Bollywood News: हिंदी सिनेमा की कामयाब जोड़ियां, जिनके किस्से रील और रियल लाइफ दोनों में रहे मशहूर

Bollywood News: हिंदी सिनेमा की शुरुआत से ही अभिनेता और अभिनेत्रियों की जोड़ियां चर्चा का विषय रही हैं। वो जब भी पर्दे पर आयीं तो दर्शकों ने उन्हें बेहद पसन्द किया। उनमें से कुछ जोड़ियों ने असल जिन्दगी में भी एक दूसरे का हाथ थामा तो वहीं दूसरी तरफ कई जोड़ियां ऐसी भी रहीं जिनके बारे में लोग अनुमान ही लगाते रह गए।

0
318
Bollywood News
Bollywood News: हिंदी सिनेमा की कामयाब जोड़ियां, जिनके किस्से रील और रियल लाइफ दोनों में रहे मशहूर

-श्वेता राय

Bollywood News: हिंदी सिनेमा की शुरुआत से ही अभिनेता और अभिनेत्रियों की जोड़ियां चर्चा का विषय रही हैं। वो जब भी पर्दे पर आयीं तो दर्शकों ने उन्हें बेहद पसन्द किया। उनमें से कुछ जोड़ियों ने असल जिन्दगी में भी एक दूसरे का हाथ थामा तो वहीं दूसरी तरफ कई जोड़ियां ऐसी भी रहीं जिनके बारे में लोग अनुमान ही लगाते रह गए, लेकिन जीवन में उन्होंने अपना एक अलग साथी चुना और दर्शक सिर्फ अनुमान लगा कर रह गए। आज हम आपको इन्हीं ही मशहूर जोड़ियों और उनके रील और रियल लाइफ के बारे में बताने जा रहे हैं।

Bollywood News: रील लाइफ की पहली हिट जोड़ी राजकपूर और नरगिस की

Bollywood News: रील लाइफ की पहली हिट जोड़ी राजकपूर और नरगिस की

बॉलीवुड में जब भी 70 के दशक की बेहतरीन जोड़ियों की बात होती है तो उनमें सबसे पहला नाम राज कपूर और नरगिस दत्त का आता है। दोनों ने 16 फिल्में एक साथ की जिनमें 6 फिल्में आर.के. बैनर के तले ही बनीं। यही नहीं ‘बरसात’ में नरगिस और राज कपूर के बीच एक ऐसा सीन फिल्माया गया जिसकी खूब चर्चा हुई। इससे राज कपूर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे अपने बैनर आर.के. फिल्म्स का प्रतीक चिह्न यानी (Logo) बना दिया। लेकिन इनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री के साथ इनकी ऑफ स्क्रीन केमिस्ट्री की भी खूब चर्चा हुई जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है ।

राज कपूर और नरगिस दत्त की पहली मुलाकात 1948 में हुई थी। जब दोनों की पहली मुलाकात हुई तब नरगिस महज 20 साल की थी और राज कपूर 22 साल के थे। नरगिस महज 20 सालों में आठ फिल्मों में काम कर चुकी थीं। दूसरी ओर राज कपूर अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे। नरगिस से पहली मुलाकात के वक्त राज कपूर अपनी पहली फिल्म के लिए एक स्टूडियो की तलाश में थे।

उन्हें पता लगा कि नरगिस की मां जद्दनबाई फेमस स्टूडियो में ”रोमियो एंड जूलिएट” की शूटिंग कर रही हैं। वो जानना चाहते थे कि वहां किस तरह की सुविधाएं हैं और कैसा स्टूडियो है। इस सिलसिले में जब राजकपूर उनके घर पहुंचे तो नरगिस ने खुद दरवाजा खोला।

लव एट फर्स्ट साइट तो आपने सुना होगा कुछ ऐसा ही हुआ राजकपूर के साथ जब उन्होंने नरगिस को पहली बार देखा और देखते ही रह गये। नरगिस जो उस समय पकौड़े बना रही थी और जिसकी वजह से उनके माथे पर बेसन लगा था । राजकपूर साहब नरगिस की इस मासूमियत को देख बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने तुरंत ही नरगिस की मां से कहा, “आपकी बेटी मेरी हीरोइन बनेंगी।” ये मुलाकात राजकपूर के दिल में इस हद तक घर कर गयी कि आगे चलकर उन्होंने यही दृश्य अपनी फिल्म बॉबी में भी इस्तेमाल किया, जब फिल्म में पहली बार ऋषि कपूर डिंपल से मिलने जाते हैं। इसके बाद ही नरगिस ने राजकपूर के साथ आग, बरसात, अंदाज़, आवारा जैसी कई फिल्मों में काम किया।

इसके बाद 1956 में फिल्म आयी चोरी- चोरी। इस फिल्म में राजकपूर और नरगिस की केमिस्ट्री खूब नजर आयी। केवल ऑन स्क्रीन ही नहीं बल्कि ऑफ स्क्रीन भी इन दोनों के प्यार के किस्से मशहूर होने लगे। राजकपूर के शादीशुदा होने के बावजूद हकीकत में ये दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे। नरगिस राजकपूर से इतनी शिद्दत से प्रेम करने लगी थी कि एक सफल अभिनेत्री बनने के बावजूद भी एक वक़्त आया कि उन्होंने राजकपूर के कहने पर फिल्म इंडस्ट्री में किसी और के साथ काम करने से मना कर दिया था।

ये उस अदाकारा का अपने प्रेम के पर्ति समर्पण था। इसके बाद वो राजकपूर के साथ मिलकर आर.के. बैनर्स को सफल बनाने में लग गयीं। उन्होंने हर सुख दुःख में राजकपूर का हमेशा साथ दिया। ग्लैमर और फिल्मी दुनिया का हिस्सा होने के बावजूद नरगिस उस दुनिया की चकाचौंध से एकदम अछूती रहीं इसकी एक बहुत बड़ी वजह थी उनका खूबसूरत व्यक्तित्व।

राजकपूर और नरगिस का प्रेम फिल्म इंडस्ट्री में एक आदर्श प्रेम की मिसाल बन गया था। इसकी एक खास वजह थी नरगिस की बेपनाह मोहब्बत और राजकपूर के प्रति उनकी सच्ची आस्था और विश्वास का मज़बूत धागा जिसने उन्हें लगभग 9 सालों तक एक-दूसरे से जोड़े रखा था।

रील लाइफ से मिला नरगिस को रियल लाइफ का सच्चा प्यार

sunit

राजकपूर के साथ इतने लम्बे और मजबूत रिश्ते में नरगिस को वो मुक्क़मल जीवन नहीं मिला जिसकी चाहत उन्हें हमेशा से थी। वो अपना एक खूबसूरत परिवार चाहती थी। जिस वजह से वो बहुत परेशान रहने लगी थीं। उसी दौरान महबूब खान एक अनोखी फिल्म बनाने की सोच रहे थे जिसका नाम था ”मदर इंडिया”। यह एक महिला प्रधान फिल्म थी। महबूब खान ने नरगिस से इस फिल्म की अभिनेत्री बनने की गुज़ारिश की और नरगिस ने उनकी इस गुज़ारिश को स्वीकार भी कर लिया और यही फिल्म इनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट थी।

