बीसीसीआई के सविधान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक ही बीसीसीआई का नया संविधान होगा। सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों में ढिलाई भी दी है।

देश में क्रिकेट को संचालित करने वाली संस्था बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया यानी बीसीसीआई के नए संविधान को कुछ बदलावों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक राज्य-एक वोट के नियम में बदलाव किया है। अब महाराष्ट्र-गुजरात के अलग-अलग क्रिकेट संघों को पूर्ण सदस्यता दी गयी है और इन्हें वोटिंग का अधिकार भी होगा। इनमें मुंबई, विदर्भ, बडौदा और सौराष्ट्र शामिल हैं। साथ ही कोर्ट ने रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटी को भी वोटिंग का अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्तों में संविधान में बदलाव लागू करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान में भी बदलाव किया है। कूलिंग ऑफ पीरियड अब तीन साल से बढ़ाकर लगातार दो कार्यकाल यानी 6 साल का कर दिया गया है। मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि कोई कूलिंग ऑफ पीरियड नहीं होगा। 70 साल की उम्र का प्रतिबंध और सरकारी अफसर और मंत्री वाली अयोग्यता बनी रहेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्यों समेत बाकी क्रिकेट संघों को भी इस मसौदे को भी 30 दिन में लागू करने की बात कही है।

बीसीसीआई में सुधार के लिए जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने कई सिफारिशें की थी, जिनमें संशोधन करने की बीसीसीआई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के मसौदा संविधान को अंतिम रूप देने पर उसके फैसला सुनाये जाने तक सभी राज्य क्रिकेट संघों के चुनाव कराने पर रोक लगा दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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