हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। केंद्र सरकार के खिलाफ एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु ने अवमानना याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका में कहा गया है कि कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्ति के लिए दोबारा भेज गए 11 नामों को केंद्र द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर मंजूरी नहीं दी गई। जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलंघन है।
केंद्र ने समय रहते नहीं की नियुक्ति
याचिका में कहा गया है कि केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करना कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त समयसीमा निर्धारित की थी, जिसमें एक बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नामों को दोहराए जाने के बाद, केंद्र को इस तरह के दोहराव के 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हाल ही में हाईकोर्ट के जजों की नई नियुक्तियां और तबादले हुए थे
मालूम हो कि इससे पहले CJI एन.वी. रमना के नेतृत्व वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीशों के तबादले और नियुक्तियां कर बड़ा फेरबदल किया था। सितंबर में विभिन्न हाईकोर्ट में नियुक्तियों, तबादलों और पुन: तबादलों के लिए 100 से अधिक सिफारिशें कॉलेजियम द्वारा मंजूरी के लिए सरकार को भेजी गई थीं।
चीफ जस्टिस रमना ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका कॉलेजियम हाईकोर्ट में लंबे समय से लंबित रिक्तियों को भरने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है और सरकार से न्यायपालिका के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया जिससे सिफारिशों को तय किया जा सके।
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