मदरइंडिया में नरगिस के अपोजिट पहले दिलीप कुमार काम करने वाले थे पर दिलीप कुमार ने ये बात कह कर इस फिल्म को रिजेक्ट कर दिया कि ”आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं पूरी फिल्म में नरगिस को मां कहकर पुकारता रहूं, वो तो मेरी हीरोइन रही हैं, मैं उन्हे मां के रूप में कैसे देख सकता हूं।” हालांकि यह सुनकर महबूब खान ने उन्हें ये सुझाव भी दिया कि वो दिलीप कुमार को डबल रोल दे देंगे जिसमें पिता का किरदार भी वह ही निभायेंगे और बेटे का भी, लेकिन फिर भी दिलीप कुमार नहीं माने और ये फिल्म मिल गयी सुनील दत्त साहब को।

यही वो फिल्म थी जिसने नरगिस के जीवन में नये रंग भर दिये। इन सब के बीच नरगिस को ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि इस फिल्म के बाद उनकी ज़िन्दगी बदलने वाली थी। फिल्म मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान भीषण आग लगी थी जिसमें नरगिस बुरी तरह से फंस गयी थीं और तब सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किये बिना आग में कूदकर नरगिस की जान बचाई थी।

इस घटना की वजह से नरगिस का एक हाथ जल गया लेकिन सुनील दत्त का चेहरा और शरीर के कुछ हिस्से बुरी तरीके से जल गए थे। इसके बाद नरगिस ने दिन-रात अस्पताल में सुनील दत्त की बहुत सेवा की। नरगिस ये विश्वास ही नहीं कर पा रही थी कि इस मतलबी दुनिया में सुनील दत्त जैसे महान लोग भी हैं। उस वक्त उन्होनें अपनी डायरी में लिखा ”जो मैं हमेशा सबके लिए सबकुछ करती रही लेकिन मेरे लिए किसी ने कुछ नहीं किया,घरवालों को सिर्फ मेरे कमाएं पैसों से मतलब है। राज और उसके परिवार के लिए भी हमेशा मैं ही सब करती हूं,वो मेरे लिये कुछ नहीं करते,राजकपूर मुझे मिस्ट्री बनाकर ताज़िन्दगी रख सकते हैं, लेकिन वो मेरा हाथ कभी नहीं थामेंगे।”

2008 में हार्पर कॉलिंस से किश्वर देसाई की किताब ”डार्लिंगजी:द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस एंड सुनील दत्त”आयी। जो नरगिस की लिखी डायरी पर आधारित थी जिसमें नरगिस ने अपने पर्सनल जीवन के बारे मे लिखा था। वो सुनील दत्त के उदार स्वभाव से बेहद प्रभावित हुई थी। हालांकि सुनील दत्त शुरू से ही नरगिस को बहुत पसंद करते थे। दूसरी तरफ जब सुनील दत्त की बहन बीमार पड़ गई। वो मुंबई में किसी डॉक्टर को नहीं जानते थे। ऐसे में नरगिस बिना सुनील दत्त को बताए उनकी बहन को लेकर अस्पताल में चली गई और उनका इलाज करवाया। इससे सुनील दत्त नरगिस को और भी चाहने लगे। उन्होंने नरगिस को शादी के लिए प्रपोज किया और 11 मार्च 1958 में ये खूबसूरत जोड़ी शादी के पवित्र बंधन में बंध गयी ।

Bollywood News: वहीदा रहमान गुरु दत्त की कामयाब और प्रेरक जोड़ी

Bollywood News: वहीदा रहमान गुरु दत्त की कामयाब और प्रेरक जोड़ी

हिन्दी फ़िल्मों की दूसरी रूमानी जोड़ी थी वहीदा रहमान और गुरु दत्त की। जो बेहद हिट रही। एक तरफ़ जहां राज कपूर और नरगिस ने हमेशा अपने फ़िल्मी जीवन और वास्तविक जीवन के संबंधों को अलग-अलग करके रखा, वहीं गुरु दत्त ने अपने जीवन की वास्तविकता को पर्दे पर उतारा। 1957 में आयी ‘प्यासा’ पहली फिल्म थी जिसमें दर्शकों ने पहली बार पर्दे पर गुरु दत्त और वहीदा रहमान को एक साथ देखा और साथ ही गुरूदत्त की वहीदा के प्रति उनके अप्रतिम प्रेम को भी देखा। जिसे गुरूद्त ने 70 के दशक के पर्दे पर इस तरह से फिल्माया की दर्शक भी दोनों के प्यार की गहराई को महसूस करने लगे।

कहते हैं कि हर किसी की कहानी में कभी न कभी तीसरा किरदार भी आता ही है और गुरूदत्त की ज़िन्दगी में भी आया जब उनकी मुलाकात वहीदा रहमान से हुई। गुरुदत्त 1955 में अपनी फिल्म प्यासा के लिये एक नये चेहरे की तलाश कर रहे थे इसी वक्त उनके हैदराबाद के डिस्ट्रीब्यूटर मन्नू भाई नें उन्हें ”मिसिअम्मा” फिल्म का रीमेक बनाने को कहा और वह अबरार अलवी के साथ फ्लाइट न मिलने की वजह से कार में ही निकल पड़े, लेकिन जैसे ही वह हैदराबाद पहुंचे उनकी कार के आगे एक भैंस आ गयी जिससे उनका एक्सीडेंट हो गया।

उन लोगों को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन कार खराब होने की वजह से उन्हें वहीं 2 दिन रुकना पड़ा। वक्त बिताने के लिये जब वह डिस्ट्रीब्यूटर से मिलने गये तो वहां उन्होंने एक खूबसूरत लड़की को कार से उतरते देखा जो बेहद सादे लिबास में खूबसूरत लग रही थी। बाद में पता चला कि वो वहीदा रहमान थी जिन्होंने एक साउथ की फिल्म ”रोजरू मराई” में डांस परफॉरमेंस दी थी। बस क्या था फिर एक छोटी सी मुलाकात के बाद गुरु दत्त ने उन्हें मुम्बई आने का ऑफर दे दिया और उन्हें अपनी फिल्म ”सीआईडी” के लिये साइन कर लिया। इसके बाद 1957 में ”प्यासा” फिल्म आयी जिसमें वहीदा ने गुलाबो का रोल प्ले किया और ये फिल्म बेहद हिट रही जिसमें दर्शकों ने पहली बार पर्दे पर गुरु दत्त और वहीदा रहमान को एक साथ देखा ।

धीरे-धीरे वहीदा को गुरु दत्त चाहने लगे। कहा जाता है कि वहीदा भी उन्हें पसन्द करती थी लेकिन उन्हें पता था कि गुरू दत्त शादीशुदा थे। वहीदा न केवल असल ज़िन्दगी में बल्कि फिल्मी पर्दे पर भी उनकी फिल्में इंस्पिरेशन थी। इसके बाद गुरु दत्त ने ”कागज़ के फूल” बनायी जो उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था और कहा जाता है कि कहीं न कहीं गुरु दत्त ने अपनी असल ज़िन्दगी को भी इस फिल्म के ज़रिये पर्दे पर उतारने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच गुरु दत्त की अपनी पत्नी गीता दत्त से दूरियां बढ़ने लगी।

