Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि व्यंग्य, कला, संगीत और इसी तरह के अन्य उपयोगों के लिए मशहूर हस्तियों के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत स्वीकार्य है। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे उनके प्रचार के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा।
Delhi High Court: जस्टिस अमित बंसल ने की टिप्पणी
यह देखते हुए कि विशिष्ट कानून के अभाव में प्रचार के अधिकार को भारत में पूर्ण अधिकार के रूप में नहीं देखा जा सकता है, जस्टिस अमित बंसल ने कहा, “बौद्धिक संपदा अधिकार, जैसे ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और पेटेंट, जिनका भारत में वैधानिक आधार है, वे भी पूर्ण अधिकार नहीं हैं। इन अधिकारों की सीमा को कानून द्वारा परिभाषित किया गया है और कानून स्वयं बचाव या छूट प्रदान करता है। यहां तक कि न्यायक्षेत्र में जहां प्रचार के अधिकार को वैधानिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है, जैसे कि यूएस, कानून स्वयं छूट या बचाव प्रदान करता है।”

साथ ही कोर्ट ने य़ह भी कहा कि मशहूर हस्तियों के इजाजत के उनकी पहचान या छवि का इस्तेमाल किसी उत्पाद या सामान की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता। वहीं हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मशहूर हस्तियों के नामों व छवियों का उपयोग व्यंग्य, पैरोडी, कला, छात्रवृत्ति, संगीत, शिक्षाविदों, समाचार और उस तरह के अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग संविधान के तहत स्वीकार है लेकिन उसका उपयोग अपने उत्पाद की प्रचार के लिए किया जाना गलत है। हाई कोर्ट की यह टिप्पणी सिंगापुर के डिजिटल कलेक्टिबल्स नाम की एक कंपनी और मोहम्मद सिराज और अशर्दीप सिंह जैसे कुछ क्रिकेटरों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए दी।
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