Dolphin: अवैध शिकार और प्रदूषण से लुप्‍त हो रही है ‘Ganga Dolphin’

Dolphin: पिछले काफी समय से लगातार बढ़ रहा अवैध तरीके से शिकार और प्रदूषण की समस्‍या गंगा डॉल्फिन के लिए बड़ा खतरा बन गई है।

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Dolphin: गंगा की गहराई में एक ऐसा प्‍यारा जीव रहता है, जो बच्‍चों से लेकर हर उम्र के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। अपनी जबरदस्‍त उछाल, फ्रेंडली नेचर से लुभाने वाली डॉल्फिन हर किसी की प्‍यारी होती है। यही वजह है कि भारत में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा मिल चुका है।

हालांकि कुछ समय पहले ऐसी खबरें भी सामने आईं थीं।जिनमें पता चला कि इनका अवैध तरीके से शिकार किया जा रहा है। लगातार बढ़ते प्रदूषण से भी इनकी संख्‍या कम होती जा रही है।ये खबर दुखद होने के साथ पर्यावरण के लिए भी बेहद बुरी है। हालांकि केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने की घोषणा की। जोकि प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर होगा।बावजूद इसके अभी तक इनके संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

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Dolphin: वर्ष 2009 में भारत सरकार ने दी ‘राष्ट्रीय जलीय जीव’ के रूप में मान्यता

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वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका यानी गंगा डॉल्फिन की आबादी लगभग 1200-1800 के बीच है। इसे वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलीय जीव के रूप में मान्यता दी थी। गंगा डॉल्फिन की खोज आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में की गई थी।

यह जानकर ताज्‍जुब होगा कि गंगा डॉल्फिन केवल मीठे पानी में रह सकती हैं और वास्तव में दृष्टिहीन होती हैं। ये एक खास प्रकार के इको यानी पराश्रव्‍य ध्‍वनियों का उत्‍सर्जन करती हैं।जो मछलियों और अन्य शिकार से टकराकर वापस लौटती है। उन्हें अपने दिमाग में एक छवि “देखने” में सक्षम बनाती है। इन्हें ‘सुसु’ (Susu) भी कहा जाता है। गंगा डॉल्फिन नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्नाफुली-सांगु नदी प्रणालियों में रहती है।

Dolphin: शिकार और प्रदूषण बना गंगा डॉल्फिन के लिए खतरा

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पिछले काफी समय से लगातार बढ़ रहा अवैध तरीके से शिकार और प्रदूषण की समस्‍या गंगा डॉल्फिन के लिए बड़ा खतरा बन गई है। दरअसल लोगों की तरह ही डॉल्फिन भी नदी के उन क्षेत्रों को पसंद करती हैं। जहां मछलियां बहुतायत मात्रा में हों और पानी का प्रवाह धीमा हो। इसके कारण लोगों को मछलियां कम मिलती हैं।

इसी क्रम में मछली पकड़ने के जाल में अक्‍सर गंगा डॉल्फिन फंस जाती हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। जिसे बायकैच (Bycatch) के रूप में भी जाना जाता है।

इसके अलावा बांध और सिंचाई से संबंधित अन्य परियोजनाओं के निर्माण के चलते उन्हें सजातीय प्रजनन के लिए संवेदनशील बनाने के साथ अन्य खतरे भी बनाता है।

वे अन्य क्षेत्रों में नहीं जा सकते हैं। एक बांध में पानी के प्रवाह में भारी प्रदूषण, मछली पकड़ने की गतिविधियों में वृद्धि और पोत यातायात डॉल्फिन के लिए खतरा है। इसकी वजह से उनके लिये भोजन की भी कमी होती है क्योंकि बांध मछलियों और अन्य शिकारों के प्रवासन, प्रजनन चक्र तथा निवास स्थान को प्रभावित करता है।

Dolphin: गंगा डॉल्फिन IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त की श्रेणी में पहुंची

गंगा डॉल्फिन को ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।देश में डॉल्फिन अभयारण्य संरक्षण की पहल में बिहार के भागलपुर जिले में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना भी की गई है।

‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ में गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयास किए गए।इसके तहत गंगा डॉल्फिन और उनकी आबादी के लिये प्रमुख खतरों के रूप में नदी में यातायात, सिंचाई नहरों और शिकार की कमी आदि की पहचान की गई है। प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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