तीन दशक से कुंडा है Raja Bhaiya की ‘जागीर’, जानें इस हाई-प्रोफाइल सीट का चुनावी गणित

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Raja Bhaiya
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Raja Bhaiya: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाली कुंडा विधानसभा सीट (Kunda Vidhan Sabha) प्रदेश की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रतापगढ़ के कुंडा सहित 61 विधानसभा क्षेत्रों में 27 फरवरी को पांचवें चरण में मतदान होना है। 2017 में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh) ने 1 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

‘कुंडा का गुंडा’ नाम से मशहूर राजा भैया के खिलाफ सपा ने इस बार गुलशन यादव को मैदान में उतारा है। बता दें कि सपा ने पिछले 15 साल से कुंडा में अपने उम्मीदवार को नहीं उतारा था। वहीं कांग्रेस ने राजा भैया के सामने योगेश यादव को टिकट दिया है। भाजपा की ओर से सिंधूजा मिश्रा ताल ठोक रही हैं।

कौन हैं रघुराज प्रताप सिंह?

राजा भैया का असली नाम रघुराज प्रताप सिंह है। उन्हें उत्तर प्रदेश के कुंडा में ‘तूफान’ सिंह और रघुबीर सिंह भी कहा जाता है। उनकी उम्र 47 साल है और उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है। हिस्ट्रीशीटर और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह, उर्फ ​​राजा भैया, जाति से राजपूत हैं। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह हैं।

उनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और बाद में हिमाचल प्रदेश राज्य के दूसरे राज्यपाल थे। रघुराज अपने परिवार में राजनीति में आने वाले पहले व्यक्ति थे; उनके पिता काफी हद तक एक वैरागी हैं। उनके दादा ने अपने भतीजे राजा उदय प्रताप सिंह को अपने बेटे के रूप में गोद लिया था।

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Raja Bhaiya का राजनीतिक कैरियर

रघुविर प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया कुंडा से 6 बार विधायक रहे हैं। उन्होंने पहली बार 1993 में यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता। 1997 में, सिंह ने भाजपा की कल्याण सिंह सरकार में कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री के रूप में कार्य किया और फिर 1999 और 2000 में राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे। 2013 में, अखिलेश यादव की सरकार में जेल मंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति ने कई लोगों को चौंका दिया था। राजा भैया के खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, अपहरण, भ्रष्टाचार और डकैती के आरोप शामिल हैं। यहां तक ​​​​कि आपराधिक आरोपों में जेल में भी रहे हैं।

गौरतलब है कि 2007, 2012 और 2017 के चुनावों में, सिंह को सपा के किसी भी उम्मीदवार का सामना नहीं करना पड़ा, आराम से जीत हासिल हुई। जबकि उनकी जागीर माने जाने वाले कुंडा में उन्हें चुनौती देना अभी भी एक कठिन काम है। हालांकि 15 साल बाद सपा ने कुंडा में अपना प्रत्याशी गुलशन यादव को उतार दिया है। पिछली बार सपा ने राजा भैया के खिलाफ 2002 में एक उम्मीदवार खड़ा किया था उस समय राजा भैया को 82% (88,446) वोट मिले थे, वहीं सपा 6,788 के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।

सपा के साथ रहा है राजा भैया का नाता

गौरतलब है कि 1993 के बाद से छह बार विधायक रहे राजा भैया सुर्खियों में तब आए थे जब 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया। उनके खिलाफ आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) भी लगाया गया। लेकिन वर्ष 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनने के बाद राजा भैया के खिलाफ पोटा सहित सभी आरोप हटा दिए गए। इसके बाद से उनका सपा के साथ संबंध बना रहा और सपा ने उनके खिलाफ कुंडा से 2007, 2012 और 2017 के तीन चुनावों में उम्मीदवार नहीं उतारा।

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Raghuraj Pratap Singh

कुंडा की जातीय समीकरण

कुंडा विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर कुल 3,56,093 पात्र मतदाता हैं। पुरुष मतदाता 1,91,397 और महिला मतदाता 1,65,134 है। कुंडा विधानसभा में मुस्लिम और यादव मतदाताओं का बोलबाला है जबकि ब्राह्मण, क्षत्रिय और अन्य पिछड़ी जाति के लोग निर्णायक वोटरों की भूमिका में रहते हैं। बताते चलें कि कुंडा की जनता इस बार क्या रघुराज प्रताप सिंह पर भरोसा जताती है या राजा भैया के खिलाफ जाती है देखना दिलचस्प होगा।

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