अफगानिस्तान की Taliban सरकार ने लड़कों के लिए स्कूल को फिर से खोले जाने की अनुमति दे दी है।Taliban की सत्ता में वापसी के बाद काबुल और पूरे Afghanistan में स्कूलों के महीने भर बंद रहने के बाद, अब तालिबान ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर अधिकारियों को शनिवार से मदरसों, निजी और सार्वजनिक स्कूलों और देश के अन्य शैक्षणिक संस्थानों को फिर से Middle और High School के लड़कों के लिए खोलने का आदेश दिया है। लेकिन इस आदेश में लड़कियों का जिक्र नहीं है।
बयान में कहा गया कि सभी पुरुष छात्र और पुरुष शिक्षक अपने स्कूलों में उपस्थित हों। हालांकि बयान में स्पष्ट रूप से हाई स्कूल की लड़कियों के लिए स्कूल में आने के लिए नहीं कहा गया। अफगानिस्तान में कुछ प्राथमिक (Primary) स्कूल पहले ही खुल चुके हैं और कक्षा 6 तक की लड़कियां स्कूल जा रही हं। महिला छात्राएं भी विश्वविद्यालय में पढ़ने जा रही हैं।
शिक्षा के लिए किसी पर कोई पाबंदी नहीं : बिलाल करीमी
तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी (Bilal Karimi) ने द वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि उन्हें शिक्षा मंत्रालय के लड़कों के लिए स्कूल खोलने लेकिन लड़कियों के लिए स्कूल बंद रखने के किसी भी फैसले के बारे में पता नहीं है। करीमी ने कहा, “हम लड़कों और लड़कियों की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं।”
लड़के-लड़कियां एक साथ नहीं पढ़ सकते : हक्कानी
कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने 12 सितंबर को घोषणा की थी कि महिलाओं को विश्वविद्यालयों और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में अध्ययन करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा था, ” हम महिला और पुरुष छात्रों को एक कक्षा में पढ़ने की अनुमति नहीं देंगे। सहशिक्षा शरिया कानून के खिलाफ है।”
Malala Yousafzai ने लड़कियों की शिक्षा की मांग की
लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा के स्कूल न खोलने पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने Tweet किया, ” यह शर्मनाक है और बिल्कुल भी नया नहीं है। अतीत में, तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर “अस्थायी” प्रतिबंध लगाया जो पांच साल तक चला। वे हमारे संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं। हम मांग करते हैं कि नेता अफगान लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकार के लिए खड़े हों। ”
तालिबान Virtue और Vice मंत्रालय को वापस ला रहा है
शुक्रवार को तालिबान ने महिला मामलों के मंत्रालय के Signs को Virtue और Vice मंत्रालय के Signs के साथ बदल दिया। सोशल मीडिया में आई तस्वीरों में दिखा कि तालिबान के कार्यकर्ताओं ने महिला मंत्रालय के हस्ताक्षर को मिटा रहे हैं।
1996 से 2001 तक तालिबान के अंतिम शासन के दौरान लड़कियों के लिए स्कूलों को बंद कर दिया गया था और महिलाओं के काम पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सार्वजनिक स्थानों पर बेहिसाब चलने वाली कई महिलाओं को पिटाई का सामना करना पड़ा। पुलिस ने शरिया कानून की सख्त व्याख्या को लागू किया, जिसमें एक रूढ़िवादी ड्रेस कोड और नैतिक उल्लंघन के लिए सार्वजनिक फांसी का दंड शामिल है।
ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट के पास फिर हुआ एक और धमाका, इलाके में अफरा-तफरी का माहौल
काबुल हमले के लिए US ने मांगी माफी, इसे बहुत बड़ी गलती मानी