Kedarnath Yatra 2022: आज वैदिक मंत्र उच्चारण से बाबा केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं। चारधाम यात्रा में से एक केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। प्रति दिन 12 हजार श्रद्धालु एक साथ बाबा के दर्शन कर सकेंगे। आज सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर रावल भीमा शंकर लिंग ने पूरे विधि विधान और पंरपरा के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खोले। उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
पूरे मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। मंदिर के कपाट खुलने के दौरान करीब 20 हजार भक्त मौजूद रहे। बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले पंरपरागत तौर से सारी रस्में निभाई गई। सुबह केदारनाथ के प्रधान पुजारी आवास से आर्मी बैंड और स्थानीय वाद्य यत्रों के साथ बाबा केदार की डोली को मंदिर परिसर की ओर ले जाया गया और बाबा केदारनाथ के जयकारों के बीच मंदिर परिसर को खोला गया।
Kedarnath Yatra 2022: जानिए क्या महत्व है केदारनाथ धाम का
हिन्दू धर्म में चारधाम यात्रा का विशेष महत्व है। चारों धामों में से एक केदारनाथ भी है, जिसकी बहुत मान्यता है। देश में कुल 12 ज्योर्तिलिंगों की श्रेणी में केदारनाथ भी शामिल है। कहा जाता है बाबा केदारनाथ के पास हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जो भी भक्त अपनी मनोकामना बाबा भोलेनाथ के सामने रखता है बाबा उसे जरूर पूरा करते हैं।
एक और यह मान्यता है कि जब महाभारत के युद्ध विजय के बाद पांडव अपने ही परिवार जनों के वध से शोक की भावना से भर गए थे, तब पांडव अपने पाप से मुक्त होने के लिए काशी गए। पांडव काशी भोलेनाथ के दर्शन के लिए गए। बाबा भोलेनाथ को जब पांडवों के बारे में पता चला तब वह नाराज़ होकर केदारनाथ चले गए।
पांडवों से बचने के लिए भोलेनाथ ने बैल का रूप ले लिया और बैलों के झुंड में शामिल हो गए। पांडव भोलेनाथ को ढूंढ़ते हुए केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में भीम ने अपना विराट स्वरूप धारण किया। भीम के विराट रूप के कारण सभी जानवर उनके पैरों के बीच से निकल गए। इसी दौरान भीम ने भगवान शिव को ढूंढ़ लिया। भोलेनाथ पांडवों की भाव-भक्ति देख खुश हुए और दर्शन देकर सभी पांडवों को पाप से मुक्त कर दिया। पांडवों ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना कराई जहां बैल के पीठ की आकृति-पिंड की पूजा होती है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या नियमित कर दी गई है। सरकारी आदेश के हिसाब से रोज 12 हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे। गंगोत्री में 7 हजार और यमुनोत्री में 4 हजार श्रद्धालुओं को दर्शन की आज्ञा है, जबकि बद्रीनाथ में 15 हजार श्रद्धालुओं को दर्शन की इजाजत मिली है।
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