Janmastami 2022: मोरपंख और मुरली के बिना श्रीकृष्ण का स्वरूप अधूरा माना गया है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बांसुरी और मोरपंख भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय हैं। यही वजह है कि उनके मुकुट में मोरपंख हमेशा लगा रहता है। शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि विष्णुजी के अवतारों में से सिर्फ श्रीकृष्ण ने मोर मुकुट धारण किया। कान्हा का मोरपंख पहनना केवल प्रेम या उसके प्रति लगाव ही नहीं है बल्कि इसके जरिये भगवान ने कई संदेश भी दिए हैं। मोरपंख उनके सिर पर क्यों सजा है? इसके पीछे कई वजह हैं आइए जानते हैं।
Janmastami 2022: त्रेतायुग में मोरों को दिया था वरदान
ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग के समय जब प्रभु श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे, तो इस खुशी में समस्त अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए।हर जीव अपनी तरह से प्रभु के स्वागत-सत्कार में लगा रहा। इसी क्रम में सुंदर पक्षी मोर भला क्यों पीछे रहता।कहा जाता हैकि मोरों ने अपने पंखों की मदद से पूरी सड़क साफ की। इसे देख श्रीराम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने मोरों को ये वचन दिया कि अगले अवतार में किसी न किसी रूप में अपनाएंगे। यही वजह रही कि द्वापर युग में भगवान ने मोरपंख को अपने मुकुट पर धारण किया।
Janmastami 2022: राधा-कृष्ण के प्रेम की निशानी
कान्हा के पास मोरपंख होना राधा से उनके अटूट प्रेम की निशानी भी है। मान्यताओं के अनुसार एक बार क़ृष्ण की बांसुरी पर राधा नृत्य कर रहीं थीं। तभी उनके साथ महल में मोर भी नाचने लगे।इस दौरान एक मोर का पंख नीचे गिर गया। तब श्री कृष्ण ने उसे उठाकर अपने माथे पर सजा लिया। मोरपंख को उन्होंने राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में माना।
Janmastami 2022: कालसर्प योग का असर
मोर और सांप की दुश्मनी भी मानी जाती है। यही वजह है कि कालसर्प योग में मोरपंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है।मान्यता है कि श्रीकृष्ण पर भी कालसर्प योग था। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे।
Janmastami 2022: शत्रु को भी दिया खास स्थान
श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार माने जाते हैं। मोर और नाग एक दूसरे के दुश्मन हैं, लेकिन कृष्णजी के माथे पर लगा मोरपंख यह संदेश देता है कि वह शत्रु को भी विशेष स्थान देते हैं।
Janmastami 2022: जानिए मुरली रखने की वजह
भगवान श्रीकृष्ण हमेशा अपने साथ मुरली रखते हैं। इसकी वजह ये है कि मुरली उन्हें यशोदा मैया ने उपहार स्वरूप दी थी। मुरली से निकलने वाली ध्वनि बेहद सुरीली और मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है। जो भी व्यक्ति उनकी मुरली की धुन सुनता है वह किसी अलौकिक दुनिया में खो जाता है। मुरली के जरिए कान्हा संदेश देते हैं कि मनुष्यों को हमेशा मीठा और सच बोलना चाहिए।सबसे अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
संबंधित खबरें