देशभर में लोग गोवर्धन पूजा की तैयारी में जुटे हैं। आज के दिन प्रभु श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय माता की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्णा के लिए खास तैयारियां की जाती हैं। गोवर्धन पूजा के दिन कान्हा के लिए 56 तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्यों के जीवन को देवराज इंद्र के कोप से बचाया था।
यानी भगवान कृष्ण ने देवराज के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। उस दिन से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा करते हैं। तो आइए जानते हैं कि कान्हा को लगने वाला यह विशेष भोग क्या है और क्यों गोवर्धन के दिन बनाते हैं इसे?
अन्नकूट त्योहार के दिन अलग-अलग प्रकार के पकवानों से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह। श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन बनने वाले अन्नकूट में कई सारी सब्ज़ियों को एक साथ मिलाकर, मिलीजुली सब्जी और कढ़ी-चावल,पूड़ी आदि बनाया जाती है। इसके बाद भगवान कृष्ण को इसका भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।
अन्नकूट यानी कि गोवर्धन पूजा के दिन प्रभु कृष्ण ने देवराज इंद्र के घमंड को खंड-खंड कर दिया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। कहानी के अनुसार भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के गुस्से की वजह से होने वाली भारी बारिश से गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को बचाया था।
इसके बाद कृष्ण ने लोगों को पर्वत और प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं की अहमियत बताने और उनके प्रति सम्मान जताना सिखाने के लिए गोवर्धन पूजा की शुरूआत की थी,इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है। जिसमें लोग गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक बनाकर पूजा करते हैं और प्रकृति से मिलीं चीजों से ही अन्नकूट बनाकर भोग लगाया जाता है।
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा अत्यंत के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है। पूजा में कान्हा का अच्छे से साज-श्रृंगार करके शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा-आराधना की जाती है। कान्हा के समक्ष अपनी समस्त मनोकामनाओं की अर्जी लगाकर उसे पूरी करने की विनती की जाती है।