UP Election 2022 में बीजेपी कें Manifesto में सबसे ऊपर कौन सा मुद्दा रहने वाला है, यह साफ हो गया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या (Keshav Prasad Maurya) ने अपने एक ट्वीट से साफ कर दिया है कि उनकी सरकार किस मुद्दे को लेकर राज्य में वोट मांगने वाली है। पार्टी के Manifesto में Mathura Next है। अयोध्या और काशी (Ayodhya and Kashi) के बाद पार्टी की नजर कृष्ण जन्मभूमि (Krishna Janma Bhoomi) पर है। उनके एक ट्वीट के बाद ट्विटर पर #MathuraNext ट्रेंड कर रहा है।
देखें ट्वीट
1 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने ट्वीट कर लिखा था कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है मथुरा की तैयारी है।
मौर्या के इस ट्वीट के बाद कहा जा रहा है कि बीजेपी फिर हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने में जुट गई है। बीजेपी 90 के दशक के अपने पुराने तेवर में लौट रही है। मौर्या के इस ट्वीट पर विपक्षी दलों का कहना है कि पार्टी के पास विकास की बात करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वे फिर हिंदू-मुस्लिम वाली राजनीति पर उतर आए हैं।
मौर्या के ट्वीट से पहले एक दक्षिणपंथी संगठन ने मथुरा की शाही मस्जिद में भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्थापित करने का ऐलान किया था। जानकारी के अनुसार, वो संगठन 6 दिसंबर को शाही मस्जिद में कान्हा की मूर्ति की स्थापना करेगा। 6 दिसंबर वही तारीख है जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढाचे को गिराया गया था। संभावना जताई जा रही है कि राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वहां पर पहले से ही फोर्स को लगाने की तैयारी हो चुकी है। मथुरा में धारा 144 लागू है।
पूरा मामला
अहम बात ये है कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के विवाद को लेकर 136 साल तक केस चला। जिसके बाद अगस्त 1968 में महज ढाई रूपये के स्टांप पेपर पर समझौता किया गया। तत्कालीन डीएम व एसपी के सुझाव पर श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने दस प्रमुख बिदुओं पर समझौता किया था। जिस समझौते को अवैध करार देते हुए कोर्ट में दाखिल दावे में मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।
इस बाबत कोर्च में याचिका भी दाखिल की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था और वह पूरा श्रेत्र ‘कटरा केशव देव’ के नाम से जाना जाता है। कृष्ण जन्म की वास्तविक जगह वहां है, जहां मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंधन कमेटी ने निर्माण किया हुआ है। दावे में यह भी कहा गया है कि, मुगल शासक औरंगज़ेब ने मथुरा में कृष्ण मंदिर को नष्ट करवाया था। जहां केशव देव मंदिर था, वहीं जो मस्जिद बनवाई गई, उसे ईदगाह के नाम से जाना जाता है।
काशी विश्वनाथ परिसर को मोदी सरकार ने भव्य स्वरूप दिया है
कुछ हलकों में यह कहा भी जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य के बाद मथुरा जन्मभूमि का विवादित प्रकरण उठाया जा सकता है। जहां तक काशी विश्वनाथ का सवाल है तो वहां भी मोदी सरकार ने पूरे परिसर को भव्य रूप दे दिया है।
दरअसल काशी और मथुरा का विवाद हालिया तौर पर तब तूल पकड़ने लगा जब राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य जगदगुरु वासुदेवानंद सरस्वती ने यह बयान दिया था कि पहले राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। उसके बाद काशी विश्वनाथ और मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए काम किया जाएगा।
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