रिवर फ्रंट परियोजना के लिए काटे जा रहे हजारों पेड़, पुणे में लोगों ने ‘चिपको प्रोटेस्ट’ कर जताया विरोध

कुछ पेड़ों का काटना है आवश्यक-पुणे नगर निगम

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Chipko Protest: पेड़ों की प्रतीकात्मक चित्र
Chipko Protest: पेड़ों की प्रतीकात्मक चित्र

Chipko Protest:महाराष्ट्र के पुणे में पेड़ों को बचाने के लिए लोगों ने ‘चलो चिपको‘ प्रोटेस्ट शुरू किया है। बता दें कि पुणे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट (RFD) परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई के विरोध में सैकड़ों लोगों ने शनिवार को पुणे शहर में मुथा नदी के किनारे ‘चलो चिपको’ आंदोलन किया।
इस परियोजना में मुला नदी के 22.2 किमी, मुथा नदी के 10.4 किमी और मुला-मुथा नदी के 11.8 किमी वाले नदी तट के 44 किलोमीटर के हिस्से के विकास की परिकल्पना की गई है। सबसे मुख्य बात इसमें यह भी है कि इस परियोजना की आधारशिला खुद पीएम मोदी ने साल 2022 में रखी थी।

Chipko Protest: पेड़ों की प्रतीकात्मक चित्र
Chipko Protest: पेड़ों की प्रतीकात्मक चित्र

Chipko Protest:लोगों ने पेड़ो को गले से लगाया

पुणे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर अब विरोध शुरू हो गया है। शनिवार को पर्यावरण प्रेमियों सहित सैकड़ों लोगों ने पुणे में विकास परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई के विरोध में चिपको प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों नेअपने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की और मानव श्रृंखला बनाते हुए नदी किनारे के पेड़ों को गले लगा लिया। इन लोगों ने पुणे नगर निगम (पीएमसी) पर अपनी नदी कायाकल्प परियोजना के नाम पर बंड गार्डन के पास नदी के किनारे प्राकृतिक हरियाली को नष्ट करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि रिवरफ्रंट के 1 किलोमीटर के दायरे में कुछ दुर्लभ और पुराने पेड़ों सहित कुछ हजार पेड़ों को काटा जा रहा है।

कुछ पेड़ों का काटना है आवश्यक-पुणे नगर निगम
इन आरोपों पर पुणे नगर निगम ने कहा कि प्रभावित होने वाले पेड़ों में कोई पुराना और दुर्लभ पेड़ नहीं है। निगम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है,”नदी के कायाकल्प के काम के दौरान कुछ पेड़ों को काटना आवश्यक है और उनके स्थान पर 65,000 से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे।”
वहीं, एक्टिविस्ट सारंग यादवाडकर ने दावा किया कि परियोजना के कारण मुला और मुथा नदियों का बाढ़ स्तर पांच फीट बढ़ जाएगा क्योंकि जलमार्ग की चौड़ाई कम की जा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया,”परियोजना की मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा लेकिन बिना किसी अनुमति के पीएमसी ने पहले ही नदी तल के अंदर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है।”

पीएमसी के पर्यावरण अधिकारी मंगेश दिघे ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य नदी के दोनों किनारों को बाढ़ से बचाना है और शहर के बीचोबीच हरित पट्टी बनाने के लिए पेड़ लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाना है क्योंकि सीवेज के पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में डायवर्ट किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि लगभग 10,000 पेड़ प्रभावित हैं लेकिन 3,000 से अधिक पेड़ों को संरक्षित किया जाएगा। 4,000 से अधिक पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाएगा और केवल 3,000 पेड़ों को हटाना होगा। जो पेड़ हम लगाने जा रहे हैं,वे नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल हैं।

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