Supreme Court: बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1 अप्रैल को कानून में व्यापक संशोधन किया है। जिसका रिकॉर्ड कोर्ट में रखने के लिए समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार का आग्रह स्वीकार करते हुए हुए मामले की सुनवाई बाद में किए जाने की बात कही।
शराबबंदी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस बाबत पटना हाईकोर्ट में इसी मुद्दे में दायर याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट में हस्तांतरित करने का आदेश दिया।बिहार सरकार की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार कर रहे हैं।
Supreme Court: हाईकोर्ट में दायर अन्य याचिकाएं भी यहां ट्रांसफर करने के निर्देश
न्यायमूर्ति एएम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस कोर्ट के समक्ष समान मुद्दे विचारार्थ लंबित हैं, इसलिए यह उचित होगा कि हाईकोर्ट में दायर अन्य रिट याचिकाएं भी यहां ट्रांसफर कर दी जाएं। इन याचिकाओं की शीर्ष कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी।
शीर्ष कोर्ट बिहार में शराबबंदी मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें एक याचिका इंटरनेशनल स्पिरिट एंड वाइन्स एसोसिएशन आफ इंडिया ने दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में बिहार मद्य निषेध एवं आबकारी अधिनियम, 2016 की वैधता को लेकर सवाल उठाया गया है। राज्य सरकार को तीन हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए शीर्ष कोर्ट ने मामले की सुनवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह के लिए निर्धारित कर दी थी।
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