह थी डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के बीच मनमुटाव का हो जाना। लेकिने हमारे मायनगरी के सूत्रों के अनुसार ट्रेड एनालिस्ट विकास मोहन के बेटे अमुल और अंशुल मोहन इस फिल्म को रिलीज करने जा रहे हैं।
Papa's life long dream is finally coming true! @ZeeClassic and I are going to theatrically release Gulzar Saab's #Libaas later this year. pic.twitter.com/07oPt6EGew
— Amul Vikas Mohan (@amul_mohan) August 18, 2017
‘लिबास’ गुलजार के ही कथा संग्रह ‘रावी पार’ की एक लघुकथा ‘सीमा’ पर आधारित है। फिल्म की कहानी रंगमंच निर्देशक सुधीर (नसीरुद्दीन शाह) और उनकी अभिनेत्री पत्नी सीमा (शबाना आजमी) के ईद-गिर्द घूमती है। उनकी जिंदगी यूं तो बहुत खुशहाल नजर आती है, लेकिन कई बार होता है ना चीजें जो उपर से दिखती हैं वैसी होती नहीं। इस फिल्म की असल कहानी परतों में छुपी है।
इस फिल्म में नसीर और शबाना के अलावा राज बब्बर, सुषमा सेठ, उत्पल दत्त, अनु कपूर और सविता बजाज भी मुख्य भूमिका में हैं। सोने पे सुहागा वाली बात यह है कि इस फिल्म का महान संगीतकार आर.डी.बर्मन ने दिया था। आपने दिल के सूने तारों को झिंझोड़ देने वाले ‘सिली हवा छू गई’ गाने को जरूर सुना होगा। यह गाना इसी फिल्म का है। अब जब ये फिल्म रिलीज होने वाली है, तो इस गाने को बड़े परदे पर देखने का मजा कुछ अलग ही होगा। इस फिल्म के कुछ अनसुने गाने भी देखने व सुनने को मिलेंगे।
वैसे गीतकार और कवि गुलजार की जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव का दौर रहा है। 934 में आज के पाकिस्तान में जन्मे गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार ने अपना करियर मशहूर फिल्मकार विमल रॉय के साथ किया था। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों ‘आनंद,’ ‘गुड्डी,’ ‘बावर्ची,’ ‘गोलमाल,’ ‘मिली,’ और ‘नमक हराम’ जैसी फिल्मों के लिए गीत के साथ-साथ डायलॉग और स्क्रीनप्ले भी लिखे। बाद में गुलजार अपनी फिल्में भी बनाने लगे। मेरे अपने,परिचय,इजाजत, आंधी,कोरा-कागज,किताब,लेकिन, हू-त-तू,माचिस उनकी ही फिल्में हैं। गुलजार अपनी अलग तरह लेखन शैली व सीधी साधी, मानवीय रिश्तों की पड़ताल करती फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। ‘लिबास’ के जरिए गुलजार साहब के एक नए पहलू को देखने रोमांच भला कौन छोड़ना चाहेगा।