बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पहचान एक दमदार महिला नेत्री के तौर पर होती है। ममता काफी संघर्षों के बाद उस मुकाम पर पहुंची, जहां वह आज हैं। लगातार तीन बार से ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनती आ रही हैं। ममता बनर्जी का आज जन्मदिन है। ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में हुआ था। ममता के पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा तब कह दिया था जब ममता सिर्फ 17 साल की थीं। बाद में उन्होंने इतिहास में ग्रेजुएशन की और आगे चलकर कोलकाता यूनिवर्सिटी से एमए किया। उन्होंने एजुकेशन विषय में डिग्री ली और कानून की पढ़ाई भी की। ममता बनर्जी छात्र दिनों से ही राजनीति में सक्रिय थीं। जोगमाया देवी कॉलेज में पढ़ते हुए उन्होंने छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन को चुनाव हराया।
70 के दशक में ममता बनर्जी एक युवा कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस से जुड़ी थीं। साल 1975 में उन्होंने लोगों का ध्यान तब आकर्षित किया जब उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की कार के बोनट पर खड़े होकर डांस कर विरोध प्रदर्शन किया। साल 2011 में ममता बनर्जी ने लंबे समय से बंगाल में शासन कर रहे वामपंथी गठबंधन को सत्ता से दूर किया और बंगाल की पहली महिला सीएम बनीं। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने दो-तिहाई सीटों पर जीत दर्ज की और ममता बनर्जी लगातार दूसरी बार सीएम बनीं। साल 2021 में विधानसभा चुनाव हुए तो ममता बनर्जी ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली। इस बार भी उनकी पार्टी ने दो-तिहाई सीटें जीतीं।
जय प्रकाश नारायण का रास्ता रोकने वाली ममता
ममता ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। लेकिन बंगाल से कांग्रेस को मिटाने में भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। ममता को जब कोई नहीं जानता था और वे बंगाल कांग्रेस की युवा नेता थीं, तभी उन्होंने समाजवादी आंदोलन के मुखिया जयप्रकाश नारायण का रास्ता रोक दिया था। इतना ही नहीं, कार के बोनट पर चढ़कर विरोध किया था। बता दें कि इस राजनीति घटना के बाद ममता इतिहास में दर्ज हो गई थीं।
‘दीदी’ का राजनीतिक करियर
बता दें कि ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की। वह 1976 में महिला कांग्रेस (I) की महासचिव बनीं। 1984 के लोकसभा चुनाव में जादवपुर संसदीय क्षेत्र से अनुभवी नेता, सोमथ चटर्जी को हराकर सबसे कम उम्र की सांसद बनीं। 1980 के दशक में, वह भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव भी बनीं। लेकिन 1989 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में ममता ने 1991 में फिर से कलकत्ता दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की और 2009 तक अपना पद बरकरार रखा।
जब केंद्र में मंत्री बनीं ममता
साल 1991 में पी.वी.नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री पद पर तैनात हुईं। जब वह खेल मंत्री थीं, तो उन्होंने भारत में सुधार के अपने प्रस्ताव के प्रति सरकार की उदासीनता का विरोध किया। असहमति के कारण, वर्ष 1997 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया और अपनी पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की।
1999 में, उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ हाथ मिलाया। इसका फायदा उन्हें मिला। वाजपेयी सरकार में ममता को रेल मंत्री का पद प्राप्त हुआ। 2002 में, उन्होंने अपना पहला रेल बजट प्रस्तुत किया। 2001 में उन्होंने एनडीए कैबिनेट छोड़ दी। 2001 के पश्चिम बंगाल के चुनावों के लिए कांग्रेस से गठबंधन की। जनवरी 2004 में, वह एनडीए कैबिनेट में लौट आईं और 2004 के आम चुनाव तक कोयला और खनन मंत्री के पद पर रहीं। तमाम उतार-चढ़ाव देखते हुए ममता फिलहाल बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।
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