Allahabad HC: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट में मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा की स्कूल में हुई मौत के मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। मामले की अगली सुनवाई अब 23 मार्च को होगी। सरकार की तरफ से बताया गया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर अधिकारी कार्यों में व्यस्त हैं।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ कर रही है। इस मामले में सरकार ने जानकारी दी थी, कि विद्यालय की प्रधानाचार्या को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी आत्महत्या के लिए उकसाने के अंतर्गत की गई है।कोर्ट की ओर से पूछे जाने पर कि प्रधानाचार्या के खिलाफ हत्या का आरोप कैसे हटाया ? उसकी गिरफ्तारी आत्महत्या के लिए उकसाने पर क्यों की ? इस पर सरकार की तरफ से कहा गया, कि एसआईटी की विवेचना में अभी तक मिले साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तारी की गई है।
Allahabad HC: हत्या के साक्ष्य नहीं मिले
सरकार ने कोर्ट को बताया कि विवेचना में हत्या से संबंधित साक्ष्य मिलने पर प्रधानाचार्या की गिरफ्तारी तदनुसार बदल दी जाएगी।एसआईटी ने हर पहलू पर विचार किया है। साक्ष्य छात्रा द्वारा आत्महत्या किए जाने के संकेत मिल रहे हैं। जिसकी पारिवारिक वजह भी हो सकती है। कहा गया था कि एसआईटी को छात्रा द्वारा लिखित एक पत्र मिला है। मामले की जांच की जा रही है। मैनपुरी के महेन्द्र प्रताप सिंह इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की है। आरोप लगाया कि पुलिस आरोपियों को पकड़ने के बजाय पीड़िता के परिवार को ही कटघरे में खड़ा कर रही है।
Allahabad HC: कोर्ट में लंबित मामलों के जल्द निस्तारण पर जोर
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि वकालत के दौरान बार एसोसिएशन जैसी संस्था से ही अत्यधिक चीजें सीखने को मिली हैं, जो आज भी उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। इस दौरान बार के वरिष्ठ सदस्यों से प्राप्त होने वाले सझाव व अनुभव आज भी प्रासंगिक हैं।
चीफ जस्टिस गुरुवार को हाईकोर्ट बार की ओर से आयोजित अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन में आने के बाद एक सुखद अनुभव का अहसास हो रहा है। यहां आकर वकालत की दौरान की यादें ताजा हो गईं। इस अवसर पर उन्होंने उच्च न्यायालय व अन्य न्यायालयों में लंबित मुकदमों के जल्द निस्तारण के संबंध में कार्य करने की बात भी कही।
कहा कि उत्तर प्रदेश देश का बड़ा राज्य होने के कारण, यहां दाखिल होने वाले मुकदमों का अनुपात पूरे देश में दाखिल होने वाले मुकदमों का 1/5 है। इसलिए सुनियोजित तरीके से निस्तारण के लिए इस दिशा में विशेष प्रयास किया जा रहा है।हाईकोर्ट बार के लाइबेरी हाल में अध्यक्ष राधाकांत ओझा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने कहा कि बीते दो वर्षों में कोविड-19 के कारण अधिवक्ता समाज को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
इसके बावजूद अधिवक्ता विषम परिस्थितियों में भी वादकारियों के हित में कार्य करते रहे। न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि वर्तमान विषम परिस्थितियों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्याय प्रक्रिया को रुकने नहीं दिया, जिसमें हाईकोर्ट बार का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ। न्याय प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में बार एसोसिएशन ने सदैव सेतु का कार्य किया।
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