Yogi Adityanath Cabinet Decision: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने परिवारों को एक बड़ा तोहफा दिया है क्योंकि अब ब्लड रिलेशन में होने वाली सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों पर अब कोई भी स्टांप फीस नहीं देनी होगी। इन पारिवारिक रजिस्ट्रियों पर मात्र 5 हजार रुपये की स्टाम्प लगेंगे और मात्र 1 हजार प्रोसेसिंग फीस लगेगी। यानि कुल 6 हज़ार रूपये में आप अपने ब्लड रिलेशन में किसी के भी नाम रजिस्ट्री कर सकते हैं। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। शुरुआत में इस योजना का लाभ छह महीने के लिए मिलेगा।

Yogi Adityanath: 6 हजार रुपये में पारिवारिक सदस्यों पर करें सम्पत्तियों की रजिस्ट्री
बता दें कि, योगी सरकार की कैबिनेट द्वारा पास किये गए इस प्रस्ताव के मुताबिक अब अपने सगे लोगों (खून का रिश्ता) के नाम प्रॉपर्टी करने के लिए दान विलेख यानि गिफ्ट डीड में 6 हजार रुपये के स्टाम्प पर रजिस्ट्री हो जाएगी।
इस कैटेगरी में पारिवारिक सदस्यों में पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री का बेटा-बेटी आएंगे। छूट का लाभ स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होने की तिथि से दिया जाएगा। छूट के बाद राजस्व व रजिस्ट्री पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर समय-सीमा छह माह से आगे बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा।
मोटी रकम नहीं होगी देनी
बता दें कि अभी तक परिवार के अंदर दान विलेख में डीएम सर्किल के हिसाब से स्टाम्प ड्यूटी लगती थी लेकिन अब सिर्फ 6 हजार रुपये खर्च करके यह काम हो जाएगा जिसमें पहले भारी भरकम राशि लगती थी। योगी सरकार के इस एलान से उन परिवारों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी जो अपने बच्चों या अपने ब्लड रिलेशन के रिश्तेदारों को संपत्ति ट्रांसफर करना चाहते हैं।

यह योजना अभी सिर्फ 6 महीने के लिए होगी लागू
बताते चलें कि, यह सुविधा देश के प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र,कर्नाटक व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में पहले से हैं। वहां पारिवारिक सदस्यों के बीच अचल संपत्तियों के दान विलेख पर स्टांप शुल्क में छूट दी जाती है।
भारतीय स्टांप अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश सरकार चाहे तो यह छूट दे सकती है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना अभी सिर्फ 6 महीने के लिए लागू की जाएगी। इसके परिणामों को देखकर इस योजना को आगे बढ़ाया जा सकता है।
गौरतलब है कि सरकार के इस फैसले से राजस्व के रूप में लगभग 200 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में परिवार के स्वामी सदस्यों के पक्ष में वसीयत कर देते हैं। संपत्ति स्वामी की मृत्यु के बाद वसीयत को लेकर कई बार विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। इन विवादों में भी इस फैसले से कमी आएगी। राज्य विधि आयोग ने भी इसकी सिफारिश प्रदेश सरकार से की थी।
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