फिल्म कागज़ के फूल में गुरुदत्त सुरेश नामक एक निर्माता की भूमिका में नज़र आते हैं। फिल्म में सुरेश को अपनी नयी फिल्म के लिए एक नए चेहरे की तलाश है और फिर उसकी मुलाक़ात दिल्ली में शांति (वहीदा) से होती है। बहुत जल्दी ही शान्ति सुरेश की काफी प्रिय हो जाती हैं और उसकी फिल्म की हीरोइन भी बन जाती हैं। उनकी असल ज़िन्दगी की तरह फिल्म कागज़ के फूल में भी सुरेश और शांति के प्यार को सुखद अंजाम नहीं मिल पाया। उनके बीच काफी गहरी बातें तो होती थी,कई बार एक-दूसरे के अनकहे अलफ़ाज़ भी वो समझ जाते थे। ज़्यादा कुछ बोलते नहीं, मगर एक दूसरे की भावनाएं खूब समझते थे। जैसा की सुरेश ने एक दृश्य में कहा था, “हम एक दूसरे को हमेशा समझ लेते हैं।”

वहीदा और गुरुदत्त का प्रेम जगजाहिर था और अगर लोगों की मानें तो उन दोनों के रिश्ते की वजह से ही गीता दत्त अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगी थी। जैसे-जैसे गुरुदत्त और वहीदा का प्यार आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे गीता दत्त से उनकी दूरियां भी बढ़ने लगी। हालांकि गुरुदत्त ने बाद में 1960 में चौदहवीं का चाँद और साहिब,बीबी गुलाम जैसी हिट फिल्म वहीदा के साथ की लेकिन अपनी पत्नी से बढ़ती दूरियों और वहीदा से अपने रिश्तों के चलते गुरुदत्त एकदम टूट गये।

‘प्यासा’ बनने के दौरान गीता और उनके बीच दूरियां आनी शुरू हो गई थी । कारण था उनकी अपनी हीरोइन वहीदा रहमान से बढ़ती नज़दीकियां और उनकी यही नजदीकियां गीता दत्त और गुरुदत्त के बीच झगड़े का कारण बनी। दोनों के बीच शक़ इस हद तक बढ़ गया कि एक दिन गुरु दत्त को एक चिट्ठी मिली। उसमें कहा गया था कि, “मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। अगर तुम मुझे चाहते तो आज शाम को साढ़े छह बजे मुझसे मिलने नरीमन प्वॉइंट पर आओ… तुम्हारी वहीदा” ।

जब गुरु दत्त ने ये चिट्ठी अपने दोस्त अबरार को दिखाई तो उन्होंने कहा कि मुझे ये नहीं लगता कि ये चिट्ठी वहीदा ने लिखी है। दोनों ने इस चिट्ठी का रहस्य जानने की योजना बनाई। अबरार अपनी फ़िएट कार में नरीमन प्वॉइंट पहुंचे और उन्होंने अपनी कार सीसीआई के पास एक गली में पार्क कर दी। उन्होंने देखा कि गीता दत्त और उनकी दोस्त स्मृति बिस्वास एक कार की पिछली सीट पर बैठी किसी को खोजने की कोशिश कर रही हैं। पास की बिल्डिंग से गुरु दत्त भी ये सारा नज़ारा देख रहे थे। घर पहुंच कर दोनों में इस बात पर ज़बरदस्त झगड़ा हुआ और दोनों के बीच बातचीत तक बंद हो गई। गीता दत्त से बढ़ती दूरियां और वहीदा के बीच के रिश्ते ने गुरुदत्त को उलझन में डाल दिया था जहां वो गीता से प्यार करते थे वहीं वहीदा उनकी प्रेरणा थी वो दोनों को खोना नहीं चाहते थे और एक वक्त ऐसा आया कि वो जिन्दगी की कश्मकश में उलझकर रह गये और उन्होने मौत को गले लगाना बेहतर समझा। 10 अक्टूबर 1964 को इस महान कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया और इसी के साथ फिल्म इंडस्ट्री का एक सुनहरा दौर और एक प्यारी जोड़ी हमेशा के लिए खत्म हो गई ।

Bollywood News: मधुबाला – दिलीप कुमार, किस्मत में नहीं था मिलना

Bollywood News:  मधुबाला - दिलीप कुमार, किस्मत में नहीं था मिलना

बॉलीवुड में सबकी हर दिल अज़ीज़ जोड़ी बनी मधुबाला और दिलीप कुमार की जोड़ी। इस जोड़ी को दर्शकों ने भी बेहद पसन्द किया। न केवल पर्दे पर बल्कि असल ज़िन्दगी भी ये दोनों एक हसीन रोमांटिक जोड़ी के रुप में उभर कर सामने आए लेकिन अफ़सोस कि ये जोड़ी केवल पांच साल ही चल पाई, फ़िल्मों में भी और असल ज़िन्दगी में भी। मधुबाला दिलीप कुमार की प्रशंसक थी।

पहली बार जब उन्होंने दिलीप कुमार को अपने सामने देखा तो वो पहली नज़र में ही दिलीप कुमार को चाहने लगी थी। दिलीप साहब की उस वक्त शादी नहीं हुई थी और उन्हें यह अहसास भी नहीं था कि मधुबाला उन्हें मन ही मन चाहने लगी हैं। एक दिन उनके पास कोई आया और एक पत्र और लिफाफा थमा कर चला गया और कहा कि मधुबालाजी ने दिया है।

दिलीप ने पत्र पढ़ा उसमें लिखा था कि ”आपको एक गुलाब का फूल भेज रही हूं। प्यार कबूल हो तो गुलाब अपने पास रखिए वरना इन्हीं हाथों वापस भेज दीजिए।” दिलीप कुमार ने वह फूल अपने पास रख लिया और इसी के साथ बेहतरीन सितारों का एक रोमांटिक सफर शुरू हुआ। लेकिन इस प्यार पर बहुत पहरे थे। मधुबाला के लिये उन पहरों से निकलना आसान नहीं था । वह पहरे में इस कदर सिमटी कि उससे वो फिल्में भी छिनी जिनमें दिलीप कुमार हीरो थे क्योंकि मधुबाला का परिवार उन्हें बाहर की शूंटिग की इजाज़त नहीं दे रहा था। उनके पिता अताउल्ला खान बहुत सख्त मिज़ाज के थे और दिलीप कुमार को नापसन्द करते थे ।

एक दिन दोनों ही बगावत पर उतर आये और फिल्म इन्सानियत के प्रीमियर पर एक साथ नज़र आये । दिलीप कुमार ने अपनी बहन सकीना के हाथों मधुबाला का हाथ मांगने के लिये रिश्ता भेजा जिसे मधुबाला के पिता ने ठुकरा दिया और उन पर पहरे बिठा दिये गये। बात 1956 की है जब ढाक के मलमल की शूटिंग चल रही थी इसी दौरान दिलीप ने ओमप्रकाश को ग्रीन रूम में बुलाया और जब वहां पहुंचे तो मधुबाला भी उनके साथ थी। उन्होंने उन्हें बैठने को कहा और मधुबाला से दिलीप कुमार ने कहा कि मेरे घर पर काज़ी आ गया है। हम इसी वक्त शादी करेंगे लेकिन साथ में ही ऐसी शर्त रख दी कि मधुबाला दिलीप साहेब से कुछ नहीं कह पायीं।

