12 जनवरी 2017 यह तारीख इतिहास में याद की जाएगी। ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने देश की मीडिया को संबोधित किया हो। देश के लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने खुलेआम मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ विद्रोह का संकेत दे दिया। चार जजों ने CJI के खिलाफ असंतोष को उजागर करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाई। प्रेस कॉन्फ्रेस में चारों जजों ने जमकर सवाल उठाए।

जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर

जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के रहने वाले हैं

जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर केरल और गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं

भौतिकी विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली है

1976 में आंध्र युनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की

अक्टूबर  2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने

चेलमेश्वर ने जजों की नियुक्ति को लेकर NJAC का समर्थन किया

चेलमेश्वर कोलेजियम व्यवस्था की आलोचना कर चुके हैं

जस्टिस रंजन गोगोई

जस्टिस रंजन गोगोई असम के रहने वाले हैं

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों में शामिल हैं

जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं

भारत के पूर्वोत्तर राज्य से इस शीर्ष पद पर काबिज होने वाले पहले जस्टिस होंगे

गुवाहाटी हाई कोर्ट से करियर की शुरुआत की थी

फरवरी  2011 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने

अप्रैल  2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने

पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे हैं

जस्टिस मदन भीमराव लोकुर

जस्टिस मदन भीमराव लोकुर की स्कूली शिक्षा दिल्ली में हुई

दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की

दिल्ली से ही कानून की डिग्री हासिल की

1977 में अपने वकालत करियर की शुरुआत की

सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की

2010 में फरवरी से मई तक दिल्ली HC में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे

जून में गुवाहाटी हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पद पर चुन लिए गए

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के भी मुख्य न्यायधीश रहे

जस्टिस कुरियन जोसेफ

जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 1979 में अपनी वकालत करियर की शुरुआत की

2000 में केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चुने गए

फरवरी, 2010 में हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

8 मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट में जज बने

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की ओर से की गई प्रेस कांफ्रेंस ने न सिर्फ देश को हिला दिया बल्कि मोदी सरकार में भी इसको लेकर हड़कंप मच गया। जजों के मीडिया के सामने आने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को तलब किया। आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब देश की शीर्ष अदालत के वरिष्ठ जज ऐसे मीडिया के सामने आए हैं और कोर्ट प्रशासन के कामकाज पर आरोप लगाया है।

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