इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर अपनी शौर्य गाथाओं की छाप छोड़ने वाली इस भारत भूमि ने कई योद्धाओं को जन्मा जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) भी उन्हीं वीर सपूतों में से हैं जिनके शौर्य की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह और माता जयवंत कंवर थीं। महाराणा प्रताप को बचपन में ‘कीका’ के नाम से पुकारा जाता था।
Maharana Pratap की तलवार से घबराता था अकबर
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महाराण प्रताप की मृत्यू अपनी राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज के बाद 57 वर्ष की उम्र में 19 जनवरी 1597 में हुई थी। इतिहास में उनका नाम सदा के लिए दर्ज हो गया।
उनके पराक्रम का लोहा खुद अकबर ने भी माना था। आज उसी महान योद्धा की पुण्यतिथि है। आइए आपको बताते हैं उनके नेक विचार
जिसकी तलवार की छनक से “अकबर” का दिल घबराता था….!!
वो अजर अमर वो शूरवीर वो “महाराणा प्रताप सिंह” कहलाता था….!!
Maharana Pratap के नेक विचार
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- अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है।
- अपने कतर्व्य,और पुरे सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक स्मरण रखा जाता है।
- समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
- अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है।
- मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बङी कमाई होती है। अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
- समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रास्ते पर अडिग रहो।
- नित्य, अपने लक्ष्य, परिश्रम और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है।
- मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है।
- अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगा ही।
- अन्याय, अधर्म आदि का विनाश करना पुरे मानव जाति का कतर्व्य है।
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