दिलीप साहेब ने उन्हें अपने पिता के साथ सारे रिश्ते तोड़ने की शर्त रख दी और इसी शर्त के साथ दोनों के रिश्ते के बिखरने की शुरुआत हुई। दिलीप कुमार ये कहते हुए वहां से चले गये कि अब वो दोबारा उनकी जिन्दगी में कभी नहीं आयेंगे। लेकिन इन सबके बाद भी दोनों एक साथ फिल्म कर रहे थे । बीआर चोपड़ा की फिल्म ”नया दौर” की शूटिंग के दौरान जब उनके पिता ने उन्हें भोपाल जाने की इजाजत नहीं दी और चोपड़ा साहेब की फिल्म से निकाल देने पर मधुबाला के पिता ने उनपर केस कर दिया।

इस केस के दौरान दोंनो का ट्रायल भी हुआ और इस केस में दिलीप साहेब ने सच का साथ दिया यानी बीआर चोपड़ा का। जिस वक्त दोनों के रिश्तों मे दूरियां शुरू हो गयी थी उसी वक्त ”मुगलेआज़म” की शूटिंग चल रही थी। इस फिल्म में कुछ ऐसा था जो धीरे-धीरे कर दो रिश्तों के टूटने का गवाह बन रहा था। इस फिल्म के दौरान दिलीप का मधुबाला को थप्पड़ मारने का जो सीन फिल्माया गया वो असल में हुआ था। दिलीप साहेब मधुबाला से इतने खफा थे कि उन्होंने मधुबाला को सही में थप्पड़ मारा था। जिससे मधुबाला काफी टूट सी गयी थीं। अब दो प्यार करने वाले दिल अलग हो चुके थे। बस इस कहानी को किसी तरह एक ग्रेट फिल्म बनना था। यूसुफ यानी दिलीप कुमार ने बाद में सायरा बानू से शादी कर ली और मधुबाला मिसेस किशोर कुमार हो गई। इसी के साथ बेपनाह मोहब्बत करने वाले एक दूसरे से हमेशा के लिए बिछड़ गये।


Bollywood News: देवानंद – सुरैया, जमाना बना दुश्मन, चाह कर भी न मिल पाए

Bollywood News: देवानंद – सुरैया, जमाना बना दुश्मन, चाह कर भी न मिल पाए

देवानंनद और सुरैया फिल्म इंडस्ट्री की वो जोड़ी थी जो अपनी रियल लाइफ में कभी एक नहीं हो पाये लेकिन दोनों का प्यार इतना पाक और गहरा था कि जब भी देवानन्द की बात होती है तो सुरैया का नाम खुद ब खुद जुबान पर आ जाता है। यह उन दिनों की बात है जब फिल्म विद्या की शूटिंग चल रही थी। उन दिनों देव आनंद की नजर सिर्फ सुरैया को ही देखा करती थी।

एक दिन सुरैया ने देव आनंद से पूछ लिया कि ‘आप मुझे ऐसे क्यों देखा करते हैं?’ तो उन्होंने कहा कि ‘मेरे भीतर बहुत से सवाल चल रहे हैं और उन सवालों की तलाश तुम्हारे चेहरे पर आकर रुकती है। इसलिए बस मन करता है कि तुम्हें देखता रहूं पर हां, यकीन करो एक दिन तुम्हें सब कुछ बता दूंगा।” दोनों की बातचीत अभी चल ही रही थी कि बीच में आकर निर्देशक ने कहा कि ”सुरैया जी तैयार हो जाइए कुछ ही देर में फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाली है और आपको देव आनंद जी के बालों में अंगुलियां फेरते हुए एक गाना शूट करना है।”यही वो मौका था जब देव ने सुरैया से कहा कि ”क्या शॉट आया है। आज मेरे बालों में किसी सुन्दरी की अंगुलियां होंगी और वो भी ऐसी सुन्दरी की जिसकी सुन्दरता की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है।”

फिल्म विद्या में ये सीन शूट किया गया औऱ इसी के साथ दोनों एक दूसरे के करीब आते गये। विद्या की शूटिंग के दौरान नाव के उपर एक सीन फिल्माया जा रहा था। तभी सुरैया फिसल कर नदी में गिर गयीं और देवसाहेब ने उन्हे बचाया फिर क्या था देवसाहेब सुरैया की ज़िन्दगी के असली हीरो बन गये थे। सुरैया उन्हें प्यार से ”स्टीव” बुलाती थी और देव साहेब उन्हें ”नोज़ी” कहकर पुकारते थे। देवानंद के अनुसार,” सुरैया से मेरी पहली मुलाकात फिल्म ”जीत” के सेट पर हुई थी , जिसमें हम दोनों पहली बार साथ आ रहे थे। वो सुरैया का शासनकाल था और मैं फिल्म उद्योग में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहा था। हम दोनों चुंबक की तरह नजदीक आते चले गए। हम एक-दूसरे को पसंद करते थे और फिर प्रेम करने लगे।

मुझे याद है, मैं चर्च गेट स्टेशन पर उतरकर पैदल मैरिन ड्राइव में कृष्ण महल जाया करता था, जहां सुरैया रहती थी। इस अभिनेत्री की एक झलक पाने के लिए सड़क पार भीड़ लगी रहती थी।” हम लिविंग-रूम में बैठा करते थे। सुरैया की मां ने हमारे प्यार को स्वीकार कर लिया था। देवानंद और सुरैया का प्यार परवान चढ़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ दो चाहने वालों के बीच धर्म की दीवार आ खड़ी हुयी। ये उस वक्त की बात है जब देवानंद और सुरैया प्रताप ईराना की फिल्म ”जीत” में काम कर रहे थे।

फिल्म में एक सीन है जहाँ दोनों प्रेमी घर से भागकर मंदिर में शादी कर लेना चाहते थे । पर इत्तेफाक देखिये कि जो कहानी पर्दे पर घटने वाली थी वो कहानी असल जिंदगी में भी अपने को दोहरा रही थी लेकिन सुरैया की नानी गैर मजहबी शादी के सख्त खिलाफ थीं। नानी से परेशान होकर दोनों ने फिल्म के सेट पर उसी सीन के दौरान असली शादी करने का मन बना लिया और इसके लिये फिल्मी पंडित की जगह असली पंडित भी आने वाला था और फिल्म यूनिट के सभी लोगों को तैयार भी कर लिया गया लेकिन उसी फिल्म यूनिट में एक असिसटेन्ट ऐसा भी था जो उन दोनों के प्रेम से बहुत जलता था और उसने सारी बात सुरैया की नानी को बता दी और फिर क्या था… आगे से दोनों के मिलने- जुलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गयी। देवानन्द बताते हैं कि ”एक दिन नानी के हुक्म का पालन करते हुए सुरैया ने मुझे ‘नो’ कह दिया। मेरा दिल टूट गया। उस रात घर जाकर चेतन के कंधे पर मैं सिर रखकर खूब रोया और उन्हें अपनी सारी दास्तान सुना दी।” एक वक्त वो था जब रोमांटिक हीरो देवानंद सुरैया के दीवाने हुआ करते थे लेकिन अंत में भी अलग हो गयी। उधर सुरैया ने भी अपने जीवन में देव साहब की जगह किसी और को नहीं आने दिया हालांकि वो दोबारा जरूर देव साहेब से मिली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी देवानंद ने कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी और सुरैया ने ताउम्र शादी नहीं करने का फैसला लिया लेकिन दोनों हमेशा एक दूसरे से प्यार करते रहे।

