-Shweta Rai
Bollywood Songs: सावन के महीने में प्रकृति सोलह शृंगार करके नए रूप स्वरूप में प्रकट होती है। हर ओर हरियाली ही हरियाली छायी रहती है। ऐसे में अगर कोई मीठी तान छेड़ दे तो क्या कहने। मन मयूर नाच उठते हैं। बॉलीवुड भी सावन के प्रेम से अछूता नहीं रहा और उसने सावन की खूबसूरती को कभी नायिका के सौन्दर्य के तौर पर पेश किया ,तो कभी विरह की वेदना को दिखाने के लिये , सावन के दिल चुरा लेने वाले माहौल को बॉलीवुड ने बखूबी अपने परदे पर उतारा है।
Bollywood Songs: फिल्में और बरसात
हिन्दी सिनेमा में हर मौसम को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया लेकिन सावन का जो सौन्दर्य फिल्मों में दिखाया गया वो अनोखा ही था जिसे देखकर हर कोई खींचा चला आता है और बरबस ही मन बारिश की बूँदों में भीगने लगता है और हो भी क्यों न इस मौसम का खुमार ही कुछ इस तरह का है कि हर एक पर इसका नशा सा छाने लगता है। याद करिये फिल्म “छलिया” का वो गीत “डम-डम, डिगा- डिगा” जिसमें मौसम के जादू और उससे पड़ने वाले प्रभाव को बहुत ही सुंदरता से इस गीत में फिल्माया गया है। जहाँ एक तरफ मौसम का नशा है तो दूसरी तरफ प्रेमिका के प्यार का खुमार है।
Bollywood Songs: सावन की ऋतु प्रेमी प्रेमिका के मिलन की ऋतु कही जाती है जहाँ एक तरफ धरती का सौन्दर्य चरम पर होता है और प्रकृति का हर कोना आनन्द के रस में डूबा होता है। इसी सौन्दर्य को हिन्दी फिल्मों में बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है। याद करिये “आवारा” फिल्म का वो गीत “प्यार हुआ ,इकरार हुआ” जिसे नरगिस और राजकपूर पर फिल्माया गया है जिसमें प्रेमी-प्रेमिका के मिलन को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है ।
Bollywood Songs: “गुड्डी” फिल्म का गीत “बोल रे पपीहरा, नित घन बरसे, नित मन प्यासा, नित मन तरसे”। जिसे अपनी सुमधुर आवाज़ से संजोया था कर्नाटक हिन्दुस्तानी संगीत की देवी “वाणी जयराम”ने … जो राग “मिया की मल्हार” पर आधारित है और कहा जाता है कि इस राग को “तानसेन” ने बनाया था। इस गीत के लिए वाणी जयराम को शास्त्रीय संगीत पर आधारित सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मी गीत के “तानसेन सम्मान” से भी सम्मानित किया गया था।
Bollywood Songs: सावन के महीने में एक तरफ प्रेमी युगल की मिलने की उत्कंठा बढ़ जाती है तो वहीं यदि सावन की वर्षा में कामिनी के साथ यदि उसका प्रिय हो तो यह ऋतु और भी अधिक सुहावनी लगती है। मिलन की सुखद स्मृतियों में ही वह आनंदित हो उठती है। ऐसे में लता जी की मधुरतम आवाज़ में, “ओ सजना बरखा बहार आई, रस की फुहार लाई, अखियों में प्यार लाई” औऱ सलिल चौधरी की मीठे धुनों पर सजा शास्त्रीय, लोक और पहाड़ी धुनों को मिलाकर बना ये गीत जिसे फिल्म “परख” में दिखाया गया है बेहद सुरीला बन पड़ा है। बारिश की रस भरी फुहार किस तरह से पेड़ पौधों के साथ साथ प्रेमिका के दिल में भी प्रेम रस का संचार करती है, उसी का वर्णन है इस गीत में किया गया है।
Bollywood Songs: फिल्म “चलती का नाम गाड़ी” का गीत “ एक लड़की भीगी-भागी सी” आज भी लोगों बरबस अपनी ओर खींचता है जिसमें किशोर कुमार के अल्हड़पन को दिखाया गया है तो वहीं मधुबाला की सादगी जिसमें थोड़ी सी मस्ती है तो थोड़ी सी शरारत भी दिखायी गयी है। सावन की बूंदें प्रकृति के अथाह सौन्दर्य के रूप में हर घड़ी प्रेम का संदेश देती है।
