Supreme Court ने गुरुवार को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे गुटों की क्रॉस-याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उद्धव और एकनाथ दोनों गुटों और राज्यपाल के कार्यालय की ओर से दी गई दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
Supreme Court में इनकी दलीलें सुनी गईं
जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी, देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की दलीलों के बाद सुनवाई पूरी की।
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह की दलीलें भी सुनीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में राज्यपाल के कार्यालय का प्रतिनिधित्व किया।
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क्या बोले कपिल सिब्बल?
कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए वरना हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि कोई भी सरकार नहीं रह पाएगी। उन्होंने कहा, “इस अदालत के इतिहास में यह एक क्षण है जहां लोकतंत्र का भविष्य निर्धारित होगा और मुझे पूरा यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बिना हम और हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि किसी भी सरकार को जीवित नहीं रहने दिया जाएगा।
वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल अब पार्टी के अंदर के विवाद को देख रहे हैं। जबकि राज्यपाल पार्टी के भीतर के विवाद को नहीं देख सकते। राज्यपाल केवल विधायक दल से ही निपट सकते हैं।वह एकनाथ शिंदे को उठाकर यह नहीं कह सकते कि अब आप मुख्यमंत्री बन जाइए।
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