Chandrayaan-3 Landing: भारत बहुत ही जल्द चांद पर इतिहास रचने जा रहा है। क्योंकि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अगले कुछ ही घंटों में चांद पर लैंड करने के लिए तैयार है। बता दें कि 23 अगस्त की शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर ISRO लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश करेगा। अगर यह लैंडिंग सही से हो जाती है तो रोवर अगले कई दिनों तक चांद पर रहकर कई अहम जानकारियां निकालेगा, जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। आइए लैंडिंग से पहले इस लेख में जान लेते हैं कि अब तक भारत के इस मिशन मून को लेकर क्या-क्या हुआ…
Chandrayaan की शुरुआत कैसे हुई ?
दरअसल, भारत के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की साल 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी। जिसके बाद राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने तीसरे मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। ISRO के मुताबिक, पिछली बार चंद्रयान-2 में जो कमियां थीं, उन्हें बारीकी से देखा गया और चंद्रयान-3 में इस तरह के बदलाव किए गए कि जिसकी वजह से सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो जाए। ISRO के द्वारा पहले ही बता दिया गया कि 2023 में अगला मून मिशन लॉन्च हो सकता है और इस मिशन का कुल बजट करीब 615 करोड़ का है।
6 जुलाई 2023 को ISRO की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। 11 जुलाई तक इसरो साइंटिस्ट्स ने पूरी तैयारी कर ली और अब रिहर्सल की बारी थी। इसी दिन इसरो ने चंद्रयान-3 का ‘लॉन्च रिहर्सल’ पूरा कर लिया।

Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग कैसे हुई?
अब एक बार फिर चंद्रयान के लॉन्चिंग की बारी थी, जब पूरी दुनिया की नजरें इस लॉन्चिंग पर टिकी थीं। 14 जुलाई को दोपहर के दो बजते ही सभी ने अपनी आंखें टेलीविजन पर जमा लीं, इसके बाद काउंटडाउन शुरू हो गया। श्रीहरिकोटा से ठीक 2:35 बजे चंद्रयान-3 लॉन्च हुआ और आसमान को चीरता हुआ चांद की ओर निकल पड़ा। लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, जिससे ये चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके. इसके बाद 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल अलग हो गया।
Chandrayaan-3 की लैंडिंग कब और कैसे होगी
मिली जानकारी के अनुसार, चांद पर लैंडर को उतारने से पहले उसे इसरो ने डीबूस्टिंग की प्रक्रिया से गुजारा। जिसमें लैंडर मॉड्यूल की रफ्तार को कम किया गया। इसके बाद अब 23 अगस्त को शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी। इस बड़े और ऐतिहासिक पल का लाइव टेलीकास्ट होगा। चांद पर लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला जाएगा। रोवर चांद की सतह पर चलेगा और आगे का काम शुरू होगा।

बता दें कि Chandrayaan-3 की लैंडिंग का लाइव प्रसारण इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज और डीडी नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर उपलब्ध होगा। इसरो ने कहा, ‘चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ एक यादगार क्षण होगी जो न केवल जिज्ञासा को बढ़ाती है, बल्कि हमारे युवाओं के मन में अन्वेषण के लिए जुनून भी जगाती है।’
चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा रोवर?
लैंडर मॉड्यूल से निकलकर रोवर चांद की सतह पर चलने लगेगा। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ये रोवर एक लूनर डे (चंद्र दिवस) का वक्त वहां गुजारेगा। एक लूनर डे 14 दिनों का होता है। रोवर इसरो के लिए चांद पर कई तरह के वैज्ञानिक परीक्षण करेगा, इससे चांद पर मौजूद कई गहरे राज भी खुल सकते हैं।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर क्यों भेजा गया Chandrayaan-3 ?
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाना है। दरअशल, चांद का ये हिस्सा वो जगह है, जिसके बारे में अब तक ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए भारत का चंद्रयान-3 यहां लैंड हो रहा है। सफल लैंडिंग के बाद चांद पर रोवर जो परीक्षण करेगा उससे कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं, जो अब तक किसी को पता नहीं हैं। इस जगह पर मौजूद खनिजों और बाकी तत्वों की पहचान करना भी मिशन का मकसद है।
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