Bollywood Songs: इस मौसम की खास बात ये है कि इस मौसम का आनंद हर वर्ग उठाता है जिसमें सभी का मन एक बच्चे की तरह मचल उठता है और अगर प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ हो तो इस मौसम की खूबसूरती और बढ़ जाती है।
नमक हलाल का लोकप्रिय गीत ‘आज रपट जाए तो हमें न उठइयो’ इसी तरह का गीत है जिसमें स्मिता-अमिताभ को बड़े दिलकश अंदाज़ में दिखाया गया है, तो वहीं 1979 में “योगेश” का लिखा ‘रिमझिम घिरे सावन, सुलग-सुलग जाये मन,भीगे आज इस मौसम में, लागी कैसी ये अगन’ वो मधुर गीत है जो आज भी लोगों के दिलों को सावन रूपी बादल से भिगो देता है। वाकई में ये ऋतु प्रेमी युगल की ऋतु है।
Bollywood Songs: सावन का मौसम जहाँ मिलन का संदेश देता है तो वहीं वर्षा की सुखद फुहारें विरह और विरहिणी के लिए तीर सी चुभन देने लगती हैं । आनंद बख्शी का लिखा “चांदनी” फिल्म का गीत “लगी आज फिर सावन की झड़ी है” में प्रेमी की विरह वेदना को दर्शाने के लिये भी बारिश की बूँदों का ही सहारा लिया गया है।
इस महीने में गरजते बादल प्रिय का संदेश देने की जगह डराते हैं और उसकी विरह वेदना को और बढ़ा देते हैं। “धरती कहे पुकार के” फिल्म में “जा रे कारे बदरा” विरह की वेदना को दर्शाता है जिसमें प्रेमिका अपने प्रियतम को बादलों के जरिये अपना संदेश भेजती हैं और उलाहना भी देती हैं। तो दूसरी तरफ उमड़ते-घुमड़ते बादल प्रेमिका की आँखो से वो सपने भी ओझल कर देते हैं जिनमें वो डूबी हुई है।
Bollywood Songs: सावन हो और सावन के झूलों की बात ना हो ये कैसे हो सकता है…तो वहीं सावन के झूले उसकी याद की टीस को और बढ़ा देते हैं और बरबस उसका मन अपने प्रियतम को पुकारने लगता है। वाकई में इस मौसम का खुमार कहें या फिर प्रकृति का सौन्दर्य इसके सामने दुनिया की किसी भी चीज़ का कोई मोल नहीं है। परदेस गये प्रियतम के लिये बस एक ही संदेश देती हैं कि जल्दी से वापस चले आओ। ऐसे में फिल्म जुर्माना का लता मंगेशकर की आवाज में गाया गीत सबकी जुबान पर कायम रहता है….सावन के झूले पड़े….तुम चले आओ। शारदा सिन्हा का भी एक गीत “चल अहिया पल्टनिया के जहाज से पिया” तो सावन की याद बरबस दिला जाता है।
Bollywood Songs: सावन का महीना प्रेमियों के दिलों में एक नई उमंग भर देता है ,तो वहीं विवाहिता सावन लगते ही अपने मायके जाने के लिये और अपनी बचपन की सखियों से मिलने के लिये बेचैन हो जाती है, बहनों को अपने भाई और भाई की राखी की याद दिला जाता है। फिल्म “बंदिनी” फिल्म का गीत “अबकी बरस भेजो भईया को बाबुल को संदेश” जिसमें एक बहन अपने भाई को बड़े मार्मिक अंदाज़ में संदेश भेजते हुये कह रही है कि “अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे,रिमझिम पड़ेंगी फुहारें,लौटेंगी फिर तेरे आंगन में बाबुल सावन की थड़ी बहारें,छलके नयन मोरा कसके रे जियरा,बचपन की जब याद आए रे।”
Bollywood Songs: हिंदी सिनेमा में शायद सावन ही वो मौसम में जिसे फिल्मी पटकथाओं में और गीतों में सबसे ज्यादा प्रमुखता दी गई है और ऐसा होना वाजिब भी है क्योंकि सावन ही वो अकेला मौसम है जिसके आने भर से चारों ओर हरियाली ही हरियाली, रंग-बिरंगे पुष्पों की निराली छटा, रिमझिम फुहारों का मधुर संगीत ,कोयल की कूक , भवरों का सुमधुर गुंजन ,पपीहे की पुकार का ऐसा समां बंधता है, मानो आकाश रूपी नायक ने वर्षा कर से धरा पर कोई संदेश भेजा हो और धरा रूपी नायिका अपने प्रिय आकाश की प्रतीक्षा में सुसज्जित होकर मिलनातुर, प्रफुल्लित कोई गीत गुनगुना रही हो।
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