Cash For Query: तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता रद्द करने के फैसले को आज सोमवार (11 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ‘Cash-For-Query’ मामले में आचार समिति की रिपोर्ट के बाद महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। मोइत्रा पर संसद में मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सवाल पूछने के बदले में व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से 2 करोड़ रुपये नकद और “लक्जरी उपहार आइटम” सहित रिश्वत लेने का आरोप है।
“आचार समिति की रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा है” -TMC सांसद
संसद से अपने निष्कासन को लेकर महुआ मोइत्रा ने सार्वजनिक बयान भी दिया है। उन्होंने रिश्वतखोरी के आरोपों से इनकार किया लेकिन लॉग-इन विवरण साझा करने की बात स्वीकारी है। मोइत्रा ने सदस्यता जाने पर कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं थे। उन्होंने कहा, ”लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा है। मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है। नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है, आचार समिति ने मुद्दे की जड़ तक पहुंचे बिना मुझे दोषी ठहराने का फैसला किया।”
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“कंगारू कोर्ट ने बिना सबूत के मुझे सजा दी” -महुआ मोइत्रा
केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने कहा, “सांसद आम जनता के सवालों को संसद तक पहुंचाने में सेतु की भूमिका निभाते हैं, कंगारू कोर्ट (अवैध अदालत) ने बिना सबूत के मुझे सजा दी मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन विवरण साझा करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं है। ये फैसला दिखाता है कि मोदी सरकार के लिए अडानी ग्रुप कितना महत्वपूर्ण है।”
बता दें, महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाने पर विपक्षी सांसद लोकसभा से बाहर आ गए। इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल रहीं। इस दौरान सभी विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि बीजेपी और केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है।
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