ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, सिटिजनशिप मामले में रोक, अगला कदम क्या होगा?

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ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका
ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका मिला है। कोर्ट ने उनके उस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है जिसमें अमेरिका में जन्मे कुछ बच्चों की नागरिकता खत्म करने की बात कही गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर विस्तार से सुनवाई करने की बात भी कही है, जो अब मई में होगी।

इस समय कोर्ट इस मुद्दे की संवैधानिक वैधता पर सीधा फैसला नहीं देगा। वह पहले यह तय करेगा कि क्या देश की निचली अदालतों के जज पूरे अमेरिका में राष्ट्रपति की नीतियों को लागू होने से रोक सकते हैं या नहीं। यह सवाल भविष्य की कानूनी प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकता है।

फैसले पर रोक का आदेश

देश के तीन अलग-अलग संघीय जजों ने ट्रंप के उस आदेश पर निषेधाज्ञा लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले या अस्थायी वीज़ा पर आए लोगों के यहां जन्मे बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी। इन जजों ने अपने फैसलों में स्पष्ट किया कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन के खिलाफ है, जो जन्म आधारित नागरिकता का अधिकार देता है।

सरकार की अर्जेंसी अपील

ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंसी अपील दाखिल करते हुए मांग की थी कि निचली अदालतों की इन रोकों को हटाया जाए या कम से कम सीमित किया जाए। प्रशासन का तर्क था कि स्थानीय जजों को पूरे देश पर असर डालने वाले फैसले देने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

15 मई को होगी अहम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 15 मई को इस मामले की सुनवाई करेगा। खास बात यह है कि कोर्ट ने इसे “आपात अपील” के तहत सूचीबद्ध किया है, जो यह दर्शाता है कि कोर्ट इसे गंभीर मसला मान रहा है। अगर कोर्ट ट्रंप प्रशासन की इस दलील से सहमत होता है कि निचली अदालतों ने अधिकार से अधिक फैसला दिया, तो इससे सरकार को कुछ राज्यों में अपनी नागरिकता नीति को लागू करने की इजाजत मिल सकती है।

क्या था ट्रंप का आदेश

अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ट्रंप ने एक नया आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जिन बच्चों के माता-पिता अमेरिका में बिना कानूनी दस्तावेजों के हैं या जिनका वीज़ा अस्थायी है, उन्हें अमेरिकी नागरिकता नहीं दी जाएगी।

हालांकि, कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस आदेश पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह आदेश संविधान और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के खिलाफ है। अमेरिका का 14वां संशोधन साफ कहता है कि जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्मा है और वहां के कानूनों के अधीन है, उसे अमेरिका की नागरिकता का हक है।