Bollywood News: हेमा मालिनी- धर्मेन्द्र, ड्रीम गर्ल को मिला ही-मैन

Bollywood News: हेमा मालिनी- धर्मेन्द्र, ड्रीम गर्ल को मिला ही-मैन

एक ऐसी जोड़ी की कहानी जो किसी फैनटसी से कम नहीं है और ये जोड़ी है ”ड्रीम गर्ल” हेमा मालिनी और ”हीमैन” धर्मेन्द्र की। इन्होंने तक़रीबन 28 फ़िल्में साथ में की हैं । जिनमें अधिकतर बॉक्स ऑफ़िस पर हिट रहीं। धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी ने पर्दे की दुनिया से बाहर निकल कर अपने रोमांस को शादी में तब्दील कर दिया। फ़िल्म इंडस्ट्री की यह एक मात्र ऐसी जोड़ी है जो इतनी लंबी चली और अभी तक चल रही है।

धर्मेंद्र-हेमा की पहली मुलाकात ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘आसमान महल’ के प्रीमियर के दौरान वर्ष 1965 में हुई थी। तब तक धर्मेंद्र फिल्म इंडस्ट्री में सुपर स्टार के तौर पर स्थापित हो चुके थे और हेमा एक ही फिल्म में अभिनय कर पाई थीं, जो फ्लॉप रही थी। लेकिन धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे। एक रियलटी शो में शरीक हुईं हेमा ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि, “जब नासिक में फिल्म प्रतिज्ञा की शूटिंग चल रही थी, तब धर्मेंद्र को जब उन्होंने ‘जट यमला पहला दीवाना’ गाने पर डांस करते देखा, तो वह उनका डांस देख कर उन पर पूरी तरह से फिदा हो गयी थीं। लेकिन हेमा का दक्षिण भारतीय परिवार इस प्यार से बिल्कुल खुश नहीं था। एक तो धर्मेंद्र पंजाबी थे दूसरा वह पहले से ही शादीशुदा थे। इस वजह से उन्हें हेमा से चोरी-छिपे मिलना पड़ता था। कई बार हेमा के परिवार से कोई न कोई शूटिंग सेट पर भी आ जाता था ।वे दोनों शूटिंग के बाद बाहर भी नहीं मिल पाते थे। धर्मेंद्र और हेमा एक तरह से पहरे के बीच शूटिंग किया करते थे। धर्मेंद्र ने इसका एक नया तोड़ निकाला।

जिन-जिन फिल्मों में वह हेमा मालिनी के साथ शूट कर रहे होते उन फिल्मों के कैमरामैन को पटा लेते। हेमा के साथ रोमांटिक सीन के रीटेक बार-बार हों, इसके लिए वह कैमरामैन से कह देते कि शॉट को एक बार में ओके नहीं करना। कभी कैमरामैन लाइट कम होने की बात करता तो कभी कोई और वजह बता देता। धर्मेंद्र ने इसका भी एक कोड वर्ड बनाया था। जब सीन को रीटेक कराना होता तो वह हौले से अपना कान छू लेते। इसी तरह जब उन्हें सीन को ओके करना होता वह अपनी नाक को सहलाते। इस तरह वह हेमा के साथ लंबा वक्त बिता पाते थे। लेकिन जब धर्मेंद्र की पत्नी प्रकाश कौर को उनके अफेयर के बारे में पता चला तो वे नाराज हो गयीं और धर्मेंद्र को तलाक देने से मना कर दिया। हेमा के पिता भी इस शादी के सख्त खिलाफ थे। मां जया भी नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी ऐसे शख्स से शादी करे जो पहले से शादीशुदा हो बल्कि जया की इच्छा थी कि उनकी बेटी गिरीश कर्नाड से शादी कर लें। धर्मेंद्र के परिवार में इसका खासा विरोध हुआ। कहा जाता है कि शादी से धर्मेंद्र के दोनों बेटे सनी और बॉबी खासे खफा हुए थे।  सारी बंदिशों को तोड़ते हुये धर्मेंद्र ने हेमामालिनी से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदल डाला और ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी ने 1980 में मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र से शादी कर ली।

Bollywood News: अमिताभ – रेखा, सिलसिला जो बीच में ही टूट गया


Bollywood News: अमिताभ – रेखा, सिलसिला जो बीच में ही टूट गया

अब मैं ऐसी जोड़ी के बारे में बताने जा रही हूं जो भले ही असल जिन्दगी में एक ना हो पाये हों लेकिन दो जिस्म एक जान जरूर हो गये। ये कहानी उस जोड़ी की हैं जिसकी चर्चा आज भी फिल्म इंडस्ट्री में की जाती है जिसकी छोटी से छोटी बात भी पेज थ्री की दुनिया की सुर्खियों में हमेशा छायी रहती है वो है रेखा और अमिताभ बच्चन की करिश्माई जोड़ी । जो अपनी ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री के लिये जानी जाती है।

इन दोनों कलाकारों का अभिनय ही ऐसा था कि लोग उन्हें वास्तविक जीवन में भी प्रेमी- प्रेमिका या पति पत्नी के रूप में देखना चाहते थे इसलिए दर्शकों को सबसे ज़्यादा दिलचस्पी अमिताभ और रेखा के संबंध में आने वाले उतार-चढ़ाव की ख़बरों में भी रहती थी। अमिताभ और रेखा को दर्शक एक साथ देखने के लिए हमेशा बेताब रहते हैं। इन दोनों ने आखिरी बार यश चोपड़ा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘सिलसिला’ में एक साथ काम किया था।

फिल्म ‘दो अनजाने’ में अमिताभ और रेखा ने पहली बार साथ काम किया। अमिताभ बच्चन का साथ मिलते ही रेखा का फिल्मी करियर उड़ान भरने लगा मानो अमिताभ उनके लिए किस्मत की लॉटरी टिकट लेकर आए हों। मशहूर फिल्म निर्देशक प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में रेखा और अमिताभ की जोड़ी ने पहली बार शोहरत के आसमान को छुआ और फिर देखते ही देखते इस जोड़ी ने हिन्दी सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया। जैसे-जैसे इन दोनों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट होने लगी वैसे-वैसे ही निजी जिंदगी में भी इनका प्यार गहरा होता चला गया।

