Gender Ratio in India: भारत में लगातार महिलाओं की घटती संख्या चिंता का विषय बनती जा रही थी। पर सही समय पर देश के लिए सुकून की खबर सामने आई है। भारत में अब 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ी बेहतर खबर है। आजादी के बाद महिलाओं के संख्या में पहली बार इजाफा हुआ है। महिलाओं को लेकर भारत में हालात बदल रहे हैं। यह आंकड़ा नवंबर माह में ही सामने आ गया था लेकिन आज अधिकारिक तौर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि कर दी है। 18 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार(Bharati Pravin Pawar) ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह लिखित जानकारी दी।
2015-16 में इतनी थी संख्या
24 नवंबर को नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5(NFHS-5)ने इसके आंकड़े जारी किए थे, जिसे सरकार की अंतिम मुहर लग गई। इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था। बाल लिंगानुपात में सुधार को बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना से जोड़ते हुए मंत्री ने कहा कि इन योजनाओं में राष्ट्रव्यापी मीडिया, एडवोकेसी कैम्पेन और कुछ क्षेत्रों में कई अन्य तरह के प्रयाश शामिल हैं।
यही नहीं, जन्म के समय का लिंगानुपात यानी जेंडर रेश्यो भी सुधरा है। 2015-16 में यह प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों पर पहुंच गया है। खास बात ये है कि कुल आबादी में लिंगानुपात शहरों के बजाय गांवों में बेहतर है। गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं ही हैं।
बता दें कि 2011 की जनगणना में भारत में 1000 पुरुषों की तुलना में 943 महिलाएं थीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के तहत देश के करीब 6 लाख परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था। देश के जनगणना विभाग की ओर से साल 2013 से 2017 तक के अनुमान के अनुसार भारत में औरतों की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 70.4 साल है। वहीं पुरुषों की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 67.8 साल है।
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