भोले की नगरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्वच्छता के मामले में उत्तर प्रदेश में अव्वल आई है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में वाराणसी शहर देश में 29वें स्थान पर है। इस उपलब्धि पर नगर आयुक्त और नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, पर शहर के सूरतेहाल देखकर सर्वे रिपोर्ट पर ही शक होता है। शक इसलिए की वाराणसी के विभिन्न क्षेत्रों में जल भराव की स्थिति बनी हुई है। सड़कों पर गंदगी का ढेर भी नजर आता है, जहां-तहां गंदगी देखने को मिलती है।
देश के चुनिंदा शहरों में कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहले स्थान पर है। जबकि पूरे देश में शहर का स्थान 29वां है। शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में सर्विस, स्वच्छता और लोगों के फीडबैक के तीन वर्गों में वाराणसी शहर को कुल 4000 में से 3052 अंक मिले हैं। कागजों में सरकारी मानकों के हिसाब से भले ही काशी नगरी स्वच्छ हो गई हो, हकीकत आपके सामने हैं। हालांकि, यहां के बासिंदे मान रहे हैं कि वाराणसी पूरी तरह से तो नहीं, पर पहले से बहुत स्वच्छ और बेहतर जरूर हुई है। लोगों का कहना है कि साफ-सफाई में पहले से शहर की तस्वीर बदली है। सड़कें साफ सुथरी नजर आने लगी है। गलियों का हाल भी बदला है। खासकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाली गलियों को चौड़ा किया गया है।
हालांकि, सच्चाई ये है कि चाहें दशाश्वमेध घाट का इलाका हो या सिगरा स्थित भारत माता का मंदिर या फिर पॉश माने जाने वाले महमूरगंज का इलाका, गंदगी हर तरफ देखने को मिल जाती है। लेकिन सर्वेक्षण रिपोर्ट से नगर आयुक्त गदगद हैं। नगर निगम के कर्मचारियों में भी खुशी है। खुशी की बात भी है। हालांकि, नगर आयुक्त ये कहना भी नहीं भूलते कि देश के ट़ॉप 10 स्वच्छ शहरों में वाराणसी को लाने के लिए अभी और काम किए जाने की जरूरत है। संयुक्त नगर आयुक्त रमेश चंद्र सिंह का कहना है कि घर-घर से कूड़ा उठाने की व्यवस्था शुरू होने वाली है। इसके साथ ही कूड़े के प्रंबधन की व्यवस्था भी की जा रही है। सूखे और गीले कूड़े को अलग अलग करने की योजना पर भी काम हो रहा है।
वाराणसी अलमस्त शहर है। देश के अन्य महानगरों की तरह यहां जीवन की आपाधापी नहीं दिखती। यहां की संकरी गलियां, गलियों में सीढ़ियां, सड़कों के बीचो बीच बेपरवाह बैठे जानवर यहां की पहचान हैं। ऊपर से वाराणसी देश की सांस्कृतिक और प्राचीन शहर भी है। जाहिर है, ये शहर उतना स्वच्छ नहीं है, जितना होना चाहिए। फिर भी शहर की सूरत पहले से बहुत बेहतर हुई है और शायद स्वच्छचा सर्वेक्षण में इन्हीं मानकों को ध्यान में रखा भी गया है।
—एपीएन ब्यूरो