Mehrauli Demolition: महरौली में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA), अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान चला रहा है। अभियान के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, DDA शुक्रवार से ही महरौली के आम बाग, बृजवासी कॉलोनी क्षेत्र में एजेंसी की भूमि पर अवैध रूप से बने कई तीन और चार मंजिला इमारतों को ध्वस्त करने में जुट गया है। DDA की इस कार्रवाई पर स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है।
Mehrauli Demolition: शुक्रवार को शुरू हुई थी कार्रवाई
बता दें कि इससे पहले, DDA अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की एक संयुक्त टीम शुक्रवार सुबह बुलडोजर लेकर घोसिया स्लम कॉलोनी इलाके में पहुंची और अवैध निर्माण को गिराना शुरू किया। कार्रवाई से वाकिफ अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इसके बाद टीम बृजवासी कॉलोनी, सी-ब्लॉक पहुंची, जहां उन्होंने कम से कम एक इमारत को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और कुछ अन्य को आंशिक रूप से तोड़ा। बता दें कि डीडीए की कार्रवाई अब भी जारी है। हालांकि, शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीए को तुरंत कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया था।
महरौली पुरातत्व पार्क के करीब स्थित है DDA की जमीन
बता दें कि जिस जमीन पर डीडीए की कार्रवाई जारी है वह महरौली पुरातत्व पार्क के करीब स्थित है। जबकि यहां की कुछ जमीन डीडीए की है, कुछ अन्य जमीन जिन पर पिछले एक दशक में इमारतें और झुग्गियां बनी हैं, उन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और वक्फ बोर्ड का स्वामित्व है। डीडीए ने पिछले साल इन ढांचों को गिराने का आदेश जारी किया था। दिसंबर 2022 में, डीडीए ने क्षेत्र के विभिन्न घरों पर नोटिस चिपकाया था। नोटिस में कहा गया था कि क्षेत्र में विभिन्न खसराओं में पड़ने वाले गांव लाधा सराय की सरकारी जमीन कब्जेदारों ने कब्जा कर लिया है।
“उक्त जमीन महरौली पुरातत्व पार्क का हिस्सा है। इस जमीन पर अवैध निर्माण से महरौली पुरातत्व पार्क के विकास में बाधा आ रही है। इसलिए, सभी अनधिकृत अतिक्रमणकारियों को सरकार डीडीए की जमीन से बेदखल करने के लिए उत्तरदायी हैं।”
20 साल से इलाके में रह रहीं सबरा बेगम ने क्या कहा?
पिछले 20 सालों से इलाके में रहने वाली घोसिया कॉलोनी की रहने वाली सबरा बेगम इलाके के उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जिन्हें दिसंबर में विध्वंस का आदेश मिला था। मीडिया से सबरा बेगम कहती हैं, “शुक्रवार को उनके घर को नहीं छुआ गया था। उन्होंने कहा कि डीडीए फिर से विध्वंस के लिए आ सकता है।“ डीडीए का कहना है कि जमीन उनकी है, हालांकि, हम दशकों से यहां रह रहे हैं। हमारा राशन कार्ड और अन्य सभी दस्तावेज भी उस पते पर जारी किए जाते हैं जहां हम अब रहते हैं। सबरा कहती हैं, “अगर जमीन की स्थिति पर सवाल उठाया गया था, तो इतने सालों में किसी ने कुछ क्यों नहीं किया, जब लोग इलाके में ऊंची इमारतों का निर्माण कर रहे थे।”
यह भी पढ़ें: