UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर पद के लिए लेटरल एंट्री शुरू करने की योजना बना रहा है। इस द्वारा अब उद्योग जगत के विशेषज्ञों और पेशेवरों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया जाएगा। जारी किए गए प्रस्ताव के अनुसार अब इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इंजीनियरिंग, नीति, संचार आदि क्षेत्रों में बिना पीएचडी या नीट के भी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूर्ण-कालिक और अंश-कालिक फैकल्टी सदस्यों के तौर पर पढ़ा सकेंगे। यह फैसला नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया है।

UGC: एडटेक प्लेटफॉर्म्स पर पढ़ाने के लिए छोड़ देते हैं नौकरियां
इस बात की जानकारी देते हुए UGC के चेयरमैन जगदीश कुमार ने बताया कि कई ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जिसने बड़ी परियोजनाओं को लागू किया हो और उसके पास बहुत अनुभव वो यूनिवर्सिटी में पढ़ाना चाहते हैं लेकिन हम उन्हें मौजूदा नियमों के अनुसार नियुक्त नहीं कर सकते। इन सब बातों पर विचार करने के लिए गुरुवार को यूजीसी अध्यक्ष की विश्वविद्यालयों के वाइस-चांसलरों के साथ बैठक की गई। इसमें फैसला किया गया कि अब इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ‘Professor Of Practice’ के तौर पर विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकेंगे।

नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया फैसला
UGC चेयरमैन जगदीश कुमार ने बताया, “नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षण संस्थानों और उद्योग के बीच बेहतर सहयोग होना जरूरी है, इसलिए यह विचार किया गया है कि अब संस्थानों में पढ़ाने के लिए उद्योग के प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों को लाया जाए। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स आदि जैसे विकसित हो रहे क्षेत्रों से जुड़े विषयों को पढ़ाने में ऐसे अनुभवी लोग सबसे लाभदायक साबित होंगे।”
बनाई जाएगी नई कमेटी
जानकारी देते हुए चेयरमैन जगदीश कुमार ने कहा,”हम एक ऐसी कमेटी बनाएंगे जो बारीकियों से इस पर विचार करेंगी कि हम इस प्रावधान को कैसे लागू कर सकते हैं। पहले कमेटी द्वारा इसकी रिपोर्ट देखी जाएगी और उसके बाद सिफारिशों के आधार पर हम इसे शिक्षा मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजेंगे। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से फैसले के बाद नियमों को अंतिम रूप देते हुए इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्थायी तथा विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर पढ़ाने की गुंजाइश पैदा हो जाएगी। इससे 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने वाले विशेषज्ञ भी पूर्ण या अंशकालिक फैकल्टी के रूप में शामिल हो सकते हैं और 65 वर्ष की आयु तक काम कर सकेंगे।”
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