दोनों की एक साथ की गई सुपरहिट फिल्में सुहाग, मि. नटवरलाल, गंगा की सौगंध, नमक हराम, खून पसीना और सिलसिला रहीं । अमिताभ पर अपना जादू चलाने के लिए रेखा ने खुद को पूरी तरह बदल दिया । बतौर अभिनेत्री पहली हिंदी फिल्म ‘सावन भादो’ में मोटी सी दिखने वाली रेखा, अमिताभ से प्यार के बाद काफी बोल्ड दिखने लगी और खूबसूरत दिखने लगीं। फिल्मों की खूबसूरत जोड़ी की केमिस्ट्री अब रियल लाइफ में भी एंट्री ले चुकी थी। कहा जाता है कि फिल्म ‘गंगा की सौगंध’ के सेट पर अमिताभ ने रेखा को परेशान करने वाले एक शख्स की पिटाई तक कर दी थी।

जिससे दोनों के अफेयर की खबरें जया तक पहुंच गयीं और अब रेखा भी खुद अपने करीबियों से अपने और अमिताभ के रिश्ते का ज़िक्र करने लगी थीं। लेकिन कोई था जो इस लव स्टोरी को नकार रहा था और वो थे अमिताभ बच्चन। रेखा चाहती थीं कि अमिताभ इस रिश्ते पर बात करें, लेकिन वो कभी खुलकर नहीं बोले। एक बार तो रेखा नीतू सिंह और ऋषि कपूर की शादी की पार्टी में सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर पहुंच गयीं। जिसकी वजह से दबी ज़ुबान से आवाज़ उठने लगी कि कहीं रेखा और अमिताभ ने शादी तो नहीं कर ली।

कहा जाता है कि  रेखा और अमिताभ की बढ़ती नजदीकियों की वजह से जया बेहद परेशान रहने लगी थीं। 1984 में ‘फिल्मफेयर’ को दिए एक इंटरव्यू के दौरान रेखा ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि ”किसी को इसकी फिक्र नहीं कि मैं क्या चाहती हूं। मैं तो दूसरी औरत हूँ न… उन्होंने जया पर भी बिना नाम लिए निशाना साधा कि दूसरा इंसान तो सबकी नजर में बेचारा बना हुआ है। कोई ऐसे शख्स के साथ एक छत के नीच कैसे रह सकता है जबकि वह जानता है कि वह दूसरे से प्यार करता है।”

कहते हैं कि एक दिन अमिताभ की गैरमौजूदगी में जया ने रेखा को डिनर के लिए बुलाया। डिनर के दौरान जया ने रेखा से उनके अफेयर के बारे में कुछ भी नहीं बोला । पर डिनर के बाद जब रेखा जाने लगी तो जया ने रेखा को कहा कि ”वह आखिरी सांस तक अमिताभ का साथ नहीं छोड़ेंगी।” जिसके बाद रेखा को एहसास हुआ कि उनकी और अमिताभ की जोड़ी कभी भी मुकम्मल नहीं हो सकती है।उसी समय 1980 में यश चोपड़ा इन तीनों के रिश्ते को लेकर ”सिलसिला” फिल्म बनाने की सोच रहे थे फिल्म ‘सिलसिला’ में अमिताभ-जया-रेखा ने एकसाथ स्क्रीन शेयर करना था।

अमिताभ ने यश चोपड़ा को साफ कहा कि जब तक जया रेखा के साथ काम करने की इजाज़त नहीं देगीं तब तक मैं फिल्म नहीं करूंगा। फिर यश चोपड़ा ने जया को मनाने की पहल की। हालांकि चोपड़ा साहब को ये डर था कि कहीं जया इंकार न कर दें। लेकिन जया ने काम करने के लिये हाँ कर दी ।जिसका नतीजा हुआ कि जया ने फिल्म में खुद के भी काम करने की शर्त रख डाली। फिल्म खत्म होने के साथ ही अमिताभ-रेखा भी हमेशा के लिए जुदा हो गए।

जब 1983 में फिल्म ‘कुली’ के सेट पर अमिताभ का एक्सीडेंट हुआ और अमिताभ जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे तो रेखा खुद को रोक नहीं पाईं और बच्चन साहब की एक झलक देखने के लिए हॉस्पिटल पहुंच गईं। अफ़सोस उन्हें अमिताभ से मिलने नहीं दिया गया। रेखा को इस घटना से बेहद धक्का लगा। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि”सोचिए मैं उस शख्स को ये नहीं बता पाई कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं। मैं ये महसूस नहीं कर पाई कि उस शख्स पर क्या बीत रही है। मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास नहीं, मौत भी इतनी बुरी नहीं होती होगी।”

इसी दौरान जया बच्चन ने दिन-रात अमिताभ की सेवा की। चोट से ठीक होने को अमिताभ ने पुर्नजन्म माना और धीरे धीरे जया और अमिताभ एक दूसरे के एक बार फिर करीब आ गये । रेखा को भुलाकर अमिताभ ने जया के साथ फिर से खुशनुमा सफर शुरू करने का फैसला किया। साल 2009 की बात है जब एक अवॉर्ड शो में रेखा के आते ही अमिताभ उठ कर चले गए थे। जिसकी चर्चा बॉलिवुड में खूब रही ।

बहरहाल अमिताभ ने कभी भी रेखा और उनके रिश्ते के बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी इस प्रेम कहानी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेखा ने कुछ इस तरह से अपने दर्द को बयां किया कि ”मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले ।” इसी के साथ ये मोहब्बत भी वक्त के साथ जज़्ब हो गयी और उनके चाहने वालों के लिये बस एक कहानी बन कर रह गयी।

Bollywood News:नीतू सिंह-ऋषि कपूर – रील और रीयल दोनों में रहे कामयाब

Bollywood News:नीतू सिंह-ऋषि कपूर – रील और रीयल दोनों में रहे कामयाब

हिंदी फिल्मों की कई पसंदीदा जोड़ियों में ऋषि कपूर और नीतू सिंह का नाम काफी ऊपर आता है। नीतू सिंह और ऋषि कपूर की ऐसी जोड़ी थी जिसने पर्दे पर भी सबका दिल जीता और असल ज़िन्दगी में भी सबके दिलों पर राज किया। इस जोड़ी ने कई हिट फ़िल्में साथ में की हैं। जोड़ी ‘दो दूनी चार’ और ‘जब तक है जान’ में दिखाई दी इसीलिए इस ख़ूबसूरत जोड़ी को 2011 में ‘‘बेस्ट लाईफ़ टाईम” जोड़ी का अवार्ड भी मिला ।

ये जोड़ी आज भी आइडियल कपल के लिये जानी जाती है। 70 के दशक की यह सुपरहिट जोड़ी असल में भी एक दूसरे के जीवन साथी रहे। ऋषि कपूर और नीतू सिंह एक दौर में बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय कपल में से शुमार थे। दोनों की मुलाकात ‘बॉबी’ की शूटिंग के दौरान हुई जहां नीतू दूसरी कोई फिल्म कर रही थीं। ऋषि, नीतू की मासूमियत पर फिदा हो गए थे और वो देश की बाकी लड़कियों की तरह नीतू ऋषि के स्टार अंदाज पर फिदा हो गयीं थी । उनकी एक साथ सबसे पहली फिल्म ‘जहरीला इंसान’ आयी थी।

