अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कुछ दिन पहले ही काबुल पर आतंकी हमले की आशंका जताई थी और ISIS-K का नाम लिया था। इसके कुछ दिन बाद (26 अगस्त) ही काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमला कर दिया गया। बड़े आतंकी हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। समय के अनुसार मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ठीक सामने गुरुवार शाम 5 बजे दो फिदायीन हमले हुए। इस धमाके में 90 अफगानी नागरिकों की मौत हो गई है। वहीं 200 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हुई है और 15 घायल हैं। काबुल एयरपोर्ट से तमाम फ्लाइट ऑपरेशन्स बंद कर दिए गए हैं। न्यूज एजेंसी से मिली खबर के अनुसार हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS के खुरासान ग्रुप ने ली है।
धमाके के बाद से ही भयंकर तस्वीरें सामने आरही हैं जिसमें चारों तरफ लाशों का अंबार दिख रहा है। नाले का पानी लाल और अपनों को खो देने का दर्द झलक रहा है।
15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद वहां की जनता देश छोड़ कर भाग रही है। तालिबान ने चारों तरफ से अफगानिस्तान को सील कर दिया है। यहां से बाहर निकलने का इकलौता रस्ता काबुल एयरपोर्ट है क्योंकि इसे नाटो देश सुरक्षा दे रहे हैं। देश छोड़ने की चाह लेकर अफगानी नागरिक एयरपोर्ट पहुंचे थे पर उन्हें क्या पता था कि इतना बड़ा आत्मघाती हमला हो जाएगा।
बड़ा आतंकी हमला तब हुआ है जब तालिबान के प्रवक्ता शोहेल साहीन ने 23 अगस्त को कतर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि, 31 अगस्त तक अमेरिका को काबुल एयरपोर्ट से सेना हटानी होगी। वरना अंजाम बुरा होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तालिबान की धमकी से पहले ही ऐलान कर चुके थे कि 31 अगस्त के बाद से अमेरिकी सेना वहां से हट जाएगी। पर देश में भारी संख्या में अमेरिका रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है जिसके कारण बाइडेन ने एक बार फिर ऐलान किया कि वे 11 सितंबर को किसी भी कीमत पर वहां से अपने सैनिकोें को वापस बुला लेंगे। अब कहा जा रहा है कि आतंकी हमले के बाद बाइडेन अपना मूड बदल सकते हैं।
अफगानिस्तान में अब अमेरिकी सेना नहीं है। सिर्फ काबुल एयरपोर्ट को सुरक्षा देने के लिए अमेरिकी सैनिक वहां पर मौजूद हैं। तालिबान चाहता है कि वहां से बाइडेन अपनी सेना जल्द वापस बुला लें। खबर है कि बाइडेन और नाटो देशों को चेतावनी देने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया है। आतंकी हमले में अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिक निशाने पर थे।
काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले की जिम्मेदारी ISIS खुरसाना गुट ने ली है। ISIS खुरासान, ISIS का ही एक हिस्सा है। जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के आतंकवादी चलाते हैं। इसका मुख्यालय अफगानिस्तान का नांगरहार राज्य है, जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है। तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी ISIS खुरासान में शामिल हो गए।
धमाका हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के भीतर नहीं उसके ठीक सामने हुआ है। अब्बे गेट और बैरन होटल के पास दोनों हमला हुआ है। खबर है कि तीन और हमले भी हो सकेत हैं। इसके साथ ही बाइडेन ने कह दिया है वहां पर अमेरिकी सैनिक रेस्क्यू ऑपरेशन चालते रहेंगे।
सोशल मी़डिया पर काफी समय से ट्रेंड हो रहा है कि #Afganistanisbleeding उसकी तस्वीर अब सामने आ गई है। ब्लास्ट के बाद की तस्वीर सामने आई है जिसमें दिख रहा है पानी लाल है। वहां पर आस पास के नाले में लोगों की लाशें पड़ी हुई हैं जब लाशों को नाले से निकाला गया तो पानी लाल हो गया।
बता दें कि सबसे पहले धमाका अब्बे गेट के पास हुआ फिर दूसरा धमाका बैरन होटल के पास हुआ यहां पर ब्रिटेन के सैनिक ठहरे हुए थे। धमाके में 13 अमेरिकी सैनिक शहीद हो गए हैं। घटना के बाद अपनों को बचाने की कोशिश करते लोग..
US सेंट्रल कमांड के जनरल मैकेंजी ने कहा- फिलहाल, 5 हजार लोग काबुल एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे हैं। इनमें 1 हजार अमेरिकी हैं। 14 अगस्त से अब तक हम एक लाख चार हजार सिविलियंस को निकाल चुके हैं।
दुनिया भर की नजरें अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर टिकी हुई हैं इंतजार इस बात का है कि बाइडेन क्या फैसला लेंगे, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना रहेगी या नहीं।
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