केंद्र सरकार देश में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के लिए नए नियम बनाने जा रही है. नियमों के दायरे में सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर्स (Social Media Influencers) और सोशल मीडिया पर एक्टिव सेलिब्रिटीज आएंगे. इस बारे में केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा विचार-विमर्श का कार्य पूरा किया जा चुका है.
इसके साथ ही उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर दर्ज किये जाने वाले फर्जी रिव्यू (समीक्षा) पर रोक लगाने के लिए भी एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.
10 दिन के भीतर जारी होंगे दिशानिर्देश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 दिनों में इससे संबंधित गाइडलाइन (मानक संचालन प्रक्रिया – Standard Operating Procedures) भी जारी कर दिये जाएंगे. प्रस्तावित नए नियमों के तहत सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों को अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.
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कौन आएंगे दायरे में?
जानकारी के अनुसार इन दिशानिर्देशों के दायरे में बड़े फिल्मी सितारों से लेकर सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोग भी आएंगे.
इसके साथ ही सरकार द्वारा इन नियमों का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाने के प्रावधान की भी तैयारी की जा रही है. जिसके तहत 50 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
कौन बनाएगा नियम
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से इन दिशानिर्देशों को जारी करने की तैयारी चल रही है. नियमों में ये बताया जाएगा कि सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों को क्या करना है और क्या नहीं.
क्या बदलेगा
बड़ी मात्रा में फॉलोअर्स वाले कई सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर (Social Media Influencers), इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर किसी भी सामान के प्रचार-प्रसार के लिए एक मोटी रकम लेते हैं.
नयी गाइडलाइन्स के तहत अगर किसी सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर ने किसी ब्रांड से रकम लेकर प्रचार किया है, तो उन्हें उस ब्रांड के साथ अपने जुड़ाव को बताना होगा.
नये नियमों के तहत पैसे लेकर किसी ब्रांड का प्रचार करने पर सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को अपनी पोस्ट में बताना होगा कि वो इस सामान का पैसे लेकर प्रचार कर रहा है.
जुर्माने का भी प्रावधान
नई गाइडलाइन के मुताबिक अगर इन्फ्लूएंसर नियमों का पालन नहीं करेंगे तो सीसीपीए (Central Consumer Protection Authority) कार्रवाई करेगी.
जानकारी के अनुसार, नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. लेकिन अगर सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बार-बार नियमों का उल्लंघन करेगा तो 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
बड़ी संख्या में हैं फॉलोअर्स
इंटरनेट की आसानी से ओर हर क्षेत्र में बढ़ती पहुंच के चलते भारत में हर कोने में बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. भारत में सिनेमा के अलावा कई क्षेत्रों में ऐसे बड़े प्रभावशाली लोग हैं जो सोशल मीडिया के जरिये अपना प्रभाव डालते हैं. इन प्रभावशाली लोगों के फॉलोअर्स की तादाद लाखों-करोड़ों में है. ऐसे में सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया पर इनकी एक तय जिम्मेदारी हो, ताकि सोशल मीडिया का कोई गलत इस्तेमाल न हो सके और इसका अस्वीकार्य असर न देखने को मिल सके.
कर का भी भुगतान करना होगा
इसी साल एक जुलाई से लागू हुए आयकर विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और ऐसे अन्य लोग जो कंपनियों से मुफ्त में सामान प्राप्त करते हैं, उन्हें प्राप्त करने के लिए पहले करों का भुगतान करना पड़ेगा.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इन नए नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को कार, मोबाइल, पोशाक, सौंदर्य प्रसाधन आदि सामान प्राप्त करने पर 10 फीसदी टीडीएस का भुगतान करना होगा.
क्यों पड़ी जरूरत?
उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) ने वेबसाइटों पर नकली समीक्षा (फेक रिव्यू) को लेकर भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एससीआई) के साथ-साथ ई-कॉमर्स कंपनियों, उपभोक्ता अधिकार मंचों, कानून विश्वविद्यालयों, वकीलों, फिक्की, सीआईआई, उपभोक्ता के अधिकारों को लेकर आवाज उठाने वाले लोग सहित विभिन्न हितधारकों के साथ 27 मई 2022 को एक वर्चुअल (आभाषी) बैठक कर आगे आने वाली समस्याओं तथा फर्जी समीक्षा की जांच के लिए तैयार फ्रेमवर्क के रोडमैप पर चर्चा की थी.
बैठक में इस बात को लेकर विस्तृत चर्चा हुई थी की फर्जी रिव्यू उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए गुमराह करती हैं. विभाग ने तब फैसला किया था कि वह भारत में ई-कॉमर्स संस्थाओं द्वारा अपनाई जा रही मौजूदा व्यवस्था और विश्वभर में अपनायी जा रही बेहतरीन प्रथाओं (Practices) का अध्ययन कर इन रूपरेखाओं को विकसित करेगा.
31 जुलाई को व्यापारियों के निकाय कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ऑनलाइन उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं की नकली समीक्षाओं से बचाने के लिए ब्रांड एंडोर्सर्स (Brand Sponsors) सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर (Social Media Influencers) और ब्लॉगर्स (Bloggers) को प्रस्तावित ढांचे के तहत लाने का आह्वान किया था.
CAIT का कहना था कि किसी उत्पाद या सेवा की रेटिंग को समीक्षा के लिए नीतिगत ढांचे का एक हिस्सा बनाया जाना चाहिए. इसको लेकर व्यापारियों ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जल्द से जल्द सरकार से गाइडलाइंस बनाने की मांग की थी.