मंगलवार 8 नवंबर को अमेरिका में होने जा रहे रहे मध्यावधि चुनाव (Midterm Elections) पर पूरा विश्व बड़ी बारिकी से नजर बनाए हुए है. इन चुनाव से ये तय हो जाएगा कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में किसका राज होगा. इन चुनाव में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की भी सभी 435 सीटों वहीं सीनेट की 35 सीटों पर जोर-आजमाइश होगी.
इस समय मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की डेमोक्रेटिक पार्टी का कांग्रेस के दोनों सदनों (सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव) में बहुमत है लेकिन सर्वेक्षणों के मुताबिक अबकि बार यहां उनकी हार भी हो सकती है.
चुनाव प्रचार के दौरान बाइडेन कह रहें है कि अगर हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो अबॉर्शन (गर्भपात) राइट्स और पब्लिक हेल्थकेयर में मिल रही सुविधा में और कटौती हो सकती है.
ट्रंप तलाश रहे हैं 2024 के लिए रास्ता
इन चुनावों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन को घेरने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते. ये चुनाव ट्रंप के लिए बेहद अहम है क्योंकि वो 2024 में फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद भी रिपब्लिकन पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है. उन्होंने सीनेट के लिए 35 में से 25 रिपब्लिकन उम्मीदवारों का समर्थन किया है. ट्रंप का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (Make America Great Again- MAGA) का तेवर अब भी कायम है. ट्रंप बार-बार चुनावी सभाओं में कहा रहे हैं कि देश में महंगाई और नौकरी आज भी एक बड़ा मुद्दा है.
आखिर क्यों दी जा रही है इन चुनाव को इतनी अहमियत?
अमेरिका में ये मध्यावधि चुनाव (Midterm Elections) ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस वक्त संकट के दौर से गुजर रही है वहीं महंगाई अपने चर्म पर है. ऐसे में चुनाव के नतीजे राष्ट्रपति बाइडेन पर भारी भी पड़ सकते हैं.
इन चुनाव में अगर अमेरिकी कांग्रेस का स्वरूप बदलता है तो अमेरिकियों की रोजमर्रा की जिंदगी में भी बदलाव देखने को मिलेंगे. उदाहरण के तौर पर हम गर्भपात के मुद्दे को देख सकते है. जून में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को मिली संवैधानिक सुरक्षा को हटा दिया था. अब कांग्रेस में जिस पार्टी का बहुमत होगा वह इसके लिए नए सिरे से कानून बनाएगी.
राष्ट्रपति बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी ने भारत में घट रही है स्कूलों की संख्या, जानिए देश में स्कूली शिक्षा को लेकर क्या बताती है UDISE+ रिपोर्ट वहीं रिपब्लिकन पार्टी ने 15 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित करने का वादा किया है.
इन चुनाव में यदि रिपब्लिकन जीतते हैं तो इमिग्रेशन (आप्रवास), धार्मिक अधिकार और हिंसक अपराधों से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है. डेमोक्रेट्स के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य, मताधिकार और गन-कंट्रोल जैसे मुद्दे प्राथमिकता में होंगे.
वहीं हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में जीत की उम्मीद लगाए बैठी रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि अगर वो ये चुनाव जीतते हैं तो वो 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर हुए हमले की जांच को बंद कर देंगे और जो बाइडेन के बेटे हंटर के चीन से कारोबारी संबंधों की जांच शुरू कर देंगे. इसके अलावा अगर रिपब्लिकन जीते तो पार्टी उन लोगों की नियुक्तियों पर रोक लगा सकती है, जिन्हें बाइडेन फेडरल अदालतों और अहम सरकारी एजेंसियों में काम करने के लिए चुना है.
कितना होगा है इन चुनाव का महत्त्व
आम तौर पर मध्यावधि चुनाव को किसी भी राष्ट्रपति के पहले दो साल के कार्यक्रम पर जनमत सर्वेक्षण के तौर पर देखा जाता है. आम तौर पर इन चुनावों में सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है. पिछले एक साल से राष्ट्रपति बाइडेन की अप्रूवल रेटिंग भी लगातार काफी खराब होती जा रही है. महंगाई दर में बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था से जुड़ी दूसरी चिंताओं ने डेमोक्रेटिक पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है.
कांग्रेस में बहुत कम अंतर से बहुमत होने के बावजूद अपने दो साल के अब तक के कार्यकाल में बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन, गन-कंट्रोल और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश से जुड़े कई नए कानूनों को पारित कराया है. अगर दोनों सदनों में किसी भी एक सदन रिपब्लिकन बहुमत में आए तो कांग्रेस में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से लाए जाने वाले बिलों में अड़चन आ सकती है.
दोनों पार्टियों की साख दांव पर
बाकि सब मुद्दों के अलावा अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद बने हालात के अलावा यूक्रेन में जारी युद्ध भी एक बड़ा मुद्दा है. अफगानिस्तान, यूक्रेन की घटनाओं ने राष्ट्रपति बाइडेन की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचाया है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप इन मुद्दों को लेकर बाइडेन को पहले भी कई बार ‘कमजोर’ नेता ठहरा चुके हैं.
इसके अलावा ये भी माना जा रहा कि यदि मध्यावधि चुनाव में अगर रिपब्लिकन की जीत होती है तो पूर्व राष्ट्रपति डॉन्लड ट्रंप ये फिर से दावा कर सकते हैं कि 2020 का चुनाव वो जीत गए थे, लेकिन उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने नहीं दिया गया. अमेरिका के मध्यावधि चुनाव की दौड़ में भारतीय मूल के पांच अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं. इनमें से चार डेमोक्रेटिक पार्टी की और से चुनावी मैदान में हैं.