हालांकि, यह फिल्म बहुत सफल नहीं हुई लेकिन इस फिल्म से दोनों दोस्त बन गए। ऋषि कपूर ने एक बार कहा था कि ”मेरा अपनी प्रेमिका से एक बार झगड़ा हुआ था और मैं दुखी था। उसे मनाने के लिए टेलीग्राम लिखने में मैंने नीतू की मदद ली थी। वक्त बीतने के साथ मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिए नीतू ही बनी है। शूटिंग के लिए यूरोप जाने पर मैंने उसे टेलीग्राम भेज कर कहा कि ये सिखणी बड़ी याद आती है।”

नीतू जब महज 14 साल की थी तभी से ऋषि को डेट करने लगी थी। यह वह दौर था जब नीतू ने इंडस्ट्री में कदम ही रखा था। ऋषि अक्सर नीतू को सेट पर आदतन छेड़ते रहते, जिससे एक वक्त नीतू ऋषि से इरिटेट भी होने लगी थी। सेट पर ऋषि, नीतू को बहुत परेशान करते थे। जब नीतू मेकअप करके बाहर निकलती थीं, तब ऋषि उनके चेहरे पर काजल लगा देते थे। इसके बाद धीरे-धीरे नीतू को ऋषि की यही शरारतें रास आने लगी और दोनों करीब आ गए। दोस्ती से प्यार का यह रिश्ता फिल्म ‘खेल खेल में’ में बदला। इसी फिल्म के दौरान ऋषि कपूर और नीतू सिंह के बीच रोमांस शुरू हो गया ।

‘खेल खेल में’ के रिलीज होने के बाद बॉलीवुड में इन दोनों के प्यार की चर्चाएं शुरू हो गईं।नीतू सिंह और ऋषि कपूर ने लगातार कई फिल्में एक साथ कीं। ‘रफू चक्कर’, ‘दूसरा आदमी’, ‘कभी-कभी’, ‘अमर अकबर एंथोनी’ जैसी कई फिल्मों में इस जोड़ी को दर्शकों ने पसंद किया। उस वक्त इंडस्ट्री में यह बात तेजी के साथ फैल गई थी कि नीतू और ऋषि एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं। नीतू का आना-जाना कपूर घराने में शुरू हो चुका था। इस दौरान नीतू सिंह ने कोशिश की वह ज्यादातर फिल्में ऋषि कपूर के साथ ही करें। नीतू, ऋषि से शादी को लेकर गंभीर थीं, यह बात खुद ऋषि कपूर के साथ उनका पूरा परिवार भी जानता था। राज कपूर ने ऋषि से साफ कह दिया था कि यदि वे नीतू से प्यार करते हैं तो उनसे शादी करें।दोनों की बढ़ती नजदीकियों से नीतू की मम्मी रज्जी खुश नहीं थीं। वो नहीं चाहती थीं कि इंडस्ट्री के लोग उनकी बेटी के बारे में तरह-तरह की बातें करें। इसलिए जब दोनों डेट पर जाते थे, तब मां कजिन को नीतू के साथ भेजती थीं।

जब ऋषि ने नीतू को शादी के लिए प्रपोज किया तो रज्जी बहुत खुश हुईं। नीतू अपने घर की अकेली कमाने वाली थीं, वो अपनी मां को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थीं। जब ऋषि कपूर को इस बात का पता चला तो उन्होंने नीतू की मां को अपने घर में रहने के लिए कहा और वो समय भी आया जब दोनों के परिवार दोनों को एक प्यारे से बंधन में बाँध देना चाहते थे और वो मौका तब आया जब ऋषि कपूर के घर किसी की शादी थी तो कपूर फैमिली ने सोचा कि यही सही समय है ऋषि और नीतू की सगाई की अनाउंसमेंट की।जब इसकी अनाउंसमेंट हुई तब नीतू एकदम हैरान रह गईं। इसके तुरंत बाद दोनों ने शादी कर ली। 22 जनवरी 1980 में यह दोनों शादी के बंधन में बंध गए। इनकी शादी में बॉलीवुड की तमाम हस्तियां आई ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी फिल्म इंडस्ट्री की भव्य शादियों में शुमार की जाती है। नीतू कहती हैं कि ”उन्होंने दुनिया ऋषि की आंखों से देखी है क्योंकि वो 21 साल की थीं जब उनकी शादी हुई और ऋषि तब तक दुनिया घूम चुके थे।”
 
Bollywood News:करीना कपूर-शाहिद कपूर की रील में हिट, रियल में जुदा
 

Bollywood News:करीना कपूर-शाहिद कपूर की रील में हिट, रीयल में जुदा

बहुत कम समय के लिए करीना और शाहिद की जोड़ी ने पर्दे पर और असल ज़िन्दगी में जादू बिखेरा। 2004 में ‘फिदा’ जैसी क्राईम थ्रिलर से इस जोड़ी ने अपनी शुरुआत की और 2007 में रोमांटिक फ़िल्म ‘जब वी मेट’ तक आते आते यह जोड़ी टूट गई, स्क्रीन पर भी और असल ज़िन्दगी में भी ये दोनों अलग हो गये। इतने कम समय में भी इस जोड़ी ने 36 चाईना टाऊन, चुप चुप के, और मिलेंगे मिलेंगे जैसी फ़िल्में दीं।यह जोड़ी किसी समय रोमांस का ‘यूथ आईकन’ कहलाती थी। बॉलीवुड की प्रेम कहानियों में शाहिद-करीना कपूर की प्रेम कहानी ऐसी कहानी है, जिसे सारी दुनिया जानती थी, दोनों ने अपने प्यार का खुलेआम इज़हार भी किया, प्यार की कसमें भी खाई गई और फिर खुलेआम ये रिश्ता भी तोड़ दिया।

साल 2004 में करीना शाहिद कपूर की जिंदगी में आई थीं। करीना कपूर खानदान से हैं, तो वहीं शाहिद कपूर मशहूर अभिनेता पंकज कपूर के बेटे हैं। दोनों ने 2004 में फिल्म फिदा में पहली बार काम किया और एक दूसरे पर फिदा हो गए। इस वक्त तक करीना बॉलीवुड की बड़ी हिरोइन बन चुकी थीं, जबकि शाहिद ने एक साल पहले ही फिल्म में एंट्री की थी लेकिन सबसे खास बात ये थी कि इस रिश्ते में करीना ने ही सबसे पहले पहल की । कई इंटरव्यू में करीना इस बात को कबूल भी कर चुकी हैं कि उन्होंने खुद शाहिद को कई फोन और मैसेज किए ।

करीना और शाहिद की पहली मुलाकात में शाहिद को देख करीना इतनी ज्यादा इम्प्रेस हुई थी कि उन्होंने ही शाहिद को प्रपोज किया। करीना ने खुलेआम टीवी पर शाहिद से प्यार का इजहार भी किया शाहिद भी अपने रिश्ते को सारी दुनिया को बता चुके थे। दोनों का रिश्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा, लेकिन इसी बीच दोनों का एक एमएमएस भी लीक हुआ जिसकी वजह से दोनों का रिश्ता सबके सामने खुलकर आ गया।

दोनों ने कई फिल्में भी साथ की, हालांकि पर्दे पर इनकी जोड़ी कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई। करीना शाहिद के प्यार में इस तरह दीवानी हो गई थी कि नॉनवेज खाने की शौकीन होने के बावजूद वो वेजिटेरियन बन गई थीं। दोनों को देखकर यही लगता था कि वो एक दूसरे के लिए ही बने हैं।

करीना के परिवारवालों को भी शाहिद काफी पसंद थे, खासतौर पर करिश्मा भी शाहिद के बेहद करीब थीं और उन्हें अपना दोस्त मानती थीं। दोनों की लव स्टोरी ट्रैक पर चल रही थी, कि तभी कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जिंदगी में खलबली मच गई। 2006 में जब शाहिद-करीना फिल्म जब वी मेट की शूटिंग कर थे, शूटिंग शुरू वक्त तो दोनों के अच्छे रिश्ते थे, लेकिन फिल्म खत्म होते होते दोनों के रिश्ते में दरार की खबरें आने लगीं। 2007 में दोनों को फिल्म के आखिरी सीन की शूटिंग करनी थीं, हमेशा एक कार में साथ आने वाले दोनों अलग-अलग गाड़ियों से आए और शूटिंग के बाद बिना बात किए चले गए दोनों का रिश्ता क्यों खत्म हुआ, कभी उस पर दोनों ने नहीं बात की । लेकिन एक साल बाद ये खबर आई कि करीना की जिंदगी में छोटे नवाब सैफ अली खान की एंट्री हो गई है। सैफ अली खान अपनी पहती पत्नी अमृता को तलाक देने के बाद मॉडल रोजा के साथ रिश्ते में थे। शुरू में ये खबरें लोगों को अफवाह ही लगीं, लेकिन बाद में ये खबरें सही साबित हुईं 18 अक्टूबर 2007 को सैफ और करीना जब एक साथ लैक्मे फैशन वीक में पहुंचे तो हर कोई उनको देखकर हैरान रह गया। सैफ ने मीडिया के सामने इस रिश्ते को कबूल भी लिया और फिर दोनों शादी के बंधन में भी बंध गये और वहीं शाहिद ने मीरा राजपूत से शादी कर ली ।

Bollywood News: रणवीर सिंह- दीपिका पादुकोण- नए दौर की सबसे हिट जोड़ी

Bollywood News: रणवीर सिंह- दीपिका पादुकोण- नए दौर की सबसे हिट जोड़ी

रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के प्यार के किस्से बॉलीवुड गलियारे में कम नहीं रहे। ऑन स्क्रीन हो या ऑफ स्क्रीन दोनों की केमिस्ट्री में इनके बीच का प्यार साफ़ दिखाई देता है। दीपिका-रणवीर की लव स्टोरी 2012 में शुरू हुई। दीपिका और रणवीर की प्रेम कहानी रामलीला के सेट पर शुरू हुई थी ।ऐसा कहा जाता है कि दोनों का एक दूसरे की तरफ लगाव राम-लीला मूवी के सेट पर शुरू हुआ था।

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम-लीला’ की शूटिंग के समय से ही दीपिका और रणवीर की डेटिंग की खबरें आनी शुरू हो गई थीं, लेकिन ये बात तब साबित हुई जब ‘अंग लगा दे’ गाने की शूटिंग हो रही थी ।इस गाने के अंत में दीपिका-रणवीर को किस करना था। गाने की शूटिंग के अंत में जब डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने कट बोला तो दोनों तब भी किस करते रहे। सेट पर मौजूद क्रू मेंबर्स दोनों को इस हालत में देखकर हैरान थे। ‘राम-लीला’ फिल्म की रिलीज से पहले रणवीर ने मीडिया में ऐलान कर दिया कि वो प्यार में हैं।

हालांकि उन्हें किससे प्यार है, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया था लेकिन उनके चाहने वालों को तो सब पहले से ही मालूम था। बॉलीवुड के हिट स्टार्स होने की वजह से दोनों ही को अपने घरों से दूर रहना पड़ता था लेकिन अपनों की कमी को पूरा करने के लिये रणवीर अक्सर दीपिका के मूवी सेट्स पर पहुंचते रहे ।यहाँ तक कि मूवी ”फाइंडिंग फैनी” में उन्होंने दीपिका के हस्बैंड का रोल भी निभाया। 2014 में एक अवार्ड शो के दौरान इन दोनों ने स्टेज पर एक साथ परफॉर्म कर धमाल मचाया तो लोगों को इनका प्यार इनकी आंखों में भी दिखा । रणवीर ने कई बार दीपिका के प्रति अपना इंट्रस्ट दिखाया और दीपिका ने भी उसी अंदाज़ में इसका जवाब भी दिया ।2015 में तो जब स्टेज पर रणवीर ने अपने घुटने पर टेक कर दीपिका के लिए “राम चाहे लीला ” गाना गया तो चीज़े काफी हद तक कन्फर्म हो गयी । उनका एक दूसरे के लिए प्यार, आदर और प्रशंसा छुपाये नहीं छुपती थी ।

यहां तक कि करण जौहर की पार्टी के दौरान जब दीपिका करण के साथ बाहर निकल रहीं थीं तो रणवीर हाथ में गुलाब लिए उनके पीछे-पीछे चलते नज़र आये। हर फिल्म के साथ दोनों का रिश्ता और मजबूत होता गया ।रणवीर और दीपिका ने कभी मीडिया में अपने रिश्ते को नहीं छिपाया, हालांकि उन्होंने खुलकर कभी इसे स्वीकारा भी नहीं। दोनों को देश-विदेश में कई बार साथ में छुट्टियां मनाते स्पॉट किया गया। इस रिश्ते से पहले दीपिका और रणवीर का नाम बॉलीवुड के कई सितारों के साथ जुड़ा। दीपिका और रणबीर कपूर के अफेयर ने जितनी सुर्खियां बटोरीं थीं, उतनी ही चर्चा उनके ब्रेकअप की भी हुई थी ।उनका नाम निहार पांड्या से लेकर सिद्धार्थ माल्या और युवराज सिंह तक के साथ जोड़ा गया। वहीं रणवीर सिंह का नाम भी उनकी पहली को-स्टार अनुष्का शर्मा और एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा से जोड़ा जा चुका है। मगर दीपिका-रणवीर के रिलेशनशिप में कभी किसी परेशानी की भी खबरें नहीं आई। इसके बाद दोनों का प्यार इस कदर परवान चढ़ा की दोनों ने सात जन्मों तक साथ रहने का वादा करते हुए डेटिंग के छह सालों बाद दोनों शादी के बंधन में बंध गए।

संबंधित खबरें:

गंगा पूजा के बाद Akshay Kumar पहुंचे सोमनाथ मंदिर, Manushi Chhillar के साथ की पूजा-अर्चना

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here