South China Sea Dispute: दक्षिण चीन सागर विवाद को दुनिया के सबसे बड़े महासागरीय विवाद के रूप में माना जाता है। चीन और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश मलेशिया, वियतनाम , इंडोनेशिया , फिलीपींस और ब्रूनेई के बीच दक्षिण चीन सागर के कई इलाकों और स्पार्टले और परासेल द्वीप को लेकर विवाद है। चीन ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के आर्थिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर वहां नौ स्थानों पर डैश या चिन्ह लगाकर विवाद बढ़ाया है। इसलिए ये विवाद ‘नाइन डैश लाइन’ विवाद के नाम से भी जाना जाता है।
South China Sea Dispute: चीन की निगाहें दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के EEZ और द्वीपों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों पर है
दरअसल चीन की निगाहें दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के EEZ और द्वीपों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों पर है। यहां प्राकृतिक तेल, गैस प्रचूर मात्रा में हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन ने कई छोटे द्वीपों पर सैनिक अड्डे बना लिए हैं। दक्षिणी चीन सागर पर कई दूसरे देश भी दावेदारी कर रहे हैं। दक्षिण चीन सागर प्रशांत महासागर का हिस्सा है। इमसें करिमाता, फारमोसा और मलक्का जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
South China Sea Dispute: यह प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट पर है। दक्षिण चीन सागर जहां प्राकृतिक संसाधनों से अटा पड़ा है वहीं इसका सामरिक महत्व भी काफी है। दक्षिणी चीन सागर, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच स्थित बेहद अहम कारोबारी इलाक़ा भी है। दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 20 फ़ीसदी हिस्सा यहां से होता है। इस इलाके में मछलियां भी भरपूर मात्रा में पाई जाती हैं। जो आस पास के देशों के लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए अहम है।
South China Sea Dispute: इतना ही नहीं दक्षिण चीन सागर में 11 बिलियन बैरल प्राकृतिक तेल के भंडार हैं और 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार हैं। 280 ट्रिलियन क्यूबिक फीट होने की भी संभावना है। हर साल 5 ट्रिलियन डॉलर का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संभव होता है। चीन का करीब 80 फीसदी ऊर्जा आयात और चीन के कुल व्यापार का करीब 39.5 फीसदी दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरता है।
दरअसल चीन को प्राकृतिक तेल की आपूर्ति मध्य-पूर्व से होती है और यह मलक्का के रास्ते से होकर गुजरता है । अक्सर अमेरिका चीन को मलक्का जलडमरुमध्य को ब्लॉक करने की धमकी देता रहता है। अगर ऐसा हुआ तो चीन की ऊर्जा आपूर्ति रुक जाएगी । 2016 में दक्षिण चीन सागर में चीन के हक को लेकर हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने कहा था कि चीन अवैध तरीके से दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के जायज अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। हालांकि चीन ने इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया था।
South China Sea Dispute: दक्षिण चीन सागर को लेकर बात करें भारत की तो भारत, दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र और निर्बाध जल परिवहन के लिए सभी पक्षों से ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी के सिद्धांतो को अपनाने का समर्थन करता है। साल 2016 में विदेश मंत्रालय ने भी आधिकारिक रूप से कहा था कि जिसे चीन दक्षिण चीन सागर कह रहा है ,वह फिलीपींस सागर है। जाहिर है चीन अपनी ताकत की बदौलत पूरे इलाके पर धौस जमा रहा है और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी ठेंगा दिखा रहा है।
संबंधित खबरें…
South China Sea में चीन की चाल, लड़ाकू जेट और मिसाइलें की तैनात; कई देशों के लिए बढ़ा खतरा