Delhi High Court: दिल्ली के स्कूलों में कक्षा आठ तक के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य और योग विज्ञान को शामिल करने का मामला विवादों से घिरता नजर आ रहा है। स्कूलों में कक्षा 8 तक के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य और योग विज्ञान को शामिल करने की मांग का मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में केन्द्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि इस पर निर्णय लेना सरकार का काम है कोर्ट का नहीं।
Delhi High Court: इस मामले पर कोर्ट ने क्या कहा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि यह नीतिगत मसला है। इस पर फैसला लेना सरकार का काम है। कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार को सही लगता है तो सरकार इसे लागू करे। इस पर कोर्ट के आदेश की कोई जरूरत नहीं।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
इस मुद्दे को उठाते हुए वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में स्कूलों में स्वास्थ्य और योग विज्ञान को शामिल करने का समर्थन किया है। अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार और शिक्षा का अधिकार एक दूसरे के पूरक है। राज्य का यह कर्तव्य है कि वह स्वास्थ्य और योग विज्ञान को 8वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाए।

उपाध्याय ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और आरटीआई एक्ट 2009 का हवाला देते हुए कहा कि पहली से आठवीं कक्षा तक स्वास्थ्य और योग विज्ञान को अनिवार्य बनाना हर राज्य का कर्तव्य है। एक राज्य का मुख्य कर्तव्य अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करना होता है।
अपनी याचिका में उन्होंने ने कैलिफोर्निया की एक अदालत के फैसले का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि योग एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है।

आने वाले दिनों में सरकार के जवाब के बाद ये तय होगा कि स्कूलों ने कक्षा 8वीं तक के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य और योग विज्ञान को शामिल किया जाएगा या